Sansad: लोकसभा में अखिलेश यादव ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए!

लोकसभा में अखिलेश यादव का भाषण देश की मौजूदा स्थिति, सरकार की नीतियों और भविष्य की राजनीति पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करता है। उन्होंने न केवल सत्ता पक्ष की आलोचना की, बल्कि आगामी चुनावों और जनता की अपेक्षाओं के संदर्भ में सकारात्मक राजनीति और सामाजिक न्याय पर भी जोर दिया। आइए इस भाषण के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

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लोकतंत्र और चुनाव: जनता की भूमिका

अखिलेश यादव ने अपने भाषण की शुरुआत धन्यवाद ज्ञापन से की। उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को अपनी बात रखने का अवसर देने के लिए अध्यक्ष महोदय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी चुने हुए सांसदों को बधाई दी और देश के ईमानदार और समझदार मतदाताओं का धन्यवाद किया, जिन्होंने लोकतंत्र को एक तंत्र बनने से रोका।

उन्होंने चुनावी प्रक्रिया की तारीफ की और कहा कि जनता ने इस बार सरकार का गुरूर तोड़ दिया। चुनाव के समय पर ऐसा कहा गया था कि 400 पार, लेकिन जनता ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कहा, “दरबार तो लगा है, लेकिन बड़ा गमगीन है। पहली बार ऐसा लग रहा है कि हारी हुई सरकार विराजमान है। जनता का मानना है कि यह सरकार चलने वाली नहीं है, गिरने वाली है।”

अखिलेश यादव ने जनता की समझदारी और मतदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जनता ने सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और लोकतंत्र की रक्षा की।

सकारात्मक राजनीति और सामाजिक न्याय: पीडीए की नैतिक जीत

अखिलेश यादव ने पीडीए (प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक एलायंस) और इंडिया एलायंस की नैतिक जीत को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव सकारात्मक राजनीति और सामाजिक न्याय की जीत है। 2024 का परिणाम हमारे लिए जिम्मेदारी से भरा पैगाम है।

उन्होंने कहा, “अगर 15 अगस्त 1947 उपनिवेश राजनीत से आजादी का दिन था, तो 4 जून 2024 देश के लिए संप्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन रहा। यह संप्रदायिक राजनीति के अंत और समुदायिक राजनीति की शुरुआत है।” अखिलेश यादव ने इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव सकारात्मक पॉलिटिक्स और सामाजिक न्याय की जीत है।

आर्थिक स्थिति: सरकार की नीतियों पर सवाल

अखिलेश यादव ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि हम फिफ्थ लार्जेस्ट इकॉनमी बन गए हैं, लेकिन प्रति व्यक्ति आय की स्थिति क्या है? उन्होंने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए 35% ग्रोथ की आवश्यकता पर भी चर्चा की, जो संभव नहीं लगती।

उन्होंने कहा, “हम हंगर इंडेक्स में कहां खड़े हैं? जो फिफ्थ लार्जेस्ट इकॉनमी की बात कर रहे हैं, वह इक्वलिटी के पैरामीटर पर कहां खड़े हैं? हैप्पीनेस इंडेक्स में कहां खड़े हैं?”

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हो रही है और भ्रष्टाचार के गड्ढे प्रदेश का नाम खराब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के जुमले का भी हाल बुरा है, ना तो जाम से छुटकारा मिला, ना ही बुनियादी सुविधाएं मिलीं।

गंगा नदी की सफाई और विकास का वादा

गंगा नदी की सफाई के वादों पर बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि गंगा नदी की सफाई को लेकर किए गए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। बनारस की गलियों से लेकर गंगा तक लोग उम्मीद कर रहे थे कि सफाई होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हो रही है और भ्रष्टाचार के गड्ढे प्रदेश का नाम खराब कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “अनाथ पशुओं की समस्या को हल करने के वादे किए गए थे, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। गन्ने का भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है। हर बात को जुमला बना देने वाली सरकार पर जनता का भरोसा उठ गया है। इसलिए बहुमत की सरकार नहीं है, यह सहयोग से चलने वाली सरकार है।”

शिक्षा और रोजगार: पेपर लीक और बेरोजगारी

अखिलेश यादव ने शिक्षा और रोजगार के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हर परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। यह सरकार पेपर लीक इसलिए कराती है ताकि नौकरी ना देनी पड़े और आरक्षण की व्यवस्था को तोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना देश की सुरक्षा के साथ समझौता है और इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि सरकार पेपर लीक इसलिए करा रही है ताकि सरकार नौकरी नहीं देना चाहती, रोजगार नहीं देना चाहती। उन नौजवानों का भविष्य नहीं बनने देना चाहती। पिछले 10 सालों की उपलब्धि बस इतनी रही है कि एक शिक्षा परीक्षा माफिया का जन्म हुआ है, जिसने तथाकथित अमृत काल में युवाओं के भविष्य की आशाओं को जहर दे दिया है।”

कृषि और एमएसपी: किसानों की स्थिति

कृषि और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन महंगाई के बढ़ते स्तर के बावजूद किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई नई मंडी नहीं बनाई गई है।

उन्होंने कहा, “अगर इस सरकार में एक भी नई मंडी बनी हो, तो मुझे सरकार बता दे। जो सरकार मंडी नहीं बना सकती, उस पर एमएसपी का भरोसा कैसे कर सकते हैं?”

भविष्य की राजनीति: ईवीएम और सामाजिक न्याय

अखिलेश यादव ने ईवीएम पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं था और आज भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक ईवीएम नहीं हटाई जाएगी, समाजवादी पार्टी उस मुद्दे पर अड़ी रहेगी। उन्होंने कास्ट सेंसस (जातिगत जनगणना) की मांग की और कहा कि बिना कास्ट सेंसस के सामाजिक न्याय संभव नहीं है।

निष्कर्ष: एक नई उम्मीद

अखिलेश यादव ने अपने भाषण का समापन उम्मीद और आशा के साथ किया। उन्होंने कहा कि अगली बार जब राष्ट्रपति जी का भाषण होगा, वह सरकारी भाषण नहीं होगा बल्कि सच्चाई के साथ होगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश की समझदार जनता का धन्यवाद किया और उम्मीद जताई कि भविष्य में सच्चाई और न्याय की राजनीति की जीत होगी।

अखिलेश यादव का यह भाषण न केवल सरकार की आलोचना करता है, बल्कि भविष्य की राजनीति के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उनका जोर सामाजिक न्याय, सकारात्मक राजनीति और वास्तविक विकास पर है, जो जनता की उम्मीदों को पूरा करने का वादा करता है।

उन्होंने कहा, “आशा है यह सरकार तब तक चलेगी, जब तक उसके केंद्र में इस देश का हर एक गरीब, शोषित, वंचित, पीड़ित, पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी, महिला, युवा, छोटा कारोबारी, ईमानदार नौकरी पेशा आम आदमी और कर्मचारी अधिकारी मजदूर और किसान होगा। ना कि धनवान होगा। और शासन के आधार पर संविधान होगा, जुमलो की जगह सच में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी, संप्रदाय हिंसा, दलित व महिला उत्पीड़न, सामाजिक अन्याय जैसे मूलभूत मुद्दों का समाधान होगा।”

अखिलेश यादव ने अपने भाषण में न केवल वर्तमान सरकार की नीतियों की आलोचना की, बल्कि एक नई और सकारात्मक राजनीति की उम्मीद भी जताई। उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था: सामाजिक न्याय, आर्थिक सुधार और सकारात्मक राजनीति के माध्यम से देश की प्रगति। यह भाषण न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि समाज के हर वर्ग की उम्मीदों और अपेक्षाओं को भी आवाज देने वाला था।

नायकाः ये प्रजासेवायां, न्यायमार्गेण यान्ति यः।
तेषां राज्यं सदा स्थायि, सुखसमृद्धिः प्रजासु च॥

जो नेता जनता की सेवा करते हैं और न्याय के मार्ग पर चलते हैं, उनका राज्य हमेशा स्थायी होता है और जनता में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह श्लोक अखिलेश यादव के भाषण की भावना को दर्शाता है, जहाँ उन्होंने सकारात्मक राजनीति, सामाजिक न्याय और जनता की सेवा पर जोर दिया। उन्होंने जनता की समस्याओं और सरकार की नीतियों पर प्रश्न उठाए, जिससे न्याय और सेवा का महत्व स्पष्ट होता है।