खून नहीं, हवा से होगा डायबिटीज टेस्ट! जानिए कैसे?
भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में एक अभूतपूर्व प्रगति की है, जिससे अन्य देशों को भी आश्चर्यचकित कर दिया है। खासतौर पर डायबिटीज के जांच में एक नई तकनीक का विकास किया गया है जो ब्लड सैंपल लेने की पारंपरिक आवश्यकता को समाप्त करता है। इस नवीन विधि में मरीजों को सुई नहीं लगानी पड़ती और डायबिटीज की जांच सांस के माध्यम से की जा सकती है। यह तकनीक एआई से संचालित एक विशेष ग्लूकोमीटर का उपयोग करती है, जिसे आईआईटी मंडी द्वारा विकसित किया गया है।
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इस उपकरण में 8 से 10 सेंसर शामिल हैं जो व्यक्ति की सांस से शुगर के स्तर की जांच करते हैं। मरीज को केवल एक गुब्बारे में हवा भरनी होती है, और इस गुब्बारे को डिवाइस पर लगाने से, लगे हुए सेंसर शुगर की मात्रा का पता लगाते हैं। यह डिवाइस न केवल डायबिटीज की पहचान कर सकता है, बल्कि हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर, और खून में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच में भी सक्षम है।
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इस डिवाइस की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए एम्स बिलासपुर के सहयोग से 492 रोगियों के सांस के नमूने लिए गए, जिसमें इस डिवाइस ने बेहतरीन परिणाम दिखाए। इस तकनीक को और भी विकसित करने और डायबिटीज के साथ-साथ अन्य घातक बीमारियों का पूर्वानुमान लगाने के लिए शोध जारी है। इस तरह के नवाचारों से भारत न केवल चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी बन रहा है, बल्कि यह भी साबित कर रहा है कि भारत विश्व स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी बनने की क्षमता रखता है। ऐसे नवाचारों से भारत का विश्व गुरु के रूप में स्थान मजबूत होता जा रहा है।
विज्ञानस्य अभ्यासात् जीवने विप्लवः
विज्ञान के अध्ययन से जीवन में क्रांति आती है, यह श्लोक भारत में चिकित्सा क्षेत्र में हुई नवीनतम प्रगति और खोज की महत्ता को उजागर करता है। खासतौर पर, यह उस नवीन तकनीक का संदर्भ देता है जिसमें बिना खून के नमूने लिए डायबिटीज की जांच की जा सकती है, जिससे रोगी की सुविधा और स्वास्थ्य देखभाल में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। इस श्लोक के माध्यम से, हम विज्ञान और तकनीकी नवाचार के अध्ययन की महत्ता को समझते हैं, जिससे भारत चिकित्सा क्षेत्र में नए मानक स्थापित कर रहा है।