प्रोबा-3 मिशन: क्यूँ यह भारत और यूरोप के लिए है खास?

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में एक अभूतपूर्व प्रयोग करना है, जिसमें भारत की प्रमुख भूमिका है। यह मिशन, जिसे 2024 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रतिष्ठित पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा, दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा। इन उपग्रहों की खासियत यह है कि वे अंतरिक्ष में एक-दूसरे के साथ नियंत्रित गठन में उड़ान भरेंगे, जिससे एक कृत्रिम सूर्य ग्रहण का निर्माण होगा। इससे वैज्ञानिकों को सूर्य के बाहरी वातावरण का अधिक सटीक अवलोकन करने में मदद मिलेगी।
प्रोबा-3 मिशन की विशेषता यह है कि यह उपग्रहों के बीच अत्यंत सटीक गठन उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा। इस मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं – एक कोरोनाग्राफ और एक ऑकल्टर, जो लगभग 150 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे के साथ उड़ान भरेंगे। इस तरह के मिशन से भविष्य के बहु-उपग्रह मिशनों के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी, जहां एकाधिक उपग्रह एक वर्चुअल संरचना के रूप में कार्य कर सकते हैं।
प्रोबा (Project for On-Board Autonomy) सैटेलाइट श्रृंखला, जिसका पहला मिशन प्रोबा-1 था, ने नई तकनीकों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए एक मंच प्रदान किया। इसी तरह, प्रोबा-वी (Vegetation) मिशन ने वनस्पति निगरानी के लिए एक छोटे उपग्रह पर उन्नत ऑप्टिकल उपकरणों का उपयोग किया। ये मिशन अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में नवाचार और स्वायत्तता के लिए ESA की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

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पीएसएलवी, जो इसरो का एक विश्वसनीय और सफल प्रक्षेपण वाहन है, इस मिशन के लिए एक आदर्श प्लेटफार्म प्रदान करता है। इसरो और ESA के बीच इस तरह की साझेदारी न केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका को भी स्थापित करती है। प्रोबा-3 मिशन के माध्यम से प्राप्त जानकारी से न केवल खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नई जानकारियां मिलेगी, बल्कि यह सूर्य के कोरोना की बेहतर समझ और सौर भौतिकी के अध्ययन में भी योगदान देगा। इस प्रकार, प्रोबा-3 मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ेगा और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए नए मार्ग खोलेगा।
“आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।
सर्व देव नमस्कारः केशवं प्रति गच्छति॥”
अर्थ : “जैसे आकाश से गिरा हुआ पानी सागर में जाता है, वैसे ही सभी देवताओं का नमस्कार केशव (भगवान विष्णु) की ओर जाता है।” इस श्लोक का संबंध लेख से इस प्रकार है कि यह ब्रह्मांड की विशालता और उसके सभी घटकों के आपसी संबंध को दर्शाता है। प्रोबा-3 मिशन, जिसमें भारत और ESA मिलकर सूर्य के कोरोना का अध्ययन कर रहे हैं, यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न तत्व और देश एक साथ मिलकर ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए काम करते हैं। इसी तरह, यह श्लोक भी बताता है कि कैसे सभी चीजें अंततः एक ही स्रोत की ओर लौटती हैं, जो अंतरिक्ष मिशनों के माध्यम से हमारे ज्ञान और समझ को विस्तारित करने के प्रयासों का प्रतीक है।

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प्रश्न: ESA क्या है?
उत्तर: ESA, यानी यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, एक अंतर-सरकारी संगठन है जो यूरोप के अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों का संचालन करता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी। ESA अंतरिक्ष अन्वेषण, धरती की निगरानी, मानव अंतरिक्ष उड़ान, और विज्ञान और रोबोटिक अन्वेषण में अपने सदस्य देशों के लिए अग्रणी भूमिका निभाता है।
प्रश्न: ISRO क्या है?
उत्तर: ISRO, यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी। ISRO अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत के अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को संचालित करता है, और यह उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष अन्वेषण, और धरती की निगरानी में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है।
प्रश्न: PSLV क्या है?
उत्तर: PSLV, यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, ISRO द्वारा विकसित एक बहुउद्देशीय प्रक्षेपण यान है। इसका पहला प्रक्षेपण 1993 में हुआ था। PSLV का उपयोग विशेष रूप से ध्रुवीय कक्षाओं में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए किया जाता है और यह अपनी उच्च सफलता दर और विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न: सूर्य का कोरोना क्या है?
उत्तर: सूर्य का कोरोना सूर्य का बाहरी वातावरण है जो अत्यंत उच्च तापमान वाला और अत्यधिक चमकीला होता है। यह सूर्य की सतह से बाहर की ओर फैला हुआ है और सौर ग्रहण के दौरान दिखाई देता है। कोरोना सौर विकिरण, सौर हवा और सौर ऊर्जा के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न: खगोल विज्ञान क्या है?
उत्तर: खगोल विज्ञान वह विज्ञान है जो ब्रह्मांड के विभिन्न घटकों जैसे तारे, ग्रह, आकाशगंगा, और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करता है। यह विज्ञान ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास, और उसके विभिन्न घटकों की भौतिक और रासायनिक संरचना को समझने के लिए अनुसंधान करता है।