ईरान-अमेरिका तनाव: अगला बड़ा धमाका!

अमेरिका और ईरान के बीच का तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसमें इजराइल और हिजबुल्ला भी शामिल हो सकते हैं। अमेरिका ने अपने सैन्य समर्थन के रूप में मध्य पूर्व में मिसाइल सबमरीन तैनात की है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

ईरान-अमेरिका तनाव: अगला बड़ा धमाका!

ईरान और अमेरिका की दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। समय-समय पर दोनों देशों के बीच तनाव की खबरें पूरी दुनिया में हलचल पैदा करती रहती हैं। ईरान के सबसे ताकतवर सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हवाई हमले में मौत के बाद से दोनों देशों की दुश्मनी अपने चरम पर पहुंच गई है। अमेरिका के साथ ईरान की दुश्मनी की शुरुआत 1953 में हुई थी, जब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने ब्रिटेन के साथ मिलकर ईरान में तख्ता पलट करवा दिया था।

इजराइल और ईरान के बीच किसी भी समय युद्ध छिड़ सकता है। हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या के बाद, इजराइल पर हमला करने के लिए ईरान बेताब है। इजराइल पर चौतरफा हमले का खतरा मंडरा रहा है। एक ओर ईरान, तो दूसरी ओर हिज्बुल्लाह, दोनों मिलकर इजराइल पर हमला कर सकते हैं। यही वजह है कि अब अपने दोस्त इजराइल की रक्षा के लिए अमेरिका ने अपनी बड़ी चाल चल दी है। इजराइल और ईरान में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने अपनी मिसाइल सबमरीन को मध्य पूर्व (Middle East) में तैनात करने का फैसला किया है।

माना जा रहा है कि मध्य पूर्व में इजराइल के दुश्मनों के लिए यह एक संदेश है कि इजराइल अकेला नहीं है, उसके साथ दुनिया की सुपर पावर अमेरिका खड़ा है। अमेरिका को आशंका है कि जल्द ही ईरान इजराइल पर हमला करेगा। इसी के साथ ही अमेरिका ने एयरक्राफ्ट करियर अब्राहम लिंकन (Aircraft Carrier Abraham Lincoln) को भेजा है। इस सबमरीन में 150 से ज्यादा टोमा हॉक लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (Tomahawk Land Attack Cruise Missile) लगी हुई हैं। अब यह सब अमेरिकी सेंट्रल कमांड (Central Command) के तहत काम करेंगी। इस जहाज का डिस्प्लेसमेंट 1 लाख टन है और यह लगातार 20 से 25 साल तक पानी के अंदर रह सकता है। इस जहाज पर 3200 नौ सैनिक और 2480 वायु सैनिक रह सकते हैं।

दूसरी तरफ, यह भी ध्यान देने योग्य है कि ईरान ने यूक्रेन-रूस युद्ध के वक्त रूस को कई हाईटेक ड्रोन (High-tech Drones) दिए थे। तो क्या अब रूस अमेरिका के खिलाफ ईरान का साथ देगा? क्या इस संभावित युद्ध में रूस ईरान की तरफ से लड़ेगा? यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि ईरान के साथ हिज्बुल्ला जैसे आतंकी संगठन होने के बावजूद इजराइल अभी तक ईरान को घुटनों पर नहीं ला सका है। ईरान मध्य पूर्व का सबसे बड़ा टेंशन वाला देश बनता जा रहा है।

इस प्रकार, अमेरिका और ईरान के बीच का यह तनावपूर्ण संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। इजराइल और ईरान के बीच संभावित युद्ध की स्थिति में, अमेरिका की भूमिका और उसके कदम निर्णायक हो सकते हैं। इस जटिल स्थिति में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इन देशों के बीच की बढ़ती दुश्मनी पर टिकी हुई हैं।

संयमेन प्रबलान्यपि दुर्बलानां बलानि संभूय विपत्तिमाप्नुवन्ति।
नीतिनिपुणाः प्राज्ञास्तु विवेकेन दुःखदं भवति निवारणम्।।

संयम और विवेक से दुर्बल लोगों की शक्तियाँ भी संगठित होकर विपत्तियों का सामना कर सकती हैं। नीतिनिपुण और प्राज्ञ व्यक्ति विवेक से ही दुःखद स्थिति का निवारण कर सकते हैं। यह श्लोक अमेरिका और ईरान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को इंगित करता है, जहां विवेक और संयम से ही समस्याओं का समाधान संभव है। दोनों देशों को अपनी-अपनी शक्तियों का सही उपयोग करते हुए विवेकपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है, जिससे किसी बड़े संघर्ष से बचा जा सके।