Teacher के आगे BJP और Congress पस्त!

Teacher के आगे BJP और Congress पस्त!सिक्किम में राष्ट्रीय पार्टियों का रथ रोकने वाले सबसे क्रांतिकारी नेता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सिक्किम में सिर्फ उनका ही सिक्का चलने वाला है। सिक्किम में एक बार फिर से सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की सत्ता में वापसी हो गई है और चुनाव परिणामों से यह साफ हो गया है कि SKM को प्रचंड बहुमत मिला है। SKM ने कुल 32 विधानसभा सीटों में से 31 सीटें जीत ली हैं, जबकि एक सीट सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) के खाते में गई है। यह दूसरी बार है जब सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग अपने दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार हो गए हैं।

मुख्यमंत्री तमांग ने रेनोक और सोरिंग चाकुम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों से जीत हासिल की। उन्हें विश्वास था कि सिक्किम के मतदाता उनकी पार्टी को एक और कार्यकाल देंगे। उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी राय ने नामची सि थांग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। 2019 में प्रेम सिंह तमांग ने 17 सीटें हासिल करके राज्य में 24 साल तक सत्ता में रहने वाले चामलिंग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इस बार उन्होंने 32 में से 31 सीटें अपने नाम कर ली हैं।

प्रेम सिंह तमांग का जन्म 5 फरवरी 1968 को नेपाली भाषी माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के घर हुआ था। उन्होंने दार्जिलिंग के कॉलेज से बीए किया और एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया। तमांग ने समाज सेवा के लिए तीन साल की सेवा के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी और फिर एसडीएफ में शामिल हो गए। उनकी तीन दशक की राजनीतिक यात्रा काफी उतार-चढ़ाव वाली रही। वह 1994 से लगातार पांच बार सिक्किम विधानसभा के लिए चुने गए और 2009 तक एसडीएफ सरकार में मंत्री के रूप में काम किया।

एसडीएफ सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-2014) के दौरान चामलिंग ने उन्हें मंत्री पद देने से इंकार कर दिया, जिसके बाद तमांग ने पार्टी ही छोड़ दी और अपना दल बनाया। उन्होंने एसडीएफ के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और एसकेएम प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली। 2016 में तमांग को 1994 से 1999 के बीच सरकारी पैसों की हेराफेरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था और विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।

प्रेम सिंह तमांग राज्य के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने सिक्किम हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती दी, लेकिन फैसले को बरकरार रखा गया, जिसके कारण उन्हें समर्पण करना पड़ा। 2018 में जेल से बाहर निकलने पर हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया और अपने नेता के प्रति एकजुटता दिखाते हुए जुलूस निकाला। अब तमांग दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं, वह भी प्रचंड बहुमत के साथ।

राजनेता: प्रचण्ड: यस्य यस्मिन्प्रतिष्ठित:।

स विजयी भवेत् सर्वे जनानां प्रियकारक:।।

जिस राजनेता का प्रचण्ड प्रभाव और प्रतिष्ठा हो, वह सदैव विजयी होता है और सभी लोगों के प्रियकारक बनता है। इस श्लोक का अर्थ है कि जिस नेता का प्रभाव और प्रतिष्ठा होती है, वही जनमानस के प्रिय होते हैं और विजयी होते हैं। यह सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की कहानी से मेल खाता है, जिन्होंने अपने प्रभाव और प्रतिष्ठा के बल पर भारी बहुमत से चुनाव जीता।