Aman Sehrawat: जानिए कैसे रातोंरात वजन घटाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता!

Aman Sehrawat ने पैरिस ओलंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया। उन्होंने वजन कम करने के लिए रात भर मेहनत की और कोचों की मदद से 10 घंटे में अपना वजन नियंत्रित किया। उनकी इस सफलता ने उन्हें भारत के सबसे युवा ओलंपिक मेडलिस्ट बना दिया।

Aman Sehrawat: जानिए कैसे रातोंरात वजन घटाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता!
Aman Sehrawat

भारतीय युवा पहलवान अमन सेहरावत ने पैरिस ओलंपिक 2024 में ब्रॉन्ज (bronze) मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया। यह मेडल जीतने के लिए उन्हें रात भर कड़ी मेहनत करनी पड़ी। दरअसल, भारतीय पहलवानों के लिए इस वक्त सबसे बड़ा टास्क अपने वजन को नियंत्रित करना था, खासकर जब विनेश फोगाट के मामले के बाद उन्हें 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण डिसक्वालिफाई (disqualify) कर दिया गया था। अमन सेहरावत का वजन 4.6 किलोग्राम बढ़ गया था, और उन्हें मेडल मैच से पहले इस अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए रात भर मेहनत करनी पड़ी।

अमन ने शुक्रवार को 57 किलो वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम बढ़ा दिया। लेकिन इस मेडल को जीतने से पहले, उन्हें सेमीफाइनल (semi-final) के बाद अपने वजन को कम करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी। सेमीफाइनल में हार के बाद, उनका वजन अचानक से 61.5 किलोग्राम पहुंच गया था, जो कि 57 किलोग्राम की सीमा से 4.5 किलोग्राम अधिक था। उनके सीनियर कोच जगविंदर सिंह और वीरेंद्र ने इस मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया और अमन ने लगातार 10 घंटे की मेहनत के बाद अपना वजन नियंत्रित किया।

अमन की वजन कम करने की प्रक्रिया में उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे का मैट सेशन किया, जिसमें उन्हें खड़े होकर कुश्ती करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके बाद एक घंटे तक गर्म पानी से स्नान कराया गया, जिससे पसीना निकला और वजन थोड़ा कम हुआ। 12:30 बजे अमन जिम गए और ट्रेडमिल (treadmill) पर एक घंटे तक बिना रुके दौड़ लगाई। इसके अलावा, उन्होंने 30 मिनट के बाद 5 मिनट के सौना बाथ के पांच सेशन लिए। आखिरी सेशन के अंत तक उनका वजन 900 ग्राम अधिक था। यहां पर भी एक चुनौती थी कि इन 900 ग्राम को कैसे कम किया जाए।

कोचों ने अमन की मसाज (massage) कराई और फिर हल्की जॉगिंग (jogging) करवाई, जिससे पसीना निकलकर वजन कम हुआ। अंततः सुबह 4:30 बजे तक अमन का वजन 56.9 किलोग्राम पर पहुंच गया, जो उनकी वेट कैटेगरी (weight category) में 100 ग्राम कम था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनका वजन अंत तक स्वीकार्य सीमा में रहे, जिससे वे ब्रॉन्ज मेडल के लिए योग्य बने रहें।

अमन ने डेरियन टई क्रूज को हराकर मेडल अपने नाम किया और इतिहास रच दिया। वे सबसे कम उम्र में ओलंपिक में मेडल जीतने वाले भारत के पहले पहलवान बन गए। 21 साल के अमन का यह पहला ओलंपिक था, और उन्होंने अपनी मेहनत और धैर्य से देश का नाम ऊंचा किया। भारत के ओलंपिक में अब छह मेडल हैं, जिनमें पांच ब्रॉन्ज हैं, जो शूटिंग, कुश्ती, और हॉकी से मिले हैं, और एक सिल्वर (silver) है जो जैवलिन थ्रोअर (javelin thrower) नीरज चोपड़ा ने दिलवाया है।

अमन की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। उन्होंने ओवरवेट (overweight) होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और देश का सिर ऊंचा रखा। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें आज देशभर में एक हीरो बना दिया है। उनकी इस यात्रा ने दिखाया कि यदि आप मेहनत और धैर्य से काम करें, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

अथवा विनियोगेन कर्तुं श्रम एव साधनम्।
सिद्धिमायाति धैर्येण यः श्रमेण निषेधति॥

किसी कार्य को पूरा करने के लिए श्रम ही साधन होता है। जो व्यक्ति धैर्यपूर्वक मेहनत करता है, वह सफलता प्राप्त करता है। यह श्लोक अमन सेहरावत की कहानी से मेल खाता है। उन्होंने धैर्य और कठिन परिश्रम से अपना वजन कम किया और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सफलता प्राप्त की। यह दर्शाता है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी चुनौती का समाधान संभव है।