Vinesh Phogat : एक रात जिसने बदल दी उनकी दुनिया!
Vinesh Phogat ने पेरिस ओलंपिक्स में अत्यधिक मेहनत और संघर्ष किया। वजन बढ़ने के कारण उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया, लेकिन उनका संघर्ष प्रेरणादायक है।
विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक्स का अनुभव काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा। इस प्रतियोगिता में वे एक महत्वपूर्ण मौके से चूक गईं, जब उनका वजन 100 ग्राम अधिक होने के कारण उन्हें फाइनल से डिसक्वालिफाई (अयोग्य घोषित) कर दिया गया। इस कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए, उनके कोच, वलर एकस, जो हंगरी से हैं, ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया था, जिसमें उन्होंने विनेश के संघर्षों का वर्णन किया था।
वलर ने बताया कि सेमीफाइनल के बाद विनेश का वजन 2.7 किलो अधिक हो गया था, और इसे कम करने के लिए उन्होंने और विनेश ने मिलकर काफी मेहनत की। 1 घंटे और 20 मिनट की कठोर व्यायाम (exercise) के बावजूद, उनका वजन 1.5 किलो अधिक रह गया था। इस प्रक्रिया के दौरान, विनेश के शरीर पर पसीने की एक भी बूंद नहीं दिखाई दी, जिससे उनका कोच चिंतित हो गए। वलर ने बताया कि विनेश ने रात भर अलग-अलग कार्डियो मशीनों और कुश्ती के मुव्स पर काम किया, लेकिन फिर भी वजन कम नहीं हो सका।
इस कठिनाई के बीच, विनेश इतनी थक चुकी थीं कि वे गिर गईं, लेकिन किसी तरह उन्हें संभाला गया। वलर ने अपने पोस्ट में यह भी साझा किया कि एक समय पर उन्हें लगा कि विनेश इस कठिन प्रयास के चलते अपनी जान भी गंवा सकती हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां पर पीटी उषा उनसे मिलने भी आईं।
अस्पताल से लौटते समय, विनेश ने अपने कोच से कहा कि वे मायूस न हों क्योंकि उन्होंने अपने गोल को प्राप्त कर लिया है – दुनिया की बेहतरीन पहलवानों में से एक को हराकर। यह घटना जापान की सुसाकी के खिलाफ हुई थी, जहां विनेश ने पहले ही राउंड में उस रेसलर को हराया था जिसने पहले कभी हार नहीं मानी थी। विनेश ने शानदार तरीके से फाइनल तक का सफर तय किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अंतिम समय में डिसक्वालिफाई किया गया।
इस कठिन समय में, कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने विनेश की अपील को खारिज कर दिया, और इस निर्णय के लिए कोई विस्तृत कारण नहीं दिया गया। उनके वकील ने बताया कि वे एक विस्तृत निर्णय का इंतजार कर रहे हैं, जो 10 से 15 दिनों में आ सकता है। इसके बाद, विनेश के पास एक और अपील करने का विकल्प हो सकता है, जो वे स्विस ट्रिब्यूनल में कर सकती हैं।
विनेश फोगाट के इस संघर्ष और उनके कोच की दिल दहला देने वाली कहानी ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 17 तारीख को सुबह 10 बजे वे भारत लौटने वाली हैं, और इससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक क्रिप्टिक पोस्ट भी साझा किया है। उनके प्रशंसक और समर्थक इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं, और सभी उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अधर्म का उत्थान होता है, तब-तब मैं अपनी आत्मा को सृजन करता हूँ। यह श्लोक विनेश फोगाट के संघर्ष और दृढ़ निश्चय को दर्शाता है। जब कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ अपने चरम पर थीं, तब उन्होंने अपने साहस और मेहनत से उस संघर्ष का सामना किया। उनकी दृढ़ता एक प्रेरणा है कि जब भी जीवन में मुश्किलें आएं, तब हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।