India-Russia की दोस्ती ने तोड़े सारे रिकॉर्ड!

India-Russia की दोस्ती ने तेल और कोयले के व्यापार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। यह संबंध आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

India-Russia
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भारत और रूस के बीच की दोस्ती आज की दुनिया में एक अनूठा उदाहरण है। यह मित्रता एक लंबे समय से चली आ रही है, और इसके ऐतिहासिक और राजनीतिक आधार दोनों ही देशों के संबंधों को मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह संबंध सिर्फ कूटनीति (diplomacy) और राजनीतिक हितों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनकी जड़ें सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों में भी गहराई तक फैली हुई हैं। इस लेख में, हम भारत और रूस के बीच के व्यापारिक संबंधों, विशेष रूप से तेल और कोयले के व्यापार पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो इस दोस्ती का एक ठोस प्रमाण है।

जब फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तब से रूस पर कई पश्चिमी देशों ने आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध (sanctions) लगाए। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना और उसके आर्थिक संसाधनों को कमजोर करना था। लेकिन, इस स्थिति में भी भारत और रूस के संबंध मजबूत बने रहे। भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और भी गहरा किया, विशेषकर तेल और कोयले के आयात के माध्यम से।

रूस और भारत के बीच तेल की डील को इस दोस्ती का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा सकता है। रूस से तेल का आयात भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। भारत एक बड़े पैमाने पर तेल आयातक देश है, और इसका ऊर्जा सुरक्षा (energy security) रूस से तेल आयात पर निर्भर करती है। जब पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया, तब रूस ने अपने तेल का निर्यात भारत और चीन जैसे देशों की ओर मोड़ दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत और चीन रूस के सबसे बड़े तेल खरीददार बन गए।

भारत, जो वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक माना जाता है, उसने जुलाई 2024 में रूसी कच्चे तेल पर 2.8 बिलियन डॉलर खर्च किए। यह एक बड़ी राशि है जो इस बात का प्रमाण है कि भारत ने रूस से तेल खरीदने में कोई कमी नहीं की। इस तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में परिष्कृत (refined) किया जाता है, जो भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है। रूस से तेल खरीदने के इस कदम से भारत को न केवल सस्ता तेल मिला, बल्कि यह रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि इसने भारत को ऊर्जा के मामले में और भी आत्मनिर्भर (self-reliant) बनाया।

India-Russia के बीच तेल व्यापार की यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यह व्यापार सिर्फ वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके ऐतिहासिक पहलुओं को भी देखा जाना चाहिए। यूक्रेन युद्ध से पहले, रूस से भारत का तेल आयात बहुत ही कम था। 2022 से पहले, रूस से तेल आयात भारत के कुल तेल आयात का 1 प्रतिशत से भी कम था। लेकिन युद्ध के बाद के हालात ने इस स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया। अब, रूस से भारत के कुल तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत आता है, जो एक बड़ा बदलाव है और यह बताता है कि कैसे परिस्थितियों के अनुसार व्यापारिक संबंध बदल सकते हैं।

भारत और रूस के बीच तेल के अलावा, कोयले का व्यापार भी एक महत्वपूर्ण घटक है। रूस से कोयले का आयात भी युद्ध के दौरान और बाद में बढ़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 दिसंबर 2022 से जुलाई 2024 के अंत तक, चीन रूस का सबसे बड़ा कोयला खरीददार रहा, जिसमें रूस के कुल कोयला निर्यात का 45 प्रतिशत हिस्सा चीन का था। भारत इस सूची में दूसरे स्थान पर आता है, जिसमें इसका हिस्सा 18 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि रूस के साथ भारत का व्यापारिक संबंध केवल तेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार कर चुका है।

इस व्यापारिक संबंध का महत्व केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि यह भारत और रूस के बीच के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी प्रदर्शित करता है। जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, तो भारत ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा और उन्हें और मजबूत किया। इस व्यापारिक संबंध ने दोनों देशों के बीच के विश्वास को और बढ़ाया है।

भारत और रूस के बीच के इस व्यापारिक संबंध का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह दोनों देशों के लिए आपसी लाभ का स्रोत है। रूस, जो अपने तेल और कोयले का बड़ा हिस्सा भारत और चीन को निर्यात करता है, ने इन देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत किया है। दूसरी ओर, भारत को सस्ते दाम पर तेल और कोयला मिल रहा है, जिससे उसकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल रही है।

इसके अलावा, इस व्यापारिक संबंध ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान भी दी है। भारत अब रूस के सबसे बड़े तेल और कोयला खरीददारों में से एक है, जो इसे एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी बनाता है। यह संबंध न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसे ऊर्जा के मामले में और भी अधिक आत्मनिर्भर बनाता है।

भारत और रूस के बीच का यह व्यापारिक संबंध इस बात का प्रमाण है कि कैसे दोनों देश अपनी-अपनी आवश्यकताओं और हितों के अनुसार अपने संबंधों को बनाए रखते हैं और उन्हें और भी मजबूत करते हैं। यह संबंध आने वाले समय में और भी मजबूत हो सकता है, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के साथ अपने व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को और अधिक गहरा करने के लिए तैयार हैं।

इस तरह, भारत और रूस की दोस्ती और व्यापारिक संबंधों की यह कहानी हमें यह समझने में मदद करती है कि कैसे दो देश अपने आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए अपने संबंधों को बनाए रखते हैं और उन्हें और भी मजबूत करते हैं। यह संबंध सिर्फ वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका भविष्य भी बहुत उज्ज्वल दिखाई देता है। आने वाले समय में, यह संभव है कि दोनों देश अपने संबंधों को और अधिक गहरा करें और नए क्षेत्रों में भी सहयोग करें।

नीतिः सदा सुनीतिः स्यात् यत्र मित्रं दृढं भवेत्।

संपदा सर्वदा तत्र, व्यापारः सिद्धिमाप्नुयात्॥

जहां नीति सदा सुनीति होती है और मित्रता दृढ़ होती है, वहां संपदा सदैव बनी रहती है और व्यापार सफल होता है। इस श्लोक का सार इस बात पर आधारित है कि भारत और रूस के बीच दृढ़ मित्रता और सही नीतियों के कारण उनके व्यापारिक संबंध फल-फूल रहे हैं। यह मित्रता और व्यापारिक सहयोग दोनों देशों के लिए समृद्धि और विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जैसा कि तेल और कोयले के व्यापार में देखा जा सकता है।