15 अगस्त का राष्ट्रीय अवकाश रद्द!

बांग्लादेश में 15 अगस्त का राष्ट्रीय अवकाश रद्द कर दिया गया है। शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। यह इतिहास की हत्या के समान है।

15 अगस्त का राष्ट्रीय अवकाश रद्द!

बांग्लादेश में हाल ही में एक चिंताजनक घटनाक्रम सामने आया है, जहां 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश (national holiday) रद्द कर दिया गया है। यह निर्णय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने लिया है, जिससे संकेत मिलता है कि देश में इतिहास को मिटाने की कोशिशें हो रही हैं। यह घटना भारत के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि यह दर्शाता है कि बांग्लादेश अपने अतीत को भूलते हुए एक नए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान ने दशकों पहले अपनी इतिहास को नष्ट करके एक धार्मिक कट्टरपंथी देश बनने का मार्ग चुना था, और अब बांग्लादेश भी उसी रास्ते पर चलते हुए दिखाई दे रहा है। महात्मा गांधी की तरह, जो भारत में राष्ट्रपिता माने जाते हैं, बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता (Father of the Nation) का दर्जा दिया गया था। मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी, जो बंगालियों के खिलाफ भेदभाव कर रही थी। इसी संघर्ष के परिणामस्वरूप बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। लेकिन 1975 में, मुजीबुर रहमान को उनकी ही सेना के कुछ लोगों ने मार दिया, और उनके नाम से जुड़ी सभी यादों को बांग्लादेश से मिटाने की कोशिशें की जा रही हैं।

हाल ही में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 15 अगस्त के राष्ट्रीय शोक दिवस (national mourning day) को भी रद्द कर दिया है। यह दिन शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के दिन के रूप में मनाया जाता था, लेकिन अब इसे भी हटाने का निर्णय लिया गया है। यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बांग्लादेश में योजनाबद्ध तरीके से इतिहास को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।

शेख हसीना, जो बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री हैं, उन्होंने देशवासियों से 15 अगस्त को शोक दिवस के रूप में मनाने की अपील की है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनका यह संदेश जनता तक पहुंचेगा या नहीं। इसके अलावा, अमेरिका और कनाडा ने भी शेख मुजीबुर रहमान के खिलाफ रुख अपनाया था, और कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सीआईए (CIA) ने मुजीबुर रहमान की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

आज भी, बांग्लादेश अपने राष्ट्रपिता के हत्यारों को न्याय के कटघरे में लाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद यह प्रयास भी समाप्त हो सकता है। बांग्लादेश में एक नई सरकार बनने जा रही है, जो देश की यादों और इतिहास को मिटाने का काम करेगी। आने वाले समय में शेख मुजीबुर रहमान का नाम भी बहुत कम लोगों को याद रहेगा। यह एक तरह से इतिहास की हत्या (murder of history) है, और भारत के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है।

धर्मो रक्षति रक्षितः, सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्। 

इतिहासस्य संरक्षणे, राष्ट्रस्य कल्याणं भवेत्॥

जो धर्म का पालन करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। सत्य बोलें और प्रिय बोलें। इतिहास की रक्षा में राष्ट्र का कल्याण होता है। यह श्लोक इस बात की ओर इंगित करता है कि एक राष्ट्र का कल्याण उसके इतिहास की सुरक्षा में निहित है। बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान के इतिहास को मिटाने का प्रयास राष्ट्र की पहचान और भविष्य के लिए खतरा है।