बीवी के जुल्म से तंग आकर 2000 किलोमीटर दूर भागा इंजीनियर, पुलिस भी रह गई हैरान!

बीवी के जुल्म से तंग आकर 2000 किलोमीटर दूर भागा इंजीनियर, पुलिस भी रह गई हैरान!
बीवी के जुल्म से तंग

विपिन गुप्ता की कहानी एक ऐसी कहानी है, जो न केवल समाज में पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न किसी व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित कर सकता है। विपिन, जो कि पेशे से एक टेक प्रोफेशनल हैं, अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बेंगलुरु में रहते थे। बाहरी तौर पर सब कुछ सामान्य लग सकता था, लेकिन अंदर से उनकी ज़िन्दगी में एक तूफान चल रहा था। उनकी पत्नी का व्यवहार उनके लिए एक भारी बोझ बन गया था, और यह बोझ इतना बढ़ गया कि आखिरकार उन्हें अपनी ज़िन्दगी में एक बड़ा कदम उठाना पड़ा।

विपिन की पत्नी का व्यवहार उनके प्रति काफी कठोर और अत्याचारी था। वह हर छोटी-छोटी बात पर उन्हें डांटती और चिल्लाती थी। विपिन बताते हैं कि उनकी पत्नी ने उनके जीवन को इस कदर नियंत्रित कर रखा था कि वह बिना उनकी अनुमति के कुछ भी नहीं कर सकते थे। यहां तक कि वह अपनी पसंद का कपड़ा भी नहीं पहन सकते थे, और अगर उनकी प्लेट में खाना बच जाता, तो उन्हें भारी डांट सुननी पड़ती थी। यह व्यवहार केवल रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन के हर पहलू पर हावी हो गया था। विपिन ने अपने बयान में कहा कि वह किसी भी कीमत पर वापस नहीं जाना चाहते, चाहे उन्हें जेल ही क्यों न जाना पड़े।

यह सोचने वाली बात है कि एक व्यक्ति को इस हद तक मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया गया कि उसने अपना घर, अपना शहर, और अपनी पूरी पहचान छोड़ दी। यह केवल शारीरिक उत्पीड़न की बात नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होने वाले अत्याचार का एक स्पष्ट उदाहरण है। विपिन का यह कदम दिखाता है कि एक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और मानसिक शांति कितनी महत्वपूर्ण होती है, और जब यह छिन जाती है, तो वह किसी भी हद तक जा सकता है।

विपिन की कहानी का अगला चरण तब शुरू होता है, जब वह बेंगलुरु से भागकर नोएडा में आकर बस जाते हैं। यहां पर वह पूरी तरह से अपनी पहचान बदल लेते हैं, ताकि उन्हें कोई पहचान न सके। उनकी इस हरकत से साफ होता है कि वह अपनी पुरानी ज़िन्दगी से कितने दूर जाना चाहते थे। उन्होंने न केवल अपना शहर छोड़ा, बल्कि उन्होंने अपनी पूरी पहचान को भी त्याग दिया। यह कदम उनके भीतर चल रही मानसिक उथल-पुथल और पीड़ा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

बेंगलुरु में विपिन की गुमशुदगी के बाद उनकी पत्नी को अगले ही दिन उनके एटीएम से पैसे निकालने की सूचना मिलती है। एक लाख से ज्यादा की रकम निकालने के बाद उनकी पत्नी चिंतित हो जाती है और उन्हें लगता है कि उनके पति का अपहरण हो गया है। यह डर उनके लिए काफी वास्तविक था, क्योंकि विपिन के अचानक गायब होने और फिर इतनी बड़ी रकम के निकाले जाने ने इस शक को और गहरा कर दिया था। वह तुरंत पुलिस में जाकर अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाती हैं, और पुलिस मामले की जांच में जुट जाती है।

पुलिस ने तुरंत विपिन के मोबाइल की लोकेशन को ट्रैक करना शुरू किया। इस दौरान उन्हें पता चलता है कि विपिन का मोबाइल नोएडा में एक्टिव है। यह जानकारी मिलने के बाद बेंगलुरु पुलिस की एक टीम तुरंत नोएडा पहुंचती है। यहां पहुंचकर पुलिस को विपिन सही-सलामत मिल जाते हैं, लेकिन उनकी कहानी सुनकर पुलिस भी हैरान रह जाती है। विपिन ने पुलिस को अपने जीवन की सारी परेशानियों और अपनी पत्नी के अत्याचारों के बारे में बताया। उन्होंने साफ कहा कि वह अपनी पत्नी के पास वापस नहीं जाना चाहते, चाहे उन्हें जेल ही क्यों न जाना पड़े।

यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि विपिन की पत्नी पहले से ही तलाकशुदा थी। उनकी पहली शादी से एक 12 साल की बेटी भी थी, जिसे विपिन ने भी अपनाया था। तीन साल पहले विपिन ने उनसे दूसरी शादी की थी, और इस शादी से भी उनकी एक बेटी हुई, जो अभी केवल आठ महीने की है। विपिन ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी का व्यवहार उनके प्रति शुरू से ही काफी कठोर था, और वह उन्हें लगातार मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करती थी।

विपिन की इस कहानी से यह साफ होता है कि समाज में पारिवारिक समस्याओं का प्रभाव कितना गहरा हो सकता है। एक सफल प्रोफेशनल होने के बावजूद, विपिन अपने निजी जीवन में इतना तनाव और दबाव झेल रहे थे कि उन्हें अपनी पूरी ज़िन्दगी को त्यागने का फैसला करना पड़ा। यह कहानी उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो सोचते हैं कि मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न का कोई असर नहीं होता। विपिन की यह स्थिति दिखाती है कि जब किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और मानसिक शांति को छीन लिया जाता है, तो वह कितनी बड़ी हद तक जा सकता है।

इस घटना के बाद, पुलिस ने विपिन की पत्नी से भी बात की और मामले की जांच की। हालांकि, विपिन का यह निर्णय कि वह अपनी पत्नी के पास वापस नहीं जाना चाहते, उनके मानसिक तनाव की गहराई को दर्शाता है। यह घटना उन तमाम लोगों के लिए एक आईना है, जो मानसिक उत्पीड़न को नजरअंदाज करते हैं और सोचते हैं कि यह केवल एक सामान्य पारिवारिक समस्या है। विपिन की कहानी यह दिखाती है कि मानसिक शोषण भी शारीरिक शोषण की तरह ही घातक हो सकता है, और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

इस पूरी घटना के बाद यह सवाल उठता है कि समाज में ऐसे कितने और मामले हो सकते हैं, जहां लोग मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं, लेकिन उनके पास बोलने की हिम्मत नहीं है। विपिन की कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो इस तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। यह दिखाती है कि अगर आप किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो उसके बारे में बात करना और मदद मांगना कितना महत्वपूर्ण है।

अंततः, यह कहानी एक गहरी सीख देती है कि किसी भी प्रकार का उत्पीड़न, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, उसे सहन करने की बजाय उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए। विपिन का यह साहसिक कदम समाज में एक बदलाव की ओर इशारा करता है, जहां मानसिक और भावनात्मक शोषण को भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए जितना कि शारीरिक शोषण को।

नारीणां यो दशां याति, हृदयं तद्वै पलायनम्।
योऽसह्यं तद्विधं दुःखं, यत्र हृदयं विदीर्यते।।

जो व्यक्ति स्त्री के अत्याचारों से इतना पीड़ित होता है कि उसका हृदय पलायन की ओर अग्रसर हो जाता है, वह दुःख असहनीय होता है, जहाँ हृदय विदीर्ण हो जाता है। यह श्लोक विपिन गुप्ता की स्थिति को दर्शाता है, जहाँ उनकी पत्नी के कठोर व्यवहार से वह इतना पीड़ित हो गए कि उन्हें अपना घर और शहर छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। यह दर्शाता है कि मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न कितना गहरा प्रभाव डाल सकता है, जिससे व्यक्ति की ज़िन्दगी ही बदल जाती है।