क्या लद्दाख में लागू होगा आर्टिकल 371? जानिए कैसे बदलेगी चीन और पाकिस्तान की चाल!

इस लेख में हम लद्दाख में आर्टिकल 371 के संभावित लागू होने पर चर्चा करेंगे और इससे चीन तथा पाकिस्तान के प्रतिक्रियाओं पर विचार करेंगे। जैसा कि ज्ञात है, जब आर्टिकल 370 को हटाया गया था, उस समय लद्दाख और जम्मू-कश्मीर एक संयुक्त राज्य के रूप में थे और अलग-अलग दो यूनियन टेरिटरीज नहीं थे। आर्टिकल 370 के हटाने के बाद, चीन और पाकिस्तान ने मजबूत प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। अब अगर लद्दाख में आर्टिकल 371 लागू होता है, तो इसका प्रभाव क्या होगा?

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वर्तमान में केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह होगा या नहीं, मगर अनेक रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि लद्दाख में आर्टिकल 371 लागू किया जा सकता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि आर्टिकल 370 और 371 में मौलिक अंतर है। आर्टिकल 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में काफी प्रगति देखी गई है। आर्टिकल 370 और 35A के अंतर्गत, भारत के अन्य क्षेत्रों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे और जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा और संविधान था।

आर्टिकल 371 विभिन्न राज्यों में विशेष प्रावधानों के लिए प्रदान करता है। यह महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, आसाम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और कर्नाटका में लागू है। इसका उद्देश्य किसी भी राज्य या यूनियन टेरिटरी में विशेष प्रावधानों को शामिल करना है जो अन्य राज्यों में उपलब्ध नहीं हैं। इसमें विकास के लिए विशेष निकायों का निर्माण, पर्यावरणीय संवेदनशीलता के आधार पर पर्यटन पर नियंत्रण जैसे विशेष प्रावधान शामिल हो सकते हैं।

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आर्टिकल 371 के लद्दाख में लागू होने से यह क्षेत्र विकास, संरक्षण और प्रबंधन में विशेष प्रावधानों का लाभ उठा सकेगा, जो इसे अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और स्थानीय समुदायों के हितों की रक्षा करेगा। लद्दाख की जनता से उठ रही मांगों के बीच, विशेषकर सोनम वांगचुक और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की अगुवाई में लद्दाख में आर्टिकल 371 को लागू करने की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है। इसके अतिरिक्त लद्दाख के लिए स्टेटहुड की मांग और शेड्यूल सिक्स के लागू होने की चर्चाएं भी सामने आई हैं। शेड्यूल सिक्स के तहत, ट्राइबल पॉपुलेशन वाले क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें स्वयं के नियमों के तहत शासन करने का अधिकार मिलता है। इस दृष्टिकोण से लद्दाख में आर्टिकल 371 लागू करना वहां की जनता के लिए विकास, नौकरियों के सृजन, और पर्यावरण संरक्षण में मददगार सिद्ध हो सकता है।

चाइना और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया की बात करें तो, लद्दाख में आर्टिकल 371 के लागू होने पर, इन देशों से राजनीतिक और कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं की संभावना है। चूंकि लद्दाख क्षेत्र में पीओके, शक्स गम वैली और अक्साई चिन जैसे विवादित क्षेत्र भी आते हैं, इसलिए इस कदम को लेकर चीन और पाकिस्तान की ओर से मजबूत प्रतिक्रिया आ सकती है। इतिहास गवाह है कि जब आर्टिकल 370 को हटाया गया था, तब चीन ने सैन्य और राजनीतिक स्तर पर कई प्रतिक्रियाएं दी थीं।

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इस संदर्भ में, आर्टिकल 371 लद्दाख में लागू करने का निर्णय न केवल आंतरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी एक नया अध्याय जोड़ेगा। इस बदलाव से जम्मू-कश्मीर में भी इसी तरह की मांगों के उठने की संभावना है, जिससे इस क्षेत्र की राजनीतिक और सामाजिक गतिशीलता में व्यापक परिवर्तन आ सकता है। इस परिदृश्य में, आगे चलकर यह देखना अत्यंत रोचक होगा कि इस निर्णय से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं और परिणामों का भारत और इसके पड़ोसी देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

“सर्वेषां स्वदेशे सुखिनः भवन्तु, सर्वेषां संरक्षिताः संवर्धिताः।

सर्वत्र शांतिः प्रवर्धताम् न कश्चिद् दुःखमाप्नुयात्॥”

“सभी अपने देश में सुखी हों, सभी की रक्षा और विकास हो। हर जगह शांति बढ़े, कोई भी दुःख न पाए।” यह श्लोक लद्दाख में आर्टिकल 371 के संभावित लागू होने और इससे संबंधित चिंताओं और उम्मीदों को दर्शाता है। जैसे इस श्लोक में सभी के विकास और सुरक्षा की कामना की गई है, वैसे ही आर्टिकल 371 के लागू होने से लद्दाख में विकास और स्थानीय समुदायों की रक्षा की उम्मीद है।