शुक्र है, इजराइल और हमास का युद्ध रुका!

तेल अवीव। इज़राइल से एक अछि खबर आई है, इज़राइली सरकार ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए 50 महिलाओं और बच्चों को छोड़ने के बदले में अपनी जेलों में बंद 150 फिलिस्तीनी महिला और नाबालिग कैदियों को रिहा करने की मंजूरी दी है। इसके साथ ही, चार दिनों के लिए संघर्ष विराम का भी फैसला किया गया है। इसका मतलब है दोनों ही शरीफो के द्वारा ४ दिनों के लिए शांति का प्रस्ताव रखा गया है हालांकि उसके बाद ये फिर एक दूसरे का खून पीने का काम शुरू कर देंगे और मासूमों का शिकार भी शुरू हो जायेगा।

इस समझौते के तहत, गाजा में बंधक बनाए गए लगभग 40 बच्चों और 13 माताओं को चरणबद्ध तरीके से रिहा किया जाएगा। इसमें उन्हें छोटे समूहों में मुक्त करने की योजना है। इज़राइली सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह उन्हीं फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगी, जिन पर किसी घातक आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप नहीं है। यानी दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को रिहा नहीं किया जाएगा उन्हें उल्टा टांग के ही रखा जायेगा।

इज़राइल और गाजा के बीच का इतिहास जटिल और संघर्षपूर्ण रहा है। इज़राइल की स्थापना 1948 में हुई थी, और तब से ही इस क्षेत्र में तनाव और संघर्ष जारी है। गाजा पट्टी, जो फिलिस्तीनी नियंत्रण में है, इज़राइल और मिस्र से घिरी हुई है, और इस क्षेत्र में अक्सर हिंसा और सैन्य संघर्ष होते रहते हैं। हालाँकि अब ये कहना सही होगा की आधा ग़ज़ा पट्टी तो इजराइल के पाँव तले रौंदा जा चुका है।

हमास, जो गाजा पट्टी में सक्रिय है, इज़राइल, अमेरिका, और अन्य कई देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है। वैसे तो हमास को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जितने मुँह उतनी बातें कोई आतंकवादी कहे तो कोई क्रांतिकारी। किसी के कहने पे कोई रोक तो लगा नहीं सकते। अपने भारत में भी JNU में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगाया जाता है, लोग बोलने की अज़्ज़ादी का अच्छा फायदा उठा रहे है। जिस थाली के खाते है उसी में छेद करते तो इसमें क्या कर सकते है। चलिए हमास पे वापस आते है। हमास का 2007 से गाजा पर नियंत्रण किया था और तब से इस क्षेत्र में तनाव और हिंसा में वृद्धि हुई है।

इजरायल और गाजा के बीच के संबंधों को समझने के लिए, हमें इस क्षेत्र के इतिहास में गहराई से जाना होगा:

  1. ब्रिटिश मंडेट: आधुनिक इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्रों का इतिहास 1917 के बालफोर घोषणापत्र से शुरू होता है, जिसमें ब्रिटेन ने यहूदियों के लिए फिलिस्तीन में एक “राष्ट्रीय घर” का समर्थन किया था। उस समय फिलिस्तीन ब्रिटिश मंडेट के अंतर्गत आता था।
  2. 1948 का इजरायल का स्थापना: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, यहूदियों की बढ़ती आबादी और अरब-यहूदी संघर्ष के बीच, 1948 में इजरायल का गठन हुआ। इसने अरब और यहूदी समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया।
  3. 1967 का छह-दिवसीय युद्ध: इजरायल, मिस्र, जॉर्डन, और सीरिया के बीच 1967 में हुए छह-दिवसीय युद्ध में इजरायल ने गाजा पट्टी, पश्चिमी तट, सिनाई प्रायद्वीप और गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया।
  4. हमास का उदय: 1987 में फिलिस्तीनी इंतिफादा के दौरान, हमास का उदय हुआ। यह संगठन गाजा पट्टी में इजरायल के खिलाफ सक्रिय रूप से लड़ रहा है और इसे अनेक देशों द्वारा आतंकवादी संगठन माना जाता है।
  5. 2005 का गाजा से इजरायली पीछे हटना: 2005 में, इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना और बस्तियों को पीछे हटा लिया, जिसके बाद 2007 में हमास ने गाजा पर नियंत्रण कर लिया।
  6. इजरायल-हमास संघर्ष: तब से गाजा और इजरायल के बीच कई बार संघर्ष हुआ है। इजरायल का कहना है कि उसके हमले हमास के रॉकेट हमलों के जवाब में हैं, जबकि हमास और अन्य फिलिस्तीनी संगठन इजरायली आक्रामकता और नाकेबंदी के खिलाफ लड़ते हैं।

इज़राइल और गाजा के बीच संघर्ष की यह नवीनतम घटना दोनों पक्षों के बीच समझौते और शांति प्रयासों की ओर एक कदम हो सकती है। यह समझौता मानवीय आधार पर किया गया है, और इससे दोनों पक्षों में भविष्य में शांति की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। इससे गाजा में मानवीय सहायता की पहुँच भी सुगम हो सकेगी। इज़राइल और हमास के बीच इस तरह के समझौते कतर जैसे मध्यस्थों की मदद से संभव हुए हैं, जो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माने जा सकते हैं।

वैसे एक बात तो इस घटना से समझ में आता ही है की इंसान को सोच समझ कर पन्गा लेना चाहिए। ऐसा नहीं की किसी ने थोड़ी सी हवा दे दी तो भिड़ गए किसी से भी. कोई भी काम करने से पहले खुद तो टटोल लेना जरुरी होता है, नही तो बाद में लेने के देने पड़ जाते है।