Bharat Ratna : लाल कृष्ण आडवाणी की राजनीतिक सफलता के पीछे का रहस्य!
भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी के जीवन और कार्यों को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘Bharat Ratna’ से नवाजे जाने की सूचना ने राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर एक उत्साह की लहर दौड़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर इस बड़ी खबर को साझा किया।
I am very happy to share that Shri LK Advani Ji will be conferred the Bharat Ratna. I also spoke to him and congratulated him on being conferred this honour. One of the most respected statesmen of our times, his contribution to the development of India is monumental. His is a… pic.twitter.com/Ya78qjJbPK
— Narendra Modi (@narendramodi) February 3, 2024
भारतीय जनता पार्टी के अग्रणी नेता और पूर्व उप-प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी का जीवन और राजनीतिक करियर भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ने वाला है। उनका जन्म 8 नवंबर, 1927 को कराची में हुआ था, और वे विभाजन के समय भारत आए थे। उन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी राजनीतिक यात्रा में अनेक उल्लेखनीय क्षण आए, जिन्होंने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी।
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श्री आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में 1980 के दशक और 1990 के दशक में लंबी अवधि तक सेवाएं दीं। उनके नेतृत्व में, पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। उन्हें विशेष रूप से उनकी बुद्धिमत्ता, मजबूत सिद्धांतों और भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए उनके अटूट समर्थन के लिए सराहा जाता है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पुष्टि की कि श्री आडवाणी ने कभी भी अपनी राष्ट्रवाद की मूल विश्वासों पर समझौता नहीं किया, फिर भी जब भी परिस्थितियों ने मांग की, उन्होंने राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में लचीलापन दिखाया।
उनका शैक्षणिक जीवन कराची में शुरू हुआ जहाँ उन्होंने सेंट पैट्रिक स्कूल में अध्ययन किया। बचपन से ही उनके अंदर देशभक्ति की भावना मजबूत थी, जिसने उन्हें चौदह वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। विभाजन के दौरान, वे उन लाखों लोगों में से एक थे जिन्हें अपने घर-बार छोड़कर नई शुरुआत के लिए भारत आना पड़ा।
1980 के दशक में, श्री आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय राजनीतिक शक्ति के रूप में बनाने के लिए एकाग्र प्रयास किए। उनके प्रयासों का परिणाम 1989 के आम चुनाव में देखने को मिला, जब पार्टी ने अपनी सीटों की संख्या में भारी वृद्धि हुई ।
लाल कृष्ण आडवाणी जी ने न केवल भारतीय राजनीति में अपनी एक मजबूत छाप छोड़ी है बल्कि उन्होंने एक ऐसी विरासत कायम की है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी। उनके द्वारा देश की राजनीति में किए गए योगदान, विशेषकर हिंदुत्व के प्रसार और भारतीय जनता पार्टी के विकास में उनकी भूमिका अद्वितीय है।
उनकी यात्राओं जैसे कि राम रथ यात्रा ने भारतीय राजनीति में नए आयाम स्थापित किए और देश के राजनीतिक मानचित्र पर भाजपा को मजबूती प्रदान की। ये यात्राएं न केवल पार्टी के लिए बल्कि आडवाणी जी के लिए भी एक टर्निंग पॉइंट साबित हुईं।
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आडवाणी जी का जीवन राजनीतिक शुचिता, समर्पण और देशभक्ति की एक जीवंत मिसाल है। उनका जीवन और कार्य नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है, जो राजनीति में समर्पण और निष्ठा के महत्व को दर्शाता है। भारत रत्न से सम्मानित होना उनके लंबे और समर्पित राजनीतिक करियर का एक उचित सम्मान है, और यह उनके अद्वितीय योगदान को सम्मान देने जैसा है।
उनकी यात्रा और उपलब्धियां हमें यह सिखाती हैं कि नेतृत्व, दृढ़ संकल्प और विचारों के प्रति समर्पण के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। लाल कृष्ण आडवाणी जी का जीवन उन सभी के लिए एक मिसाल है जो भारतीय राजनीति में अपने नाम को अमर करना चाहते हैं।
“यत्र धर्मस्ततो जयः।”
अर्थ – “जहाँ धर्म है, वहाँ विजय है।” यह श्लोक लाल कृष्ण आडवाणी जी के जीवन और उनके राजनीतिक सफर से गहरा संबंध रखता है। धर्म को यहाँ नैतिकता, न्याय और सही मार्ग के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। आडवाणी जी ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में नैतिकता और सिद्धांतों को महत्व दिया और इसी कारण वे भारतीय राजनीति में एक उच्च स्थान प्राप्त कर सके। उनके जीवन की यह यात्रा इस श्लोक के मूल्यों को प्रतिबिंबित करती है, जहाँ उनकी नैतिकता और सही मार्ग के प्रति समर्पण ने उन्हें विजयी बनाया और अंततः भारत रत्न के रूप में सम्मानित किया गया। यह श्लोक और उनके जीवन का यह पहलू हमें सिखाता है कि नैतिकता और सही मार्ग के प्रति समर्पण ही वास्तविक विजय की कुंजी है।