क्या है ‘स्मार्ट 2.0’ कार्यक्रम?

हाल ही में आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद शिक्षण पेशेवरों के लिए ‘स्मार्ट 2.0’ नामक कार्यक्रम शुरू हुआ है। इस कार्यक्रम को केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (NCISM) के साथ संयुक्त रूप से शुरू किया गया है। ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम का पूरा नाम ‘स्कोप फॉर मेनस्ट्रीमिंग आयुर्वेदा रिसर्च अमंग टीचिंग प्रोफेशनल्स’ है, जिसका उद्देश्य शिक्षण पेशेवरों में आयुर्वेद अनुसंधान को मुख्य धारा में मिलाने का दायरा है।

इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य ऑस्टियोआर्थराइटिस, आयरन की कमी से एनीमिया, मोटापा, मधुमेह मेलिटस, सोरायसिस सहित स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान क्षेत्रों में नवीन अनुसंधान विचारों की पहचान करना, समर्थन करना और बढ़ावा देना है। इसके अलावा, अनुसंधान विधियों का उपयोग करके आयुर्वेद हस्तक्षेप की प्रभावकारिता और सुरक्षा को प्रदर्शित करना भी इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। ‘स्मार्ट 1.0’ के तहत 38 कॉलेजों के शिक्षण पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी से लगभग 10 बीमारियों को कवर किया गया था।

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‘स्मार्ट 2.0’ कार्यक्रम के माध्यम से, भारत सरकार आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम न केवल आयुर्वेदिक शिक्षा और अनुसंधान को मजबूत करेगा, बल्कि यह भारतीय चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता दिलाने में सहायक होगा। इस प्रकार, ‘स्मार्ट 2.0’ भारत के आयुर्वेदिक अनुसंधान और शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश के स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को और अधिक समृद्ध और विकसित करने की दिशा में अग्रसर है।

आज के तेजी से बदलते और तनावपूर्ण जीवन में, लोग अधिक स्वास्थ्यप्रद और प्राकृतिक जीवनशैली की ओर रुख कर रहे हैं, जिसके चलते आयुर्वेद को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। आयुर्वेद, जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में हजारों वर्षों से प्रचलित है, न केवल रोगों का उपचार करता है बल्कि एक संपूर्ण और संतुलित जीवनशैली को भी बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करना है, जो आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में अक्सर अनदेखी कर दी जाती है।

आयुर्वेद जड़ी-बूटियों, ध्यान, योग और सही आहार के माध्यम से नैचुरल उपचार प्रदान करता है, जिससे यह दवाओं के साइड इफेक्ट्स से मुक्त और सुरक्षित विकल्प बन जाता है। इसके अलावा, आयुर्वेद न केवल रोगों का इलाज करता है बल्कि रोगों की रोकथाम पर भी जोर देता है, जिससे यह लंबी अवधि में स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करता है।

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वर्तमान में, जब लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं और रासायनिक दवाओं के नकारात्मक प्रभावों को समझ रहे हैं, वे प्राकृतिक और होलिस्टिक उपचार की ओर अग्रसर हो रहे हैं। आयुर्वेद उन्हें एक ऐसा विकल्प प्रदान करता है जो न केवल सुरक्षित है बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। इस प्रकार, आयुर्वेद की प्रासंगिकता और महत्व आज के समय में और भी बढ़ गई है, और यही कारण है कि लोग इसे प्राथमिकता दे रहे हैं।

“सर्वे सन्तु निरामयाः।”

अर्थ – “सभी निरोगी और स्वस्थ रहें।” यह श्लोक भारतीय चिकित्सा प्रणाली और ‘स्मार्ट 2.0’ कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को दर्शाता है। आयुर्वेद न केवल रोगों का इलाज करने की एक प्रणाली है, बल्कि यह स्वास्थ्य और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने का एक तरीका भी है। ‘स्मार्ट 2.0’ कार्यक्रम के माध्यम से, आयुर्वेदिक शिक्षा और अनुसंधान को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे लोगों को उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अधिक प्रभावी और सुरक्षित उपचार प्रदान किए जा सकें। “सर्वे सन्तु निरामयाः” का संदेश यह है कि सभी का स्वास्थ्य और कल्याण महत्वपूर्ण है, और इसे सुनिश्चित करने के लिए आयुर्वेद जैसी प्राचीन और प्रभावी चिकित्सा प्रणालियों का विकास और अनुसंधान आवश्यक है।

यह भी जानें –

1 . आयुर्वेद क्या है? 

आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुई एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जिसका अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’। यह लगभग 5000 वर्ष पुरानी पद्धति है जो स्वास्थ्य और रोगों के उपचार पर जोर देती है। आयुर्वेद शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन को महत्वपूर्ण मानता है और इसमें जड़ी-बूटियों, ध्यान, योग, और सही आहार के माध्यम से उपचार की प्रक्रिया शामिल है। इसका उद्देश्य केवल रोगों का इलाज करना नहीं बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना और रोगों की रोकथाम करना है।

2 . आयुष मंत्रालय क्या है? 

आयुष मंत्रालय भारत सरकार का एक विभाग है जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों जैसे कि आयुर्वेद, योग, नैचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (AYUSH) के प्रचार, शिक्षा, अनुसंधान और विकास के लिए जिम्मेदार है। आयुष मंत्रालय का उद्देश्य इन पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देना, उनके मानकों को सुधारना और उन्हें अधिक प्रभावी और सुलभ बनाना है।

3 . भारतीय चिकित्सा प्रणाली क्या है?

भारतीय चिकित्सा प्रणाली विभिन्न पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का समूह है जो भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से प्रचलित हैं। इसमें आयुर्वेद, योग, नैचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी शामिल हैं। ये प्रणालियां न केवल रोगों के उपचार पर बल देती हैं बल्कि स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों की रोकथाम पर भी जोर देती हैं। भारतीय चिकित्सा प्रणाली अपने समग्र और व्यक्तिगत उपचार दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है और यह विश्वभर में अपनी प्रभावशीलता और सुरक्षा के लिए सराही जाती है।