मोम से उड़ा रॉकेट!
- जर्मनी की हाई इंपल्स कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया से मोम से चलने वाला रॉकेट लॉन्च किया, जो दुनिया का पहला ऐसा रॉकेट है।
- इस रॉकेट का ईंधन पैराफिन आधारित है, जो सामान्य ईंधन की तुलना में सस्ता और सुरक्षित है।
- रॉकेट एक सिंगल स्टेज वाला है और 250 किलो तक के उपग्रहों को 250 किमी की ऊँचाई तक पहुँचा सकता है।
जर्मनी की स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी, हाई इंपल्स ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से एक अनूठा रॉकेट लॉन्च किया, जिसकी विशेषता यह है कि यह दुनिया का पहला रॉकेट है जिसे मोम से बने ईंधन का उपयोग करके उड़ाया गया है। इस रॉकेट को एआर 75 कहा जाता है और यह 12 मीटर लंबा है तथा इसका वजन ढाई टन है। यह सिंगल स्टेज रॉकेट 250 किलोग्राम तक के उपग्रहों को 250 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा सकता है।
इस रॉकेट की एक अन्य खासियत यह है कि इसमें पारंपरिक तरल या ठोस ईंधन के बजाय पैराफिन आधारित ईंधन का उपयोग किया गया है, जिसे आमतौर पर कैंडल वैक्स के नाम से जाना जाता है। पैराफिन आधारित ईंधन का मुख्य लाभ यह है कि यह पारंपरिक ईंधनों की तुलना में काफी सस्ता पड़ता है, और इसे संभालना भी आसान होता है। इसके अलावा, यह ईंधन ज्यादा सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें विस्फोट की संभावना कम होती है।
हाई इंपल्स कंपनी का यह प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यानों को लॉन्च करने की लागत को कम करने का एक साधन है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी एक सकारात्मक कदम है। कैंडल वैक्स का उपयोग करके इस तरह के रॉकेट लॉन्च से, हाई इंपल्स ने यह दिखाया है कि स्थिरता और अंतरिक्ष यात्रा के बीच एक संबंध स्थापित किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक नई संभावनाओं का द्वार खुलता है।
विन्यासेन करोति यः क्रियाः शक्तिपूर्वकम् |
स सिद्धिमवाप्नोति यांत्रिकेषु विशेषतः ||
जो व्यक्ति योजना और शक्ति के साथ क्रियाओं को अंजाम देता है, वह विशेषकर यांत्रिक क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करता है। यह श्लोक इस लेख के साथ मेल खाता है क्योंकि यह उस इनोवेटिव अप्रोच को दर्शाता है जो हाई इंपल्स कंपनी ने अपनाया। कंपनी ने योजनाबद्ध तरीके से रॉकेट लॉन्च करने के लिए मोम का उपयोग करने की नवीन प्रक्रिया विकसित की, जिससे वे तकनीकी सिद्धि प्राप्त कर सके।