मरने से पहले सभी को पढ़नी चाहिए ये किताब
भारत वो धरती है जिसने विश्व को कई महान ग्रन्थ दिए है और अष्टांग हृदयम उसमे से एक है। अष्टांग हृदयम् एक ऐसा ग्रन्थ है जिसे हर व्यक्ति को जरूर ही पढ़ना चाहिये। ये किताब आपके स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करती है। इतना ही नहीं यदि आपके स्वास्थ्य में किसी प्रकार की हानि पहुंचती है तो उसका भी उत्तर इस किताब में हैं।
अष्टांग हृदयम क्या है और इसे किसने लिखा?
Astanga Hridayam (अष्टांग हृदयम) आयुर्वेद के महान ग्रंथों में से एक है। इसका सृजन आचार्य वाग्भट्ट ने किया था। अष्टांग का अर्थ होता है “आठ अंग” या “आठ भाग”, और हृदयम् का अर्थ होता है हृदय. इस ग्रन्थ में आयुर्वेद के आठ अंगों का वर्णन किया गया है, जो हैं:
- कायचिकित्सा (Kayachikitsa) – सामान्य चिकित्सा या आंतरिक चिकित्सा।
- बाल चिकित्सा (Bala Chikitsa) – बाल रोग विशेषज्ञ, जिसे कौमारभृत्य भी कहा जाता है।
- ग्रह चिकित्सा (Graha Chikitsa) – भूत-विद्या या मनोविज्ञान में मानसिक स्वास्थ्य शामिल है।
- उर्ध्वंग चिकित्सा (Urdhvanga Chikitsa) – शल्य चिकित्सा जो सिर और गर्दन से जुड़ी चिकित्सा को सम्बोधित करता है, जिसे शालाक्य तंत्र भी कहते हैं।
- शल्य चिकित्सा (Shalya Chikitsa) – शल्य चिकित्सा या सर्जरी।
- दंष्ट्रा चिकित्सा (Danshtra Chikitsa) – विषाक्त विज्ञान या टॉक्सिकोलॉजी।
- जरा चिकित्सा (Jara Chikitsa) – रसायन तंत्र या गोरिए ट्रिक्स, जो बुढ़ापे को रोकने और उम्र बढ़ने के प्रभावों को कम करने पर केंद्रित है।
- वृष्य चिकित्सा (Vrishya Chikitsa) – वाजीकरण या अफ्रोडायसिएक्स, जो प्रजनन और शक्तिवर्धक चिकित्सा से संबंधित है।
आष्टांग हृदयम में आयुर्वेद के अन्य दो मुख्य ग्रन्थों – चरक संहिता और सुश्रुत संहिता के सिद्धांतों को जोड़ा गया है। इसके तीन भाग हैं – सूत्र स्थान, शरीर स्थान, और चिकित्सा स्थान जिसमें आयुर्वेद की बुनियादी (Basic) से लेकर रोगों की पहचान, निदान और चिकित्सा के तरीके शामिल हैं।
क्यों सभी को अष्टांग हृदयम पढ़नी चाहिए?
अष्टांग हृदयम को पढ़ने की सलाह सभी को इसलिए दी जाती है क्योंकि यह ग्रन्थ न केवल आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को समझाता है, बल्कि जीवन शैली, आहार, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और आत्म-देखभाल के प्राचीन ज्ञान को भी प्रदान करता है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
- स्वास्थ्य और रोग की समग्र समझ- अष्टांग हृदयम यह दिखाता है कि रोग कैसे उत्पन्न होते हैं और उन्हें कैसे संतुलित या ठीक किया जा सकता है इतना ही नहीं यह हमें बताता है कि हमारी जीवनशैली और विकल्प हमारे स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
- आयुर्वेदिक आहार और जीवनशैली के नियम- यह ग्रन्थ हमें यह समझने में मदद करता है कि सही आहार और जीवनशैली के नियमों का पालन करके हम बीमारियों को दूर रख सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
- मानव शरीर और क्रियाओं की गहराई से समझ- अष्टांग हृदयम शरीर की संरचना और उसके कार्यों को बहुत ही गहराई से बताता है, जिससे हम अपने शरीर को बेहतर समझ सकते हैं।
- रोगों का निदान और चिकित्सा- विभिन्न रोगों के लक्षणों, निदान और चिकित्सा के विस्तृत जानकारी दी गई है।
- प्राकृतिक और होलिस्टिक उपचार- अष्टांग हृदयम में दिए गए उपचार प्राकृतिक हैं, जो न केवल लक्षणों का इलाज करते हैं बल्कि रोग के मूल कारणों को भी समझते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व- यह ग्रन्थ मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी बताता है और ध्यान, योग और धार्मिक प्रथाओं के माध्यम से मन को संतुलित रखने की विधियाँ प्रदान करता है।
- आत्म-जागरूकता- इस ग्रन्थ के अध्ययन से व्यक्ति की आत्म-जागरूकता में वृद्धि होती है और वह अपने शरीर और मन के संकेतों को समझने लगता है।
ये सभी महत्वपूर्ण कारण हैं जिनसे अष्टांग हृदयम को एक महत्वपूर्ण ज्ञान का पिटारा माना जाता है जो किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए ज्ञान प्रदान करता है। चाहे आप आयुर्वेदिक चिकित्सक हों या बस स्वास्थ्य के प्रति उत्सुक व्यक्ति, इस ग्रंथ का अध्ययन आपको आपके जीवन के एक नए आयाम से परिचित करा सकता है।
राजीव दीक्षित ने दी थी सभी को अष्टांग हृदयम पढ़ने की सलाह
राजीव दीक्षित ने सभी लोगों एवं अनुयायियों को यह ग्रन्थ पढ़ने की सलाह दी थी। उनका मानना था की यह किताब भारतीयों के जीवन शैली पर एक अच्छा प्रभाव डालेगा। राजीव दीक्षित ने अपने एक वीडियो में इस किताब का जिक्र करते हुए कहा की एक किताब जो हर किसी को पढ़नी चाहिए “अष्टांग हृदयम। राजीव दीक्षित आयुर्वेद को तथा भारतीय संस्कृति के बड़े प्रशंसक थे।
कैसे पढ़ सकते है ये ग्रन्थ ?
अगर आप इस ग्रन्थ को पढ़ना चाहते हैं तो ऐसी कई साड़ी किताबें है बाजार में जिन्हे आप खरीद सकते हैं लेकिन ये किताबें समझने में थोड़ी मुश्किल हो सकते हैं। इसमें लिखे हिंदी शब्द आपको दुविधा में दाल सकते हैं। अगर आप चाहें तो BAMS कोर्स के किसी भी लेखक की अष्टांग हृदयँ की किताब खरीद कर पढ़ सकते हैं।