1200 आतंकवादी भागे! भारत खतरे में?
बांग्लादेश से फरार आतंकवादी भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा।
बांग्लादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रम ने भारत के लिए एक गंभीर और व्यापक सुरक्षा चुनौती उत्पन्न कर दी है। इस परिदृश्य की शुरुआत बांग्लादेश में हुई जेल ब्रेक्स (जेल से कैदियों के भागने की घटना) से होती है, जो कि वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक गहरी चिंता का विषय बन गई है। इन जेल ब्रेक्स के दौरान बड़ी संख्या में आतंकवादी और अन्य अपराधी फरार हो गए हैं। इनमें से कई आतंकवादी ऐसे हैं, जिनका सीधा संबंध भारत की सुरक्षा से है, क्योंकि इन पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
भारत की खुफिया एजेंसियों ने सालों की मेहनत से इन आतंकवादियों को पकड़वाया था। इनमें से कई आतंकवादी, जैसे इकराम उल हक, अलकायदा के महत्वपूर्ण सदस्य थे, जिन्हें भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी मुश्किल से बांग्लादेश में गिरफ्तार करवाया था। इकराम उल हक जैसे आतंकवादी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा थे, और इनकी गिरफ्तारी भारत के लिए एक बड़ी सफलता मानी गई थी। लेकिन अब, जेल ब्रेक्स के बाद, ये आतंकवादी फिर से आज़ाद हो गए हैं, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत और बांग्लादेश के बीच के सुरक्षा संबंधों को भी चुनौती दी है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाई थी, उनके नेतृत्व में बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखी थी। शेख हसीना की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस (शून्य सहनशीलता) की नीति अपनाई थी, और इसका परिणाम यह हुआ कि बांग्लादेश में 1999 के बाद से आतंकवादी हमलों में काफी कमी आई थी। लेकिन हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण, कई आतंकवादी जेल से फरार हो गए, जिससे सुरक्षा की स्थिति बिगड़ गई है।
भारत के लिए, यह स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। विशेष रूप से, जो आतंकवादी अब फिर से स्वतंत्र हो गए हैं, वे भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं। पूर्वोत्तर भारत में पहले से ही कई सुरक्षा चुनौतियाँ हैं, और इन आतंकवादियों के वहां पहुँचने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। भारत की सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पहले ही चेतावनी दी थी कि बांग्लादेश से भागे 1200 से अधिक कैदी, जिनमें से कई आतंकवादी हैं, भारत में घुसपैठ कर सकते हैं। इस चेतावनी के बाद, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को उच्चतम सतर्कता पर रखा गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जो बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं।
बांग्लादेश में जो भी हुआ, उसे लेकर भारत में एक बड़ी चिंता यह भी है कि जो दशकों की मेहनत से आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई थी, वह अब व्यर्थ हो सकती है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने बांग्लादेश के साथ मिलकर कई सालों तक आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाए थे, और कई खतरनाक आतंकवादियों को जेल में डाला था। लेकिन अब, जब ये आतंकवादी फिर से आज़ाद हो गए हैं, तो वे भारत के लिए एक बार फिर से खतरा पैदा कर सकते हैं।
इस स्थिति का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बांग्लादेश में जो भी नई सरकार बनेगी, उसे इन आतंकवादियों को फिर से पकड़ने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना होगा। लेकिन यह एक आसान कार्य नहीं होगा, क्योंकि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और अन्य कारक इस प्रयास में बाधा डाल सकते हैं। बांग्लादेश की नई सरकार चाहे जो भी हो, उसे यह समझना होगा कि इन आतंकवादियों का पकड़ा जाना न केवल बांग्लादेश बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हालांकि, यह संभव है कि बांग्लादेश की नई सरकार, जो शायद भारत के खिलाफ बयानबाजी करेगी, इस मुद्दे पर भारत के साथ सहमत न हो, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
इसके अलावा, भारत-बांग्लादेश सीमा पर और अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है। बॉर्डर फेंसिंग (सीमा पर बाड़) को पूर्ण रूप से लागू करने और BSF की तैनाती को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इन आतंकवादियों की घुसपैठ को रोका जा सके। भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा बहुत लंबी है, और इसे पूरी तरह से फेंस करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। वर्तमान में, सीमा का केवल 80% ही फेंस किया गया है, और बाकी हिस्सों में अभी भी घुसपैठ की संभावना बनी हुई है। त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जहां सीमा पर फेंसिंग पूरी तरह से नहीं हुई है, वहां से अवैध घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। इसलिए, भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी सीमा सुरक्षा को और मजबूत करे और सुनिश्चित करे कि इन आतंकवादियों को भारत में घुसने से रोका जा सके।
इस पूरी स्थिति में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से, पूर्वोत्तर के राज्यों में सुरक्षा बलों की तैनाती और बढ़ाई जानी चाहिए, और उन्हें आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाना चाहिए। ड्रोन और अन्य निगरानी तकनीकों का उपयोग कर सीमा पर निगरानी को और सख्त करना चाहिए ताकि किसी भी अवैध घुसपैठ को तुरंत रोका जा सके। इसके अलावा, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क रहना होगा और इन आतंकवादियों की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखनी होगी।
यह स्थिति भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है, और इस पर पूरी सतर्कता से काम करने की आवश्यकता है। बांग्लादेश से भागे ये आतंकवादी भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं, इसलिए इन्हें रोकने के लिए हर संभव कदम उठाना जरूरी है। साथ ही, बांग्लादेश के साथ सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि इन आतंकवादियों को फिर से पकड़ने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जा सकें।
इस स्थिति में, भारत को अपने सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना होगा और एक ठोस सुरक्षा रणनीति अपनानी होगी ताकि इन आतंकवादियों की घुसपैठ को रोका जा सके और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन सही रणनीति और दृढ़ संकल्प के साथ, भारत इस संकट से उबर सकता है और अपनी सुरक्षा को बनाए रख सकता है।
प्रध्वंसिताः ये किल बन्धनानि, रक्ष्याः सदा ये विजने दिशायाम्।
सीमांतरेणाभिगताः तथैव, त्रासं जनयन्ति रिपोः पथान्ते॥
जो लोग बंधनों से मुक्त हो चुके हैं, उन्हें हमेशा सीमाओं और दूरस्थ दिशाओं में सतर्कता से निगरानी करनी चाहिए। क्योंकि जब वे सीमा पार करते हैं, तो वे दुश्मन के मार्ग पर भय उत्पन्न करते हैं। यह श्लोक उन आतंकवादियों की स्थिति को दर्शाता है जो बांग्लादेश से भाग निकले हैं। अब इनकी गतिविधियों पर सतर्कता से निगरानी रखना आवश्यक है क्योंकि ये भारत की सीमाओं में घुसपैठ करके सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।