South China Sea में भारत-फिलिपींस के नौसैनिक अभ्यास ने बढ़ाई चीन की चिंताएं

South China Sea का क्षेत्र विश्व राजनीति और सामरिक महत्व का एक केंद्र बिंदु रहा है, जहां विभिन्न देशों के हित और दावे आपस में टकराते हैं। इस क्षेत्रीय जटिलता में भारत और फिलिपींस के बीच हाल ही में हुए नौसैनिक अभ्यास ने एक नया मोड़ लाया है, जिसने चीन की चिंताओं को बढ़ा दिया है। चीन, जो लंबे समय से इस क्षेत्र पर अपना दावा करता आ रहा है और अपनी सामरिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को वहां स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, ने इस अभ्यास को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा बताया है।

South China Sea में नौसैनिक गतिविधियां और अभ्यास नए नहीं हैं, लेकिन भारत और फिलिपींस के बीच हुआ यह अभ्यास चीन के लिए विशेष रूप से चिंताजनक रहा है। चीन ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति और निर्माण कार्यों को बढ़ाया है, जिससे आसपास के देशों के साथ उसका तनाव और भी गहरा हो गया है। इसके विपरीत, भारत और फिलीपींस इस अभ्यास को आपसी सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का एक माध्यम मानते हैं। यह अभ्यास न केवल समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाता है, बल्कि यह आपसी समझ और विश्वास को भी मजबूत करता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।

चीन की नौसैनिक गतिविधियां और उसकी आक्रामक नीतियां न केवल भारत और फिलीपींस जैसे देशों के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि अन्य आसियान देशों, जापान, ताइवान और यहां तक कि अमेरिका जैसी महाशक्तियों के लिए भी चिंताजनक हैं। चीन की बढ़ती दबंगई से न केवल क्षेत्रीय संतुलन प्रभावित होता है, बल्कि यह वैश्विक समुद्री व्यापार और नौवहन की स्वतंत्रता के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। चीन की ‘नाइन डैश लाइन’ भी है जिसके तहत वह लगभग पूरे साउथ चाइना सी पर अपना दावा करता है, इस क्षेत्र में उसकी विस्तारवादी नीतियों को और अधिक स्पष्ट करता है।

Read this also- भारत ने हौथी विद्रोहियों के खिलाफ अदन की खाड़ी में तैनात किया INS Kochi

चीन की ‘स्लाइसिंग पॉलिसी’ के अंतर्गत वह धीरे-धीरे और छोटे-छोटे कदमों से अपने प्रतिद्वंद्वियों की भूमि और संसाधनों पर कब्जा करने की कोशिश करता है, जो न केवल भारत के लिए चिंताजनक है, बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के लिए भी खतरा है। यह घटनाक्रम न केवल साउथ चाइना सी क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।

इस प्रकार, भारत और फिलिपींस के बीच हुए नौसैनिक अभ्यास ने न केवल चीन की चिंताओं को बढ़ाया है, बल्कि यह एक संकेत भी है कि क्षेत्रीय देश चीन की आक्रामकता के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। यह एकजुटता न केवल साउथ चाइना सी में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक नई रणनीतिक गतिशीलता को जन्म दे रही है, जिसके परिणाम स्वरूप अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नए समीकरण स्थापित हो रहे हैं। इस तरह के विकास से न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा और सहयोग के नए आयाम खुल रहे हैं, जो आने वाले समय में विश्व राजनीति की दिशा और दशा को प्रभावित करेंगे।

“संघे शक्ति कलियुगे”

अर्थ – कलियुग में संघ की शक्ति होती है। यह श्लोक दक्षिण चीन सागर में भारत-फिलिपींस के नौसैनिक अभ्यास के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है। यह बताता है कि किसी भी चुनौती या खतरे का सामना करने के लिए एकता और सहयोग में बड़ी शक्ति होती है। जब भारत और फिलिपींस जैसे देश एक साथ आते हैं और सामरिक अभ्यास करते हैं, तो यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि एकता और सहयोग से बड़ी और शक्तिशाली चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। इस तरह, यह श्लोक और इसका अर्थ इस लेख के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, जो एकता और सहयोग की शक्ति को दर्शाता है।

यह भी जानें –

  1. दक्षिण चीन सागर क्या है?

दक्षिण चीन सागर एक विशाल समुद्री क्षेत्र है जो चीन, वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के बीच स्थित है। यह विश्व के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है और इसमें भारी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और गैस के भंडार हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच संप्रभुता और दावों को लेकर तनाव और संघर्ष भी देखने को मिलता है।

  1. नौवहन स्वतंत्रता क्या है?

नौवहन स्वतंत्रता का अर्थ है समुद्री जलमार्गों में बिना किसी बाधा या रोक-टोक के स्वतंत्र रूप से जहाजों का आवागमन। यह वैश्विक व्यापार और आर्थिक संबंधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में नौवहन स्वतंत्रता का मुद्दा विशेष रूप से संवेदनशील है, जहां कई देश अपने सामरिक हितों के लिए इसे सुनिश्चित करना चाहते हैं।

  1. विस्तारवादी नीतियां क्या हैं?

विस्तारवादी नीतियां वे रणनीतियाँ और कार्यक्रम होते हैं जिनके तहत एक राष्ट्र अपनी भौगोलिक, आर्थिक, या सामरिक सीमाओं का विस्तार करने की कोशिश करता है। यह अक्सर सैन्य बल, राजनीतिक दबाव, या आर्थिक प्रलोभनों के माध्यम से किया जाता है। चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में अपनाई गई नीतियां अक्सर विस्तारवादी मानी जाती हैं, जिसमें वह अन्य देशों के दावों को नकारते हुए अधिक से अधिक क्षेत्र पर नियंत्रण की कोशिश करता है।

  1. आसियान देश कौन-कौन से हैं?

आसियान (ASEAN) यानी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ, एक राजनीतिक और आर्थिक संगठन है जिसमें दस देश शामिल हैं: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया। ये देश आपसी सहयोग, विकास, और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मिलकर काम करते हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों से इन देशों के हित प्रभावित होते हैं, और वे इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करते हैं।

  1. संप्रभुता क्या है?

संप्रभुता एक राष्ट्र की उस सर्वोच्च और अखंड शक्ति को कहते हैं जो उसे अपनी सीमाओं के भीतर पूर्ण राजनीतिक अधिकार और नियंत्रण प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का आधार है। दक्षिण चीन सागर में, विभिन्न देशों की संप्रभुता का मुद्दा उनके समुद्री सीमाओं और दावों के संदर्भ में उठता है, जहां वे अपने अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करते हैं।

  1. नाइन डैश लाइन क्या है?

‘नाइन डैश लाइन’ चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में खींची गई एक काल्पनिक रेखा है, जिसके अंतर्गत वह लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है। इस रेखा को चीन ने 1940 के दशक में पेश किया था, और यह विवादित है क्योंकि इसके तहत आने वाले क्षेत्र में अन्य देशों की समुद्री सीमाएँ और दावे भी आते हैं। इस रेखा के कारण चीन और आसपास के देशों के बीच कई तनाव और संघर्ष उत्पन्न हुए हैं।

  1. स्लाइसिंग पॉलिसी क्या है?

‘स्लाइसिंग पॉलिसी’ या ‘सलामी स्लाइसिंग’ एक रणनीति है जिसमें धीरे-धीरे और छोटे-छोटे कदमों से विवादित क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित किया जाता है, ताकि किसी बड़े संघर्ष के बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में अपनाई गई इस नीति के तहत वह छोटे द्वीपों का निर्माण, सैन्य उपस्थिति बढ़ाना, और अन्य देशों की गतिविधियों को बाधित करके क्षेत्र पर अपना दावा मजबूत करता है। यह रणनीति अन्य देशों के लिए चिंताजनक है क्योंकि यह धीरे-धीरे क्षेत्रीय संतुलन को बदल देती है और उनकी संप्रभुता को चुनौती देती है।