2031 तक भारत बनेगा सुपरपावर? जानिए कैसे!

हाल ही में आई एसबीआई और क्रिसिल की रिपोर्टों में भारत की आर्थिक उन्नति के बारे में उल्लेखनीय जानकारी प्रस्तुत की गई है। एसबीआई की रिपोर्ट ने देश में गरीबी में कमी का दावा किया, जबकि क्रिसिल की रिपोर्ट ने देश की तेज विकास दर के आधार पर भविष्यवाणी की है कि 2031 तक भारत एक उच्च मध्यम वर्ग का देश बन सकता है, जिसकी आर्थिक आय दोगुनी होकर 60 ट्रिलियन डॉलर होने की संभावना है।

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क्रिसिल के मुताबिक, देश की घरेलू संरचनात्मक सुधारों के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, और यह 2031 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इसके अलावा, भारत की प्रति व्यक्ति आय भी उच्च मध्यम वर्ग श्रेणी में पहुँच जाएगी, जिसकी वजह से प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 5000 डॉलर हो सकती है। इसके पीछे मुख्य कारणों में वृद्धिशील क्षमता उपयोग, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश, हरित क्षेत्रों की ओर तेजी से कदम और लेंडर्स की मजबूत बैलेंस शीट शामिल हैं।

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क्रिसिल का मानना है कि लगातार जारी सुधार, बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा, और वैल्यू चेन में आगे बढ़ने से भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 2031 में 20% से ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा संक्रमण, मैन्युफैक्चरिंग, और सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में प्रमुख योगदान देंगे। क्रिसिल के अनुसार, 2025 से 2031 के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.1% और सेवा क्षेत्र में 6.9% की दर से विकास का अनुमान है। हालाँकि इस विकास पथ पर भू-राजनीतिक तनाव, असमान वैश्विक सुधार, जलवायु परिवर्तन, और तकनीकी बाधाएँ चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं। फिर भी, भारत की आर्थिक प्रगति की दिशा में ये कदम निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं।

“समृद्धिर्नाम नैकत्र वर्तते, यत्र योगक्षेमं वहाम्यहम्।”

“समृद्धि केवल एक जगह पर नहीं रहती, मैं जहाँ भी जाऊँगा, वहाँ प्रगति और कल्याण को सुनिश्चित करूँगा।” यह श्लोक और इसका अर्थ लेख में वर्णित भारत की आर्थिक प्रगति और समृद्धि के बढ़ते कदमों को दर्शाता है। जैसे कि भारत अपनी विविध सुधारों और विकास नीतियों के माध्यम से प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू रहा है, यह श्लोक उसी प्रगति और समृद्धि के लिए साझा मार्गदर्शन प्रदान करता है।