महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar) : जहां काल भी होता है नतमस्तक, इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, जानें कैसे पहुँचे

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।यहां पर भगवान शिव महाकाल स्वरूप में विराजते हैं।भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह तीसरे नंबर का ज्योतिर्लिंग है। प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में महाकाल का वर्णन मिलता है।जिसमें उनकी स्थापना और महत्व के पीछे कहीं पौराणिक कथाएं लिखी हुई हैं। प्राचीन काल में उज्जैन नगरी पर एक अत्यंत दुष्ट दैत्य दूषण ने आक्रमण कर दिया था और उसने वेद धर्म को नष्ट करने की ठान ली थी।वह निरंतर यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों को विध्वंस कर रहा था जिससे तंग आकर के उज्जैन के ब्राह्मणों ने दूषण के अत्याचार से रक्षा के लिए भगवान शिव की आराधना की।भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुनी और उज्जैन में महाकाल के रूप में प्रकट होकर के दूषण का संहार किया।इसके बाद भगवान शिव उज्जैन में ही स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगे।  

इस घटना की स्मृति में महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना की गई।यह मंदिर इकलौता ऐसा शिवलिंग है जो कि दक्षिण मुखी हैं।महाकाल मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है जिसका अनुभव भक्त सुबह 4:00 बजे से 7:00 के बीच करते हैं।भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को जी बस में से सजाया जाता है वह शमशान से लाई जाती है यह पूजा बहुत ही प्राचीन काल से यहां की जा रही है।

भगवान महाकाल के दर्शन के साथ-साथ हाल ही में बने महाकाल लोग को देखने के लिए भी बहुत लोग आते हैं।आधुनिकता और प्राचीनता का यह मिलन स्थान भक्तों को बहुत पसंद आता है।महाकालेश्वर मंदिर का विस्तार करके इस महाकाल लोग को बनाया गया है जहां पर भक्तों को भगवान महाकाल से जुड़ी सभी कहानी प्रदर्शित की गई हैं, इस महाकाल लोक में भक्ति और संस्कृति के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं और साथ ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके भी भक्तों को भगवान का दर्शन कराया जाता है।

उज्जैन में महाकाल के साथ-साथ और भी कहीं प्रसिद्ध मंदिर है जहां पर भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जाते हैं।प्रमुख मंदिरों में हरसिद्धि माता मंदिर जो की एक शक्तिपीठ है शामिल है।इसके साथ-साथ भगवान काल भैरव का मंदिर,श्री चिंतामन गणेश मंदिर,श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, नवग्रह शनि मंदिर भी शामिल है।उज्जैन में इतने प्रमुख मंदिर हैंकी सभी को शामिल कर पानामुश्किल है।माता शिप्रा के तट पर बसयह मंदिरसभी प्रकार के वैदिक अनुष्ठान और पूजा पाठ के लिए प्रसिद्ध है।उज्जैन में पूरेवर्ष विभिन्न त्योहारों और मेलों का आयोजन होता रहता है लेकिन सबसे बड़ा आयोजनयहां हर 12 साल में एक बार होता है जिसे सिंहस्थ कुंभ मेला कहा जाता है ।इस दौरान यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है।लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और पवित्र शिप्रा नदी में स्नान करते हैं। 

अगर आप भी भगवान महाकाल का दर्शन करना चाहते हैं तो आपको उज्जैन नगर पहुंचना होगा। उज्जैन शहर तक पहुँचना बेहद सरल है। यदि आप रेल मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो उज्जैन रेलवे स्टेशन भारत के मुख्य रेल मार्गों में से एक है। वायु मार्ग से आने वाले यात्री इंदौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट पर उतर सकते हैं, जो कि उज्जैन से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है।