दिल्ली का दमघोंटू आसमान: जानिए कैसे शहर गैस चैम्बर में तब्दील हो रहा है
दिल्ली का वायु प्रदूषण बेहद गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे स्वास्थ्य संकट बढ़ा है। सरकार ने आपातकालीन उपाय जैसे निर्माण कार्यों पर रोक और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल की सलाह दी है। क्रिकेट विश्व कप में आतिशबाजी पर प्रतिबंध के साथ, खेल और स्वास्थ्य की सुरक्षा पर जोर दिया जा रहा है।
दिल्ली का आसमान एक बार फिर धुंध की घनी चादर से ढक गया है, जिससे हमारी चिंताएँ बढ़ गई हैं। आज सुबह जब शहर ने अपनी आँखें खोलीं, तो वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने खतरे की नई ऊँचाइयों को छू लिया। 483 का आंकड़ा न सिर्फ आंकड़ों में, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ रहा है। WHO के अनुसार, सुरक्षित हवा का मानक (standard) 50 के नीचे होता है, और हम इससे कहीं ऊपर हैं।
निम्न तापमान, शांत हवाएं, और आस-पास के क्षेत्रों में पराली जलाने (crop burning) के कारण यह स्थिति और भी बदतर हो गई है। इससे दिल्लीवासियों को आँखों में जलन और गले में खराश की शिकायतें हो रही हैं। यह माहौल न सिर्फ स्वस्थ व्यक्तियों के लिए चिंताजनक है, बल्कि उनके लिए भी जो पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं (health issues) से जूझ रहे हैं।
चिंता की बात यह है कि PM2.5 का स्तर भी बहुत अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए और भी खतरनाक (hazardous) है। इसके दीर्घकालिक प्रभाव (long-term effects) से हृदय (cardiac) और श्वसन (respiratory) संबंधी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
इस समस्या को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने लोगों से घरों के अंदर रहने, सार्वजनिक परिवहन (public transport) का अधिक उपयोग करने और जहाँ संभव हो, घर से काम करने की सलाह देते हुए एक आपातकालीन योजना (emergency plan) शुरू की है। इसी के साथ, क्रिकेट विश्व कप के आयोजकों ने भी मुंबई और दिल्ली में होने वाले मैचों में आतिशबाजी (fireworks) के उपयोग पर रोक लगाई है।
इस क्रिकेट विश्व कप में, बांग्लादेश को सोमवार को दिल्ली में श्रीलंका के साथ खेलना है, पर धुंध के कारण उन्होंने अपना अभ्यास सत्र (practice session) रद्द कर दिया है।
अंत में हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि यह सिर्फ एक शहर की समस्या नहीं है. यह हम सबकी समस्या है। हमें इस दिशा में सोच-समझकर कदम उठाने होंगे और प्रदूषण (pollution) कम करने के लिए मिलकर काम करना होगा। जन-जागरूकता और सही निर्णय इस समस्या का समाधान कर सकते हैं. सरकार और अधिकारियों को भी इस मामले में सजग और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। हम सब मिलकर इसे हल कर सकते हैं।