अब Bharat नहीं आ पाएंगे मालदीव के राष्ट्रपति !

Bharat और मालदीव के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव के संदर्भ में, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। मालदीव के राष्ट्रपति, जिन्होंने ‘इंडिया आउट’ का नारा लगाकर सत्ता में आए थे, अब भारत नहीं आ पाएंगे। इस निर्णय का कारण उनके भारत विरोधी अभियान और Bharat के प्रति उनके अपमानजनक रवैये को माना जा रहा है।

चीनी मीडिया द्वारा Bharat के खिलाफ प्रचार किए जाने के बावजूद, भारतीय प्रधानमंत्री ने मालदीव का नाम तक नहीं लिया और उन्होंने भारत के विचारों पर ज्ञान देने की कोशिश की। इस बीच, मालदीव सरकार ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की Bharat यात्रा का प्रस्ताव रखा था, लेकिन भारत ने तनाव के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया।

Bharat नहीं चाहता था कि एंटी इंडिया देश का राष्ट्रपति भारत आए। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोचा था कि वह भारत का अपमान करेंगे और फिर भारत दौरे पर आकर प्रधानमंत्री से सम्मान पा लेंगे, लेकिन उनकी यह भूल उन्हें भारी पड़ गई। भारत ने ना तो मालदीव को और ना ही मालदीव की चीनी फैन राष्ट्रपति को कोई भाव दिया। इस मामले से परिचित लोगों ने बताया कि तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों समेत कई कारकों के कारण यह यात्रा आगे नहीं बढ़ी।

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दरअसल, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू पिछले साल मालदीव दौरे पर पहुंचे थे, तब राष्ट्रपति मुइज्जू ने उनके साथ बैठक में भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग को दोहराया, जिससे मामला और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गया। इसके अलावा, माले में सरकार के करीबी कई नेताओं ने भारत और उसके नेतृत्व के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की, जिसके बाद मुइज्जू की सरकार ने टिप्पणियों पर तीन उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया। इस प्रकार, भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव और बढ़ गया है।

इस घटनाक्रम के बाद, मालदीव के राष्ट्रपति की Bharat यात्रा का प्रस्ताव अब और भी असंभव हो गया है। चीन जाने के बाद भारत आने का सपना अब सिर्फ सपना रह जाएगा। मालदीव के राष्ट्रपति को लगा था कि वह ‘इंडिया आउट’ का नारा लगाएंगे, भारत विरोधी कैंपेन चलाएंगे, भारत का अपमान करेंगे और फिर भारत दौरे पर आकर प्रधानमंत्री से सम्मान पा लेंगे। यह भूल मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू को भारी पड़ गई और अब भारत और मालदीव के राजनीतिक संबंधों पर भी तलवार लटक गई है।

भारतीय पर्यटकों का मालदीव न जाने के निर्णय से उत्पन्न होने वाले प्रभावों को समझने के लिए, हमें मालदीव की अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग पर भारतीय पर्यटकों के महत्व को देखना होगा। मालदीव, जो अपनी सुंदर समुद्री तटों और लक्जरी रिसॉर्ट्स के लिए प्रसिद्ध है, भारतीय पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है। भारतीय पर्यटक, जो मालदीव के पर्यटन उद्योग में एक बड़ा हिस्सा रखते हैं, उनका यहाँ न आना मालदीव की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है।

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पर्यटन मालदीव की जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा है और इसके अर्थव्यवस्था में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय पर्यटकों के आगमन में कमी से होटल, रिसॉर्ट्स, और अन्य पर्यटन संबंधित सेवाओं की मांग में भारी गिरावट आ सकती है। इससे न केवल पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा, बल्कि इसके चलते रोजगार के अवसरों में भी कमी आएगी, जिससे स्थानीय निवासियों की आय और जीवन स्तर पर भी प्रभाव पड़ेगा।इसके अलावा, भारतीय पर्यटकों का मालदीव न जाना दोनों देशों के बीच के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों पर भी असर डाल सकता है। भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से स्थापित संबंधों में तनाव आने से द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, और अन्य सहयोगात्मक पहलों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।अंततः, भारतीय पर्यटकों का मालदीव न जाने का निर्णय न केवल मालदीव की पर्यटन उद्योग के लिए, बल्कि उसकी समग्र अर्थव्यवस्था और भारत के साथ उसके संबंधों के लिए भी दीर्घकालिक परिणाम ला सकता है। इससे दोनों देशों के बीच के संबंधों में और अधिक जटिलताएं और चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।

“विद्या विनयेन शोभते।”

अर्थ – “विद्या विनम्रता के साथ शोभा पाती है।” इस श्लोक का संबंध लेख से इस प्रकार है कि यह बताता है कि ज्ञान या शक्ति का प्रयोग विनम्रता और समझदारी के साथ करना चाहिए। लेख में वर्णित मालदीव के राष्ट्रपति के व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि उनके अभिमान और भारत विरोधी रवैये ने दोनों देशों के बीच के संबंधों को प्रभावित किया है। यदि वे विनम्रता और समझदारी के साथ अपने पद का उपयोग करते, तो शायद इस तरह की स्थिति नहीं बनती। इसी प्रकार, भारतीय पर्यटकों का मालदीव न जाने का निर्णय भी इस बात का प्रतीक है कि रिश्तों में विनम्रता और सम्मान का होना कितना महत्वपूर्ण है।

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प्रश्न: मालदीव क्या है?

उत्तर: मालदीव एक द्वीपीय राष्ट्र है जो हिंद महासागर में स्थित है। यह लगभग 1,200 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है, जो 26 एटोल्स में विभाजित हैं। मालदीव की राजधानी माले है, जो इसका सबसे बड़ा शहर भी है। यह देश अपनी अद्भुत समुद्री सुंदरता, साफ़ पानी, और विलासिता पूर्ण रिसॉर्ट्स के लिए विश्वविख्यात है। मालदीव का इतिहास बहुत ही रोचक और विविधतापूर्ण है। इसके इतिहास की शुरुआत लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी से मानी जाती है। प्राचीन काल में, यह द्वीप समूह विभिन्न समुद्री व्यापारिक मार्गों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। 12वीं शताब्दी में इस्लाम धर्म का आगमन हुआ और मालदीव एक मुस्लिम राष्ट्र बन गया। इसके बाद, यह क्षेत्र विभिन्न शक्तियों जैसे पुर्तगालियों, डचों, और ब्रिटिशों के अधीन रहा। 1965 में मालदीव ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। आधुनिक मालदीव एक विकासशील देश है जिसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन, मछली पकड़ने, और शिपिंग पर निर्भर करती है। पर्यटन इसकी जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा है और यह दुनिया भर से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। मालदीव की संस्कृति इसके इतिहास, धर्म, और भौगोलिक स्थिति का एक अनूठा मिश्रण है, जो इसे एक विशेष और अनोखा गंतव्य बनाता है।

प्रश्न: जीडीपी क्या है?

उत्तर: जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (Gross Domestic Product) एक आर्थिक संकेतक है जो किसी देश की आर्थिक स्थिति और उसकी अर्थव्यवस्था के आकार को मापता है। यह एक निश्चित समयावधि में, उस देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योग होता है। जीडीपी का उपयोग एक देश की आर्थिक वृद्धि और विकास को मापने के लिए किया जाता है। यह नागरिकों की आय, रोजगार के अवसरों, और जीवन स्तर का भी एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

जीडीपी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह देशों की आर्थिक तुलना करने का एक मानक तरीका प्रदान करता है। उच्च जीडीपी वाले देशों को आम तौर पर अधिक समृद्ध माना जाता है, जबकि कम जीडीपी वाले देशों को विकासशील या कम आय वाले देशों के रूप में देखा जाता है। हालांकि, जीडीपी एक सीमित संकेतक है क्योंकि यह आय के वितरण, सामाजिक कल्याण, और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को नहीं दर्शाता है। इसलिए, जीडीपी के साथ-साथ अन्य संकेतकों का भी उपयोग करके एक देश की समग्र आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाता है।