भारत से डरने लगा कनाडा !
कनाडा को अब रूस से अधिक खतरा भारत और चीन से महसूस हो रहा है, क्योंकि ये दोनों देश तेजी से प्रगति कर रहे हैं और अपनी आर्थिक, सैन्य, और राजनीतिक ताकत बढ़ा रहे हैं। इस संदर्भ में कनाडा सहित अन्य देशों को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
भारत और चीन को लेकर हाल ही में एक चर्चा शुरू हुई है जिसमें यह बताया गया कि कनाडा को अब रूस से अधिक खतरा इन दोनों देशों से महसूस हो रहा है। इसमें यह बताया गया कि भारत और चीन दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहे हैं और इनकी बढ़ती ताकत और प्रभाव विश्व के अन्य देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है। विशेष रूप से चीन के विस्तारवादी नीतियों और आर्थिक प्रभाव ने अन्य देशों को सतर्क कर दिया है। इसी तरह, भारत की भी आर्थिक और सैन्य शक्ति में वृद्धि हो रही है जिससे उसकी वैश्विक मंच पर उपस्थिति और प्रभाव बढ़ रहा है। कनाडा जैसे देशों को यह महसूस हो रहा है कि रूस से अधिक, इन दो देशों की बढ़ती ताकत से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी।
इस विषय में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत और चीन की बढ़ती ताकत का प्रभाव सिर्फ आर्थिक या सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक भी है। ये दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं और वैश्विक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस संदर्भ में कनाडा सहित अन्य देशों को अपनी नीतियों और रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस हो रही है ताकि वे इन नई चुनौतियों का सामना कर सकें।
इस चर्चा में यह भी बताया गया कि भारत और चीन की बढ़ती ताकत के पीछे उनकी स्थायी आर्थिक नीतियाँ, तकनीकी प्रगति, और मजबूत नेतृत्व का योगदान है। यह भी उल्लेख किया गया कि इन दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद और प्रतिस्पर्धा होने के बावजूद, वे अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में जुटे हुए हैं।
भारत की डिजिटल क्रांति, स्टार्टअप्स की तेजी से बढ़ती संख्या और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों का उल्लेख भी किया जा सकता है। भारत में तकनीकी क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति ने उसे वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। इसके अतिरिक्त, भारतीय कंपनियाँ अब न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी जगह बना रही हैं। भारत की “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसी योजनाएँ उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रही हैं।
चीन के मामले में, उसकी “बेल्ट एंड रोड” पहल और उसके माध्यम से एशिया, अफ्रीका, और यूरोप में निवेश का विवरण दे सकते हैं। चीन ने अपनी आर्थिक ताकत को बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर निवेश और व्यापार को बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही, चीन ने अपने सैन्य क्षमताओं को भी मजबूत किया है और नई तकनीकों का विकास किया है। उसकी समुद्री शक्ति में वृद्धि और नई रक्षा रणनीतियाँ उसे एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बना रही हैं।
इसके अलावा, दोनों देशों की सैन्य ताकत और तकनीकी उन्नति पर भी प्रकाश डाल सकते हैं, जो वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर रहे हैं। भारत और चीन दोनों ने अपनी-अपनी सेनाओं को आधुनिक उपकरणों और तकनीकों से लैस किया है। भारत की रक्षा नीतियाँ और चीन की विस्तारवादी रणनीतियाँ दोनों ही वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को बदल रही हैं।
इस संदर्भ में कनाडा और अन्य पश्चिमी देशों की प्रतिक्रियाओं और रणनीतियों का विश्लेषण भी महत्वपूर्ण होगा। पश्चिमी देश इन बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए नई नीतियाँ और रणनीतियाँ विकसित कर रहे हैं। कनाडा ने अपनी सुरक्षा और कूटनीतिक नीतियों में बदलाव किए हैं ताकि वह इन नई चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके।
कुल मिलाकर, यह विषय विश्व राजनीति में एक नए ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता है जहाँ पुराने शत्रु और मित्र अब नए रूप में सामने आ रहे हैं और वैश्विक शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। भारत और चीन की बढ़ती ताकत और प्रभाव ने दुनिया के सामने नए सवाल और चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं, जिनसे निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
सर्वशक्तिमती भूमिः, भारतः च चीनः च।
उदितौ नित्यमेव शक्त्या, विश्वे नूतनमार्गे॥
भारत और चीन दोनों ही सर्वशक्तिमान है। वे अपनी शक्ति से प्रतिदिन उदित हो रहे हैं, और विश्व को नए मार्ग पर ले जा रहे हैं।