क्या होता है Black Hole ?
आज हम Black Hole के विषय पर चर्चा करेंगे। हाल ही में भारत ने XPOSAT सैटेलाइट लॉन्च किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स जैसे ब्रह्मांडीय स्रोतों से आने वाले खगोलीय एक्स-रे ध्रुवीकरण का अध्ययन करना है। Black Hole, खगोलीय पिंड होते हैं जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि कुछ भी, यहां तक कि प्रकाश भी, उनसे बच नहीं सकता। अल्बर्ट आइंस्टीन और कार्ल स्वार्थचाइल्ड इस विचार को प्रस्तुत करने वाले पहले व्यक्ति थे।
Black Hole का एक महत्वपूर्ण घटक है घटना क्षितिज, जो उसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की एक सीमा है। जो कोई भी इस सीमा को पार करता है, वह ब्लैक होल में चला जाता है। घटना क्षितिज को पार करने वाली वस्तुएं ब्लैक होल के केंद्र में गिरती हैं और एक अनंत घनत्व वाले बिंदु में सिमट जाती हैं, जिसे विलक्षणता कहा जाता है। 2019 में, वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा M87 के केंद्र में स्थित ब्लैक होल की पहली छवि प्राप्त की। सगिटेरियस A* मिल्की वे आकाशगंगा में स्थित एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है।
Read also-Metaverse में हुआ गैंगरेप! : डिजिटल सुरक्षा पर बड़ा सवाल
Black Hole के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: स्टेलर ब्लैक होल्स और सुपरमैसिव ब्लैक होल्स। स्टेलर ब्लैक होल्स हमारे सूर्य से कुछ ही गुना बड़े होते हैं और इनका वजन सूर्य के द्रव्यमान के न्यूनतम से लेकर 100 गुना तक होता है। इनका भौतिक आकार छोटा होता है, व्यास केवल कुछ किलोमीटर तक होता है। मिल्की वे आकाशगंगा में अनुमानतः 10 मिलियन से 1 अरब स्टेलर द्रव्यमान वाले ब्लैक होल होते हैं। सुपरमैसिव ब्लैक होल्स का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के सैकड़ों हजारों से लेकर अरबों गुना अधिक होता है और ये अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्रों पर पाए जाते हैं। कुछ सुपरमैसिव ब्लैक होल्स तीव्र गतिविधि की अवधि को प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक या AGN के रूप में जाना जाता है।
Black Hole के संबंध में वास्तविक घटनाएं हमेशा से विज्ञान और खगोलशास्त्र के क्षेत्र में रोमांचक और रहस्यमयी रही हैं। एक प्रमुख घटना जो विश्व भर में चर्चा में रही, वह थी वर्ष 2019 में ब्लैक होल की पहली छवि का प्राप्त होना। यह छवि इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) परियोजना के तहत ली गई थी, जिसने आकाशगंगा M87 के केंद्र में स्थित एक विशाल ब्लैक होल की छवि कैद की। इस घटना ने ब्लैक होल्स के अध्ययन में एक नया अध्याय जोड़ा और वैज्ञानिक समुदाय के साथ-साथ आम जनता में भी बहुत उत्साह और जिज्ञासा पैदा की।
Read also- क्या AI परमाणु युद्ध शुरू करेगा?
इसके अलावा, Black Hole के संबंध में एक और महत्वपूर्ण घटना थी जब वैज्ञानिकों ने दो ब्लैक होल्स के विलय की प्रक्रिया का पता लगाया। यह खोज ग्रेविटेशनल वेव्स के माध्यम से की गई थी, जो अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा सिद्धांत रूप में प्रस्तावित थी। इस खोज ने ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को और भी गहरा किया और खगोल भौतिकी के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की।
इन घटनाओं ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को बल्कि पूरी दुनिया को ब्लैक होल्स की अद्भुत और रहस्यमयी प्रकृति के बारे में नई जानकारी प्रदान की। ये घटनाएं ब्लैक होल्स के अध्ययन में नए आयाम खोलती हैं और भविष्य में इस क्षेत्र में और भी अधिक अनुसंधान और खोजों की संभावना को दर्शाती हैं।
ब्लैक होल्स के बारे में प्राचीन हिंदू शास्त्रों में सीधे तौर पर उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन हिंदू धर्म और दर्शन में ब्रह्मांड की रचना और उसके विभिन्न तत्वों के बारे में गहरी और रहस्यमयी जानकारियां अवश्य मिलती हैं। वेदों और पुराणों में ब्रह्मांड के विस्तार और उसके विभिन्न आयामों का वर्णन है, जो आधुनिक खगोल विज्ञान के कुछ सिद्धांतों से मिलता-जुलता है।
उदाहरण के लिए, पुराणों में वर्णित ‘नाभि’ या ‘विश्व की नाभि’, जिसे ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है, को कुछ विद्वान आधुनिक Black Hole के सिद्धांत से जोड़कर देखते हैं। इसी तरह, ‘महाप्रलय’ या ‘ब्रह्मांड का विनाश’, जिसे पुराणों में वर्णित किया गया है, उसे भी ब्लैक होल्स के अंतिम चरण से जोड़ा जा सकता है, जहां सब कुछ एक बिंदु में समाहित हो जाता है।
हालांकि, ये सभी व्याख्याएं और संबंध अनुमान और व्याख्यात्मक हैं, क्योंकि प्राचीन ग्रंथों में विज्ञान के आधुनिक सिद्धांतों के अनुसार सटीक वर्णन नहीं मिलते। इसलिए, इन्हें वैज्ञानिक सत्य के रूप में मानने की बजाय, ये विचार और दर्शन के रूप में अधिक प्रासंगिक होते हैं, जो ब्रह्मांड और उसके रहस्यों के प्रति हमारी जिज्ञासा और खोज को बढ़ाते हैं।
“अनंतविश्वचक्राणां नाभिस्थानं महद्भयम्।
नास्ति प्रकाशो यत्र तु, तमो निगूढ़मेव च॥”
अर्थ :“अनंत ब्रह्मांड चक्रों के मध्य, एक महान और भयानक स्थान है। जहां प्रकाश नहीं पहुंचता, वहां अंधकार गहराई से छिपा हुआ है।” यह श्लोक Black Hole के बारे में लेख से संबंधित है, क्योंकि यह ब्रह्मांड के उस रहस्यमयी और भयानक स्थान का वर्णन करता है जहां प्रकाश भी नहीं पहुंच पाता। ब्लैक होल्स, जिनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि वे प्रकाश को भी अपने अंदर समाहित कर लेते हैं, इस श्लोक के माध्यम से वर्णित ‘अनंत विश्व चक्राणां नाभिस्थानं’ या ‘ब्रह्मांड के चक्रों के मध्य का नाभि स्थान’ के रूप में देखे जा सकते हैं। यह श्लोक ब्रह्मांड के उन गहरे और अज्ञात रहस्यों की ओर इशारा करता है, जिनका अध्ययन और खोज विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर जारी है।