पीएम मोदी (Modi) भी जानते हैं छोटी गाय का महत्व! पर क्या आप जानते हैं ?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi) की एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब चर्चा का विषय बनी जिसमे वो छोटी कद वाली गायों को खाना खिलते नज़र आ रहे हैं।  लोग जानना चाहते हैं की ये छोटी गाय किस नस्ल की है और कहाँ मिलती है ये गाये? तो चलिए हम आपको इस गाय से जुड़े सभी तत्थ्य  बताते हैं। भारत में पुंगनूर गाय की अनूठी विशेषताएं और इसके संरक्षण की महत्वपूर्णता पर भी हम बात करेंगे कि कैसे यह विशेष नस्ल न केवल अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका संरक्षण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुंगनूर गाय, जिसे दुनिया की सबसे छोटी गायों में से एक माना जाता है, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाती है। इस गाय की ऊंचाई मात्र 70 से 90 सेंटीमीटर होती है और इसका वजन लगभग 115 से 200 किलोग्राम तक होता है। इसकी एक विशेषता यह है कि यह सूखे घास को खाकर भी जीवित रह सकती है।

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पुंगनूर गाय का दूध भी बहुत खास माना जाता है, जिसमें वसा की मात्रा लगभग 8 प्रतिशत होती है, जो कि सामान्य गायों के दूध की तुलना में दोगुनी होती है। इस दूध का उपयोग आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में क्षीर अभिषेक के लिए किया जाता है। इस गाय की एक और खासियत यह है कि इसका स्वभाव मनुष्यों के प्रति बहुत अच्छा होता है, जिससे इसे पालना और संभालना आसान होता है।

हालांकि, पुंगनूर गाय की संख्या में कमी आई है, जिसके कारण इसका संरक्षण और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने ‘मिशन पुंगनूर’ नामक एक पहल शुरू की है, जिसके तहत 69.63 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस मिशन के अंतर्गत, इन गायों की संख्या बढ़ाने के लिए आईवीएफ तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार, पुंगनूर गाय का संरक्षण न केवल इसकी अनूठी विशेषताओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय परंपरा और संस्कृति के संरक्षण का भी एक हिस्सा है।

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इसके अलावा, पुंगनूर गाय के संरक्षण के प्रयासों में इसकी विशेषताओं के अलावा, इसके औषधीय गुणों को भी महत्व दिया जा रहा है। इस गाय के दूध में पाए जाने वाले एयू तत्व, जो कि सोने के समान माने जाते हैं, इसे और भी खास बनाते हैं। इसके दूध से बने उत्पाद जैसे कि घी, मक्खन, और दही की गुणवत्ता भी उच्च मानी जाती है। इसके अलावा, इस गाय का उपयोग प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा भी किया जाता था, जिससे इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता भी स्पष्ट होती है। इस प्रकार, पुंगनूर गाय का संरक्षण न केवल इसकी अनूठी विशेषताओं के लिए, बल्कि इसके धार्मिक, सांस्कृतिक, और औषधीय महत्व के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। इसका संरक्षण न केवल इस नस्ल को बचाएगा, बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति के संरक्षण में भी योगदान देगा।

“धेनुना ददती दुग्धं, धर्मं धारयते पृथिवीम्।

सर्वदेवमयी धेनुः, सर्वकामदुघा भवेत्॥”

अर्थ – “गाय दूध देती है, धरती को धर्म से संजोए रखती है। सभी देवताओं का वास गाय में होता है, यह सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली होती है।” यह श्लोक पुंगनूर गाय के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है। गाय को भारतीय संस्कृति में एक पवित्र प्राणी माना जाता है, जिसमें सभी देवताओं का वास होता है। पुंगनूर गाय, जो अपने छोटे आकार और उच्च वसा वाले दूध के लिए जानी जाती है, भारतीय कृषि और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस श्लोक के माध्यम से गाय के महत्व को समझना और इसके संरक्षण की आवश्यकता को महसूस करना संभव होता है, जो कि पुंगनूर गाय के संरक्षण के प्रयासों के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस तरह, यह श्लोक न केवल गाय के प्रति आदर और सम्मान की भावना को दर्शाता है, बल्कि इसके संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करता है।