इस मामले में भारत (India) बनेगा वैश्विक नेता 

आज हम India में धार्मिक पर्यटन के विकास और इसके अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा करेंगे। राम मंदिर के अभिषेक के साथ ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कुछ लोग मंदिर की भव्यता की चर्चा कर रहे हैं तो कई लोग इसके राजनीतिक मायनों के बारे में वाद-विवाद कर रहे हैं। लेकिन इन सबके अलावा इसका एक पहलू और भी है जिस पर लोग चर्चा कर रहे हैं। इस पहलू में लोगों का मानना है कि मंदिर की स्थापना से अयोध्या के आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि होगी। वर्तमान में देश में रिलीजियस टूरिज्म यानी धार्मिक पर्यटन ने आर्थिक विकास के नए द्वार खोले हैं।

भारत में धार्मिक पर्यटन की जड़ें प्राचीन काल से ही विद्यमान हैं जब यात्री पवित्र स्थलों की यात्रा करने और आध्यात्मिक सांत्वना पाने के लिए कठिन यात्राएं करते थे। India में लगभग सभी धर्म के लोग रहते हैं और यहां लगभग सभी धर्मों से संबंधित तीर्थ स्थान भी मौजूद है। अपनी विविध धार्मिक परंपराओं की समृद्ध परंपरा के साथ भारत दुनिया भर से लाखों तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। महाकालेश्वर, सारनाथ, महाबोधि मंदिर, तिरुपति बालाजी, स्वर्ण मंदिर, वैष्णो देवी सहित भारत में ऐसे कितने ही तीर्थ स्थान हैं जहां साल भर श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहता है।

भारत में अधिकांश मध्यवर्गीय परिवार ऐसे हैं जिनके लिए आर्थिक वजहों से सामान्यतः किसी टूर पर जाना संभव नहीं होता, लेकिन भारत में धर्म और तीर्थ यात्रा का अत्यधिक महत्व होने के चलते मध्यम वर्गीय परिवार यहां तक कि गरीब परिवार के लोग भी धार्मिक यात्रा पर जाते हैं। जब लोग धार्मिक वजह से कोई यात्रा करते हैं तो ऐसी यात्राएं धार्मिक पर्यटन या रिलीजियस टूरिज्म के अंतर्गत आती हैं। India के हर राज्य में कोई ना कोई तीर्थ स्थान मौजूद है यह तीर्थ स्थान बहुत से लोगों के लिए रोजगार के स्रोत हैं। फूलमाला, अगरबत्ती और प्रसाद बेचने वाले छोटे दुकानदारों से लेकर रिक्शा चालक, ऑटो चालक एवं स्ट्रीट फूड वेंडर्स तक सभी को इन तीर्थ स्थानों से रोजगार मिलता है। अगर कोई तीर्थ स्थान राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो जाए तो वहां पर तीर्थ यात्रियों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ने लगती है। जब किसी स्थान पर देश-विदेश से लोग आने लगते हैं तो उस स्थान पर ट्रांसपोर्ट, होटल इंडस्ट्री, फूड इंडस्ट्री सभी का तेजी से विकास होता है। इसके अलावा इससे स्थानीय उत्पादों की बिक्री में भी वृद्धि होती है। कहने का आशय यह है कि धार्मिक पर्यटन स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार का सृजन करता है, इससे सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी वृद्धि होती है और राज्य एवं देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ता है।

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चूंकि भारत में धार्मिक पर्यटन के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक और प्रवासी भारतीय आते हैं, इसलिए इससे सरकार को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है। बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शुरुआत भारत में हुई थी, भारत में सारनाथ, बोध गया, कुशीनगर आदि बौद्ध धर्म अनुयायियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। बहुत सारे दक्षिण पूर्व एशियाई देश जैसे चीन, जापान, म्यांमार आदि के अधिकांश नागरिक बौद्ध धर्मावलंबी हैं, इसलिए हर साल इन देशों से लाख की संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी लोग भारत की यात्रा पर आते हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सारे प्रवासी भारतीय भी तीर्थ स्थानों की यात्रा के लिए भारत आते हैं। इन विदेशी धार्मिक पर्यटकों और प्रवासी भारतीयों के आने से सरकार को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा, धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के विकास से बहुत सारे स्थानीय रोजगार विकसित होते हैं, जिससे लोगों की आय में वृद्धि होती है। गौरतलब है कि पर्यटन भारत का प्रमुख सेवा क्षेत्र है और धार्मिक पर्यटन इसकी प्रमुख शाखा है। इसमें घरेलू पर्यटकों के योगदान को कम नहीं आका जा सकता क्योंकि धार्मिक पर्यटन में घरेलू पर्यटकों का योगदान अधिक है। वर्ष 2022 में पूरे भारत में 1731 मिलियन से अधिक घरेलू पर्यटक आए, जिसमें से 30 प्रतिशत से अधिक पर्यटक धार्मिक पर्यटन के लिए यात्रा पर थे।

बीते कुछ वर्षों में सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख कार्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से संबंधित है। बीते कुछ वर्षों में सड़क निर्माण, पुराने रेलवे स्टेशनों का जीर्णोद्धार, एयरपोर्ट का निर्माण, पर्वतीय तीर्थ स्थानों में रोपवे का निर्माण किया गया है, जिससे यात्रियों के लिए यात्रा अधिक सुविधाजनक और आसान होती जा रही है। इसके अलावा, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, जैसे कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रसाद योजना के तहत चिन्हित तीर्थ स्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण किया जा रहा है।

हालांकि भारत में धार्मिक पर्यटन के विकास में अभी भी कुछ चुनौतियां मौजूद हैं। भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं, ऐसे में कभी-कभी किसी विशेष धार्मिक क्षेत्र का विकास किसी अन्य धर्म की भावना को आहत कर सकता है। इसी के साथ कभी-कभी राजनीतिक दल इसे अपने वोट बैंक की तरह भी यूज करते हैं, जिससे यह आस्था का विषय ना होकर राजनीति का विषय बन जाता है। इसके अलावा, प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इन क्षेत्रों के विकास में बाधक बन जाता है। साथ ही साथ, पर्याप्त बुनियादी ढांचा निर्माण में कमी भी एक प्रमुख चुनौती है। पर्याप्त नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था से लोगों के लिए यात्रा करना आसान हो जाता है। साथ ही बुजुर्ग लोगों की यात्रा के लिए इन स्थानों पर मेडिकल सुविधाओं सहित कई प्रकार की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे यदि कोई बुजुर्ग अकेले यात्रा करने आए तो उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े। इसके अतिरिक्त, दिव्यांग लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भी बहुत कम विकास हुआ है। दिव्यांग लोगों के लिए मंदिर की सीढ़ियां चढ़ना और भीड़ में यात्रा करना मुश्किल होता है। इसके अलावा, किसी स्थान पर व्हीलचेयर आदि की भी व्यवस्था नहीं हो पाती, जिससे उन्हें यात्रा करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

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इन सबके अलावा, कभी-कभी कुछ लोग विदेशी यात्रियों से दुर्व्यवहार भी कर देते हैं, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि प्रभावित करता है। अब ऐसे में अगर सोचे की क्या हो सकती है आगे की राह? तो यह कहना गलत नहीं होगा की भारत में धार्मिक पर्यटन एक बहुआयामी उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है, जो आध्यात्मिकता, संस्कृति, और आर्थिक विकास को जोड़ता है। चूंकि धार्मिक आस्था और तीर्थ यात्रा भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, इसलिए इन क्षेत्रों का विकास करके भारत खुद को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि पर्यटन के क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों को दूर किया जाए।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥”

अर्थ –“जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। जहां नारी का सम्मान नहीं होता, वहां सभी क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं।” यह श्लोक भारतीय संस्कृति की गहराई और इसके आध्यात्मिक मूल्यों को दर्शाता है, जो धार्मिक पर्यटन के मूल में हैं। भारत में धार्मिक पर्यटन की वृद्धि न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के सम्मान और संरक्षण को भी प्रोत्साहित करती है। जिस प्रकार यह श्लोक नारी के सम्मान की महत्ता को बताता है, उसी प्रकार धार्मिक पर्यटन भी भारतीय संस्कृति, इसके तीर्थ स्थानों, और आध्यात्मिक मूल्यों के सम्मान को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, यह श्लोक और लेख दोनों ही भारतीय संस्कृति के सम्मान और संरक्षण की महत्ता को रेखांकित करते हैं।