जानिए क्यों नेपाल ने भारतीय मसालों पर लगाया बैन!

नेपाल और अन्य देशों ने भारतीय मसालों में हानिकारक केमिकल्स पाए जाने पर प्रतिबंध लगाया है। यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। भारत सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।

जानिए क्यों नेपाल ने भारतीय मसालों पर लगाया बैन!
भारतीय

नेपाल ने हाल ही में भारतीय मसालों के दो प्रमुख ब्रांड्स, एमडीएच और एवरेस्ट, पर बैन लगा दिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब नेपाल के फूड टेक्नोलॉजी एंड क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट ने इन मसालों में हानिकारक केमिकल्स पाए जाने की रिपोर्ट की। इन केमिकल्स में एथिलीन ऑक्साइड शामिल है, जो एक फ्लेमेबल और कलरलेस गैस है और इंसेक्टिसाइड के रूप में काम करता है। यह मेडिकल इक्विपमेंट्स को स्टेरलाइज करने में भी उपयोगी होता है।

एथिलीन ऑक्साइड के संबंध में चिंताएं इस वजह से हैं क्योंकि यह कैंसर का कारण बन सकता है। अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, लिंफोमा और ल्यूकेमिया जैसे कैंसर के प्रकारों के लिए एथिलीन ऑक्साइड जिम्मेदार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यह स्टमक और ब्रेस्ट कैंसर से भी जुड़ा हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एथिलीन ऑक्साइड को ग्रुप वन कार्सिनोजेन के रूप में डिक्लेयर किया है, जिसका मतलब है कि इसके ह्यूमन में कैंसर पैदा करने के सबूत हैं।

भारतीय मसालों में एथिलीन ऑक्साइड के संदर्भ में कई देशों ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। यूरोपियन यूनियन ने 2019 से 2024 के बीच 400 से ज्यादा भारतीय फूड प्रोडक्ट्स में हानिकारक केमिकल्स पाए जाने की रिपोर्ट की थी। इनमें लेड, मरक्यूरी, और कैडमियम जैसे टॉक्सिक मेटल्स शामिल हैं, जो किडनी, ब्रेन, और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेदिक मेडिसिन्स और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स में भी एडल्टरेशन पाया गया है।

सिंगापुर, हांगकांग, और बांग्लादेश जैसे देशों ने भी भारतीय मसालों में हानिकारक केमिकल्स पाए जाने पर बैन लगाया है। सिंगापुर की फूड एजेंसी ने एवरेस्ट के फिश करी मसाले पर बैन लगाया, जबकि हांगकांग ने एमडीएच के चार मसालों पर बैन लगाया। यूएस ने भी कई भारतीय स्पाइसेज प्रोडक्ट्स को रिजेक्ट किया है क्योंकि उनमें सालमोनेला कंटेम पाया गया।

भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की जिम्मेदारी है कि वे भारतीय बाजार में बिकने वाले फूड प्रोडक्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करें। हालांकि, उनका कहना है कि वे एक्सपोर्ट किए जाने वाले प्रोडक्ट्स की गारंटी नहीं ले सकते। भारत सरकार को इस मामले में कदम उठाने की जरूरत है ताकि भारतीय प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

एफएसएसएआई ने हाल ही में 2023-24 में करीब 4.5 लाख प्रोडक्ट्स की जांच की है, जबकि 2020-21 में यह संख्या 1.07 लाख थी। गुजरात में भी हाल ही में 60,000 किलो अडल्टरेटेड मसालों को जब्त किया गया, जिसमें चिली पाउडर, टर्मरिक, कोरिएंडर पाउडर, और पिकल मसाला शामिल थे। भारत सरकार को अब नेपाल के बैन के बाद और सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं न हों।

भारतीय मसालों का इतिहास और महत्व

भारतीय मसालों का इतिहास प्राचीन काल से ही बहुत समृद्ध और रोचक रहा है। भारत को ‘मसालों की भूमि’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ पर विभिन्न प्रकार के मसाले उत्पन्न होते हैं। प्राचीन काल में भारत के मसाले विदेशी व्यापारियों को आकर्षित करते थे और यही कारण है कि भारतीय मसालों का व्यापार पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ। काली मिर्च, लौंग, इलायची, हल्दी, और दालचीनी जैसे मसाले भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा हैं और इनका उपयोग न केवल स्वाद बढ़ाने के लिए बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। भारतीय मसाले न केवल व्यंजनों को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाते हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होते हैं। ये मसाले पाचन तंत्र को सुधारने, सूजन कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। इस प्रकार, भारतीय मसाले भारतीय संस्कृति और खान-पान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनका महत्व आज भी उतना ही है जितना प्राचीन काल में था।

एथिलीन ऑक्साइड के बारे में विस्तार से

एथिलीन ऑक्साइड एक रंगहीन और ज्वलनशील गैस है जिसका उपयोग मुख्य रूप से कीटनाशक और सैनिटाइजर के रूप में किया जाता है। इसे अक्सर मेडिकल उपकरणों को स्टेरलाइज करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह रसायन खाने-पीने की चीजों में मिलने पर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। शोध से पता चला है कि एथिलीन ऑक्साइड लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर कैंसर का कारण बन सकता है। अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, यह रसायन लिंफोमा और ल्यूकेमिया जैसे कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त, पेट और स्तन कैंसर के मामलों में भी इसका संबंध पाया गया है। इस रसायन की उपस्थिति से डीएनए को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि खाद्य उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की जांच और निगरानी की जाए ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

भारतीय मसाला उद्योग की प्रतिक्रिया

भारतीय मसाला उद्योग ने विभिन्न देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी है। उद्योग के प्रमुख संगठनों और निर्माताओं ने कहा है कि वे मसालों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। कुछ मसाला कंपनियों ने अपने उत्पादन और परीक्षण प्रक्रियाओं को और अधिक सख्त कर दिया है ताकि किसी भी प्रकार की अशुद्धि और हानिकारक केमिकल्स की उपस्थिति को रोका जा सके। इसके अलावा, भारतीय सरकार भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गई है और उसने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को निर्देश दिया है कि वे मसालों की गुणवत्ता की कड़ी निगरानी रखें। एफएसएसएआई ने पहले से ही मसालों के नमूनों की जांच को बढ़ा दिया है और सख्त कार्रवाई की है। इन प्रयासों का उद्देश्य भारतीय मसालों की वैश्विक बाजार में प्रतिष्ठा को बहाल करना और यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलें। भारतीय मसाला उद्योग इन चुनौतियों का सामना कर रहा है और प्रतिबंधों को हटाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव

हानिकारक रसायनों का उपयोग न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। जब खाद्य उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड जैसे रसायन पाए जाते हैं, तो वे मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिससे कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, इन रसायनों का उत्पादन और उपयोग पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ये रसायन जल, मिट्टी और हवा को प्रदूषित करते हैं, जिससे जीव जंतुओं और वनस्पतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रसायनों के अनुचित निपटान से जल स्रोतों में विषैले पदार्थ प्रवेश कर सकते हैं, जिससे जल प्रदूषण और जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, हानिकारक रसायनों का उपयोग कृषि भूमि की उर्वरता को भी कम कर सकता है, जिससे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हानिकारक रसायनों के उपयोग को नियंत्रित किया जाए और सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्पों को अपनाया जाए।

उपभोक्ताओं के लिए सुझाव

उपभोक्ताओं के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले मसालों का चयन कैसे करें। सबसे पहले, हमेशा प्रमाणित और विश्वसनीय ब्रांड्स के मसालों को खरीदें। इन ब्रांड्स के उत्पादों में गुणवत्ता की गारंटी होती है और ये अक्सर खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं। दूसरा, मसाले खरीदते समय उनके पैकेजिंग पर लगे लेबल को ध्यान से पढ़ें। उत्पाद की उत्पत्ति, निर्माण तिथि और समाप्ति तिथि की जांच करें। तीसरा, जैविक और ऑर्गेनिक मसालों को प्राथमिकता दें, क्योंकि इनमें हानिकारक रसायनों की संभावना कम होती है। चौथा, बाजार में उपलब्ध ढीले मसालों की बजाय पैकेज्ड मसालों को प्राथमिकता दें, क्योंकि पैकेजिंग उन्हें दूषित होने से बचाती है। अंत में, अगर किसी मसाले की गुणवत्ता या उसकी ताजगी पर संदेह हो, तो उसे प्रयोग में लाने से बचें। इन सरल सुझावों का पालन करके उपभोक्ता न केवल सुरक्षित मसालों का आनंद ले सकते हैं, बल्कि अपने और अपने परिवार की सेहत का भी ख्याल रख सकते हैं।

धर्मेण हीनाः पुरुषा वयं परवर्तिनः।

विनाशाय च सन्त्येव नाधिकारः कदाचन॥

जो मनुष्य धर्म से हीन होते हैं, वे अन्याय का पालन करते हैं। उनका विनाश निश्चित होता है और उन्हें कोई अधिकार नहीं मिलता। इस श्लोक का संबंध इस लेख से है क्योंकि इसमें भारतीय मसालों में हानिकारक केमिकल्स पाए जाने पर विभिन्न देशों द्वारा लगाए गए बैन का वर्णन है। यह दर्शाता है कि यदि हम अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते हैं, तो हमें विनाश और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।