साइबर अपहरण (cyber kidnapping) क्या होता है : अपराध का हो रहा आधुनिकीकरण 

आज हम एक नए और गंभीर अपराध ‘साइबर अपहरण’ (cyber kidnapping) के बारे में चर्चा करेंगे। हाल ही में अमेरिका के यूटा में हाई स्कूल में पढ़ने वाले एक छात्र को साइबर अपहरण का शिकार होने के बाद बचाया गया। छात्र के माता-पिता को 80,000 अमेरिकी डॉलर के लिए ब्लैकमेल किया गया था। बता दें कि साइबर अपहरण यानी साइबर किडनैपिंग एक नया आपराधिक चलन है जिसमें घोटालेबाज कमजोर पीड़ितों से दूर से ही उगाही करते हैं। इसमें पीड़ित को कॉल या मैसेज करके यह सोचने के लिए प्रेरित किया जाता है कि उसके किसी प्रियजन का अपहरण कर लिया गया है। हालांकि वास्तव में वह व्यक्ति सुरक्षित होता है। कुछ मामलों में घोटालेबाज पीड़ितों को खुद को अलग करने के लिए कहते हैं और उन पर दबाव डालकर इस बात के लिए राजी करते हैं कि उन्हें बंदी बना लिया गया है। कुछ मामलों में वे वेब कैम के माध्यम से पीड़ित से संपर्क भी करते हैं और परिवारों को वॉइस रिकॉर्डिंग भी भेजते हैं।

साइबर अपहरण न केवल पीड़ितों के लिए एक भयानक अनुभव होता है, बल्कि यह उनके परिवारों पर भी भारी मानसिक और आर्थिक दबाव डालता है। इस तरह के अपराधों का उद्देश्य भय और अनिश्चितता का माहौल बनाकर लोगों को धन देने के लिए मजबूर करना होता है। यह अपराध नई तकनीकों और संचार माध्यमों का दुरुपयोग करते हुए व्यक्तियों की निजता और सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डालता है।

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इस तरह के अपराधों की रोकथाम के लिए जागरूकता और शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लोगों को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी होनी चाहिए और उन्हें इस तरह के धोखाधड़ी के प्रयासों को पहचानने और उनसे बचने के तरीके सीखने चाहिए। सरकारों और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए और जनता को इस बारे में शिक्षित करना चाहिए। साइबर अपहरण जैसे अपराधों का मुकाबला करने के लिए समाज के हर स्तर पर सतर्कता और सहयोग की आवश्यकता है।

भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए कई कानून और उपाय अपनाए हैं। इनमें से प्रमुख है भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 66, जो साइबर अपराधों से संबंधित है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की सुरक्षा के लिए इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (IT Act) भी है, जो साइबर अपराधों को दंडित करता है और डेटा सुरक्षा प्रदान करता है।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 को भी भारत सरकार ने अपनाया है, जिसका उद्देश्य भारत की साइबर स्पेस की सुरक्षा करना और एक सुरक्षित और लचीला साइबर स्पेस बनाना है। इस नीति के तहत, सरकार ने साइबर सुरक्षा जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने, साइबर सुरक्षा शोध और विकास को प्रोत्साहित करने, और साइबर सुरक्षा संबंधी अवसंरचना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

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भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए विशेष इकाइयां भी स्थापित की हैं, जैसे कि इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) जो साइबर सुरक्षा संबंधी घटनाओं का जवाब देने और उन्हें संभालने का काम करती है। इसके अलावा, सरकार ने साइबर सुरक्षा संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण को भी बढ़ावा दिया है ताकि लोग साइबर खतरों के प्रति जागरूक हों और उनसे बचाव के उपाय कर सकें।

भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 को संसद में पास किया है, जो लंबे समय से देशवासियों और सरकार दोनों की प्रतीक्षा में था। इस बिल के माध्यम से, ऑनलाइन डेटा एकत्र करने वाली फर्मों के लिए विशेष आवश्यकताएं निर्धारित की गई हैं, साथ ही सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए कुछ अपवाद भी शामिल हैं। यह बिल निजी जानकारी के प्रकटीकरण पर सार्वजनिक हित की छूट को हटाने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में भी संशोधन करता है।

इस बिल का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और उनकी निजता का संरक्षण करना है। इसमें डेटा संग्रहण, प्रोसेसिंग, और साझा करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश शामिल हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को उनके डेटा पर अधिक नियंत्रण और सुरक्षा प्रदान की जा सके। इस बिल के माध्यम से, सरकार ने डेटा सुरक्षा के मानकों को मजबूत करने और डिजिटल युग में नागरिकों की निजता की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

इस बिल के पास होने से भारत में डिजिटल डेटा की सुरक्षा के लिए एक ठोस और समग्र ढांचा स्थापित होगा, जो न केवल नागरिकों को उनके डेटा के संबंध में अधिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि डेटा संचालन करने वाली कंपनियों के लिए भी स्पष्ट दिशा-निर्देश और जवाबदेही स्थापित करेगा। इस तरह, यह बिल भारत को एक डिजिटली सुरक्षित और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इन सभी कदमों के साथ, भारत सरकार साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और डिजिटल भारत को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रही है। यह न केवल नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि देश की आर्थिक सुरक्षा और संप्रभुता को भी मजबूत करता है।

“अहिंसा परमो धर्मः”

अर्थ –“अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।” यह श्लोक अहिंसा के महत्व को बताता है, जो कि किसी भी प्रकार की हिंसा या अन्याय के खिलाफ एक मूलभूत सिद्धांत है। साइबर अपहरण जैसे अपराध न केवल व्यक्तियों की निजता और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि यह उनके मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी बिगाड़ते हैं। इस तरह के अपराध हिंसा का एक रूप हैं, जो न केवल शारीरिक होती है बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी होती है। “अहिंसा परमो धर्मः” का संदेश यह है कि हर परिस्थिति में अहिंसा का पालन करना चाहिए और किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए। इस श्लोक के माध्यम से, हमें यह सीखने को मिलता है कि समाज में शांति और सुरक्षा कायम रखने के लिए हमें हिंसा के हर रूप का विरोध करना चाहिए, चाहे वह शारीरिक हो या साइबर।