Indian Navy की हौथी विद्रोहियों को चेतावनी: समुद्री सुरक्षा में वृद्धि

Indian Navy द्वारा हालिया समुद्री घटनाओं के जवाब में अरब सागर में केंद्रीय समुद्री सुरक्षा अभियान शुरू करने की जानकारी दी गई है। इस अभियान के तहत, नौसेना ने युद्ध पोतों की स्थिति में इजाफा किया है और हवाई तथा निगरानी सुरक्षा भी बढ़ा दी है। यह कदम उन लगातार हो रहे हमलों के जवाब में उठाया गया है जिनसे क्षेत्र में शिपिंग और व्यापार मार्गों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। विशेष रूप से, यह कदम 23 दिसंबर को व्यापारिक जहाज MV Saibaba पर हुए एक संदिग्ध ड्रोन हमले के मद्देनजर उठाया गया। इस हमले के बाद, भारतीय नौसेना ने INS Marmugao, INS Kochi, और INS Kolkata सहित कई गाइडेड मिसाइल विध्वंसक को भी तैनात किया है। नौसेना ने एक आधिकारिक प्रेस रिलीज जारी की जिसमें बताया गया कि अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में निवारक उपस्थिति बनाए रखने के लिए लंबी दूरी के समुद्री टोही पीएआई को भी नियमित रूप से डोमेन जागरूकता बनाए रखने का काम सौंपा जा रहा है।

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इस अभियान का पहला लक्ष्य अरब सागर को सुरक्षित करना और व्यापारिक समुद्री गतिविधियों को संभावित खतरों से बचाना है। उम्मीद है कि बढ़ी हुई नौसैनिक उपस्थिति एक निवारक के रूप में कार्य करेगी और समुद्री पर्यावरण की पूरी सुरक्षा और स्थिरता में योगदान देगी। इसके अलावा, पश्चिमी नौसेना कमान का समुद्री संचालन केंद्र, तटरक्षक बल, और अन्य एजेंसियों के साथ निकट समन्वय में स्थिति की सक्रिय रूप से निगरानी कर रहा है।भारतीय नौसेना की विशेष टीम ने हमले के प्रकार और प्रकृति की शुरुआती जांच के लिए जहाज का निरीक्षण किया। जहाज पर पाए गए मलबे के विश्लेषण से ड्रोन हमले की ओर संकेत मिलता है, लेकिन इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों और उपकरणों की प्रकृति की और जांच की जा रही है। इस प्रकार, भारतीय नौसेना ने अपनी तत्परता और सुरक्षा उपायों को मजबूत करते हुए क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं।

“न चोरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि |
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं विद्या धनं सर्वधनप्रधानम् ||”

न तो चोरी से, न राजा द्वारा, न भाई द्वारा बाँटी जा सकती है और न ही यह बोझ बनती है। खर्च करने पर भी यह नित्य बढ़ती है। विद्या रूपी धन सभी धनों में श्रेष्ठ है। यह श्लोक विद्या और ज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डालता है, जो बताता है कि ज्ञान ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है जो कभी चुराई नहीं जा सकती, न ही इसे खोया जा सकता है। इसे लेख के संदर्भ में रखते हुए, भारतीय नौसेना की तैयारी और सामरिक ज्ञान ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। जिस प्रकार विद्या अद्वितीय और अखंडनीय होती है, उसी प्रकार नौसेना की तैयारी और रणनीतिक ज्ञान भी उन्हें अजेय बनाता है। यह ज्ञान और तैयारी ही है जो उन्हें हौथी विद्रोहियों और अन्य समुद्री खतरों का सामना करने में सक्षम बनाती है, और इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा और समुद्री स्थिरता को सुनिश्चित करती है।

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1. भारतीय नौसेना क्या है?

भारतीय नौसेना भारत की समुद्री शाखा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और समुद्री हितों की रक्षा करती है। इसका मुख्य कार्य समुद्री क्षेत्रों में भारत की संप्रभुता की रक्षा करना, समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, और आपदा राहत, खोज और बचाव अभियानों में भाग लेना है। भारतीय नौसेना की स्थापना 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी के मरीन के रूप में हुई थी। 1830 में इसे बॉम्बे मरीन कहा गया, और फिर 1934 में इसे रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया। 1950 में भारत गणराज्य बनने के बाद, इसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया। तब से, नौसेना ने विभिन्न युद्धों, शांति अभियानों, और मानवीय मिशनों में भाग लिया है।

2. हौथी विद्रोही कौन हैं?

हौथी विद्रोही, जिन्हें अंसारुल्लाह के नाम से भी जाना जाता है, यमन के एक शिया मुस्लिम समूह हैं। ये विद्रोही 2004 से यमन सरकार के खिलाफ सक्रिय हैं और उनका मुख्य उद्देश्य अपने समुदाय के लिए अधिक राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करना है। वे यमन में विभिन्न संघर्षों में शामिल रहे हैं और उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित किया है।

3. समुद्री सुरक्षा क्या है?

समुद्री सुरक्षा समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा, स्थिरता, और नौवहन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए उपायों का एक समूह है। इसमें समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने, मानव तस्करी, और समुद्री पर्यावरण की रक्षा जैसे खतरों से निपटना शामिल है। समुद्री सुरक्षा विश्व व्यापार, राष्ट्रीय सुरक्षा, और समुद्री संसाधनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

4. अरब सागर क्या है?

अरब सागर भारतीय महासागर का एक हिस्सा है जो भारत, पाकिस्तान, ईरान, और अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है। यह समुद्री मार्गों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो मध्य पूर्व से दक्षिण एशिया और पूर्वी अफ्रीका तक फैला है। अरब सागर की सामरिक और आर्थिक महत्वता इसे विश्व व्यापार और नौवहन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है।

 5. समुद्री टोही क्या है?

समुद्री टोही एक प्रक्रिया है जिसमें समुद्री क्षेत्रों में जानकारी एकत्र की जाती है ताकि समुद्री सुरक्षा, नौवहन, और संचालन की योजना और निर्णय लेने में मदद मिल सके। यह जानकारी जहाजों की गतिविधियों, मौसम की स्थिति, समुद्री जीवन, और अन्य समुद्री घटनाओं के बारे में हो सकती है। समुद्री टोही नौसेना, तटरक्षक, और अन्य समुद्री संगठनों द्वारा समुद्री सुरक्षा और संचालन को बेहतर बनाने के लिए की जाती है।

6. युद्ध पोत क्या है?

युद्ध पोत वे समुद्री जहाज होते हैं जो विशेष रूप से युद्ध और सैन्य अभियानों के लिए डिजाइन और सुसज्जित किए जाते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के हथियार, रडार, सोनार, और अन्य सैन्य उपकरण शामिल होते हैं जो उन्हें समुद्री युद्ध में प्रभावी बनाते हैं। युद्ध पोतों का उपयोग दुश्मन के जहाजों को नष्ट करने, समुद्री क्षेत्रों की रक्षा करने, और समुद्री अभियानों का समर्थन करने के लिए किया जाता है।

प्रकार:
1. विध्वंसक (Destroyers): तेज गति और उच्च हथियार क्षमता वाले, ये जहाज विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध में प्रयोग होते हैं।
2. फ्रिगेट (Frigates): छोटे आकार के युद्धपोत जो मुख्य रूप से पनडुब्बी रोधी कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
3. विमानवाहक पोत (Aircraft Carriers): बड़े जहाज जो विमानों को ले जाने और उन्हें समुद्र में उतारने/उठाने की क्षमता रखते हैं।
4. कोरवेट (Corvettes):छोटे और तेज युद्धपोत जो तटीय रक्षा और पनडुब्बी रोधी कार्यों के लिए उपयोगी होते हैं।
5. पनडुब्बी (Submarines): पानी के नीचे चलने वाले जहाज जो गुप्त रूप से दुश्मन की सीमाओं में प्रवेश कर सकते हैं और हमला कर सकते हैं।

महत्व: युद्ध पोत एक देश की नौसेना की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक होते हैं। वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और समुद्री सीमाओं की रक्षा, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में भागीदारी में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी उपस्थिति न केवल सैन्य बल के रूप में महत्वपूर्ण है बल्कि यह भी दर्शाती है कि एक देश किसी भी समुद्री खतरे का सामना करने के लिए कितना तैयार है।