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Heathrow Airport Blackout! क्या भारत के एयरपोर्ट्स भी खतरे में हैं?

NCIvimarsh1 month ago

हीथ्रो एयरपोर्ट पर हाल ही में हुई घटना ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। 21 मार्च को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर एक सब-स्टेशन में आग लग गई, जिससे एयरपोर्ट को पूरे एक दिन के लिए बंद करना पड़ा। यह घटना महज एक छोटी सी दुर्घटना नहीं थी बल्कि यह पूरी वैश्विक एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी थी। हीथ्रो एयरपोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है, जहां हर 45 मिनट में एक फ्लाइट टेक-ऑफ करती है। इस तरह के एयरपोर्ट पर बिजली आपूर्ति बाधित होना और उसके कारण उड़ानों को रोकना, यात्रियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। यह घटना भारत के हवाई अड्डों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है, क्योंकि भारत भी तेजी से एविएशन सेक्टर में विकास कर रहा है और उसके एयरपोर्ट्स का भार भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

इस घटना का मूल कारण था पावर स्टेशन का ओवरलोड हो जाना, जिससे ट्रांसफार्मर में आग लग गई और पूरे एयरपोर्ट की इलेक्ट्रिक सप्लाई बाधित हो गई। जब कोई भी बड़ा एयरपोर्ट पूरी तरह से इलेक्ट्रिक सिस्टम पर निर्भर होता है और उसके पास पर्याप्त बैकअप नहीं होता, तो ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हीथ्रो एयरपोर्ट पर भी यही हुआ। वहां पर एक बैकअप सिस्टम तो था लेकिन वह इतनी बड़ी आपदा को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस कारण एयरपोर्ट को पूरी तरह से बंद करना पड़ा और दुनिया भर से आने-जाने वाली उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा। भारत से भी कई फ्लाइट्स हीथ्रो जाने वाली थीं, जिन्हें या तो रोक दिया गया या उनके रूट बदले गए।

भारत के लिए यह घटना एक सीख है। भारत में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे बड़े हवाई अड्डे हैं, जो प्रतिदिन हजारों उड़ानों को नियंत्रित करते हैं। मुंबई एयरपोर्ट, जो भारत का दूसरा सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है, प्रतिदिन लगभग 26.9 मेगावाट बिजली की खपत करता है। हालांकि, यहां पर पावर बैकअप की अच्छी व्यवस्था है। यदि एक सोर्स फेल हो जाता है तो दूसरा स्रोत पूरी तरह से तैयार रहता है और 100% बैकअप देने में सक्षम होता है। मुंबई एयरपोर्ट का संचालन मुख्य रूप से रिन्यूएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) के माध्यम से किया जाता है। लगभग 5% एनर्जी सौर ऊर्जा से और 95% हाइड्रो और पवन ऊर्जा (wind energy) से आती है। इस वजह से मुंबई एयरपोर्ट बिजली कटौती जैसी समस्याओं से काफी हद तक सुरक्षित है।

इसी प्रकार, दिल्ली एयरपोर्ट 2016 में कार्बन न्यूट्रल बनने वाला भारत का पहला एयरपोर्ट बना था और अब यह पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी का उपयोग कर रहा है। हाल ही में, सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को निर्देश दिए कि वे विभिन्न हवाई अड्डों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें ताकि हवाई अड्डों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके और उन्हें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर कम निर्भर रहना पड़े। बेंगलुरु एयरपोर्ट भी पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी पर संचालित होता है और इसे भारत का पहला हवाई अड्डा घोषित किया गया है जो पूरी तरह हाइड्रो और सोलर पावर से चलता है।

यह देखना दिलचस्प है कि भारत के एयरपोर्ट्स भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। जबकि हीथ्रो जैसे विश्व स्तरीय एयरपोर्ट्स में अभी भी बैकअप पावर सिस्टम की समस्याएं हैं, भारत के एयरपोर्ट्स पहले से ही इन खतरों से निपटने के लिए बेहतर रणनीतियां बना रहे हैं। हीथ्रो एयरपोर्ट पर लगी आग से भारतीय एविएशन इंडस्ट्री को यह सीख लेनी चाहिए कि किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए हमेशा एक मजबूत बैकअप सिस्टम तैयार रखना चाहिए। अगर किसी कारण से बिजली सप्लाई बाधित हो जाए तो तुरंत ही वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को सक्रिय किया जा सके।

इसके अलावा, इस घटना ने एक और बड़ा मुद्दा उजागर किया— पर्यावरण और ऊर्जा की सुरक्षा। आज विश्वभर में हवाई अड्डे कार्बन उत्सर्जन के बड़े स्रोतों में से एक हैं। भारत ने 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है, जबकि वैश्विक स्तर पर 2050 का लक्ष्य तय किया गया है। भारत धीरे-धीरे इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है, लेकिन इसे और तेज गति से काम करना होगा ताकि ऊर्जा संकट जैसी घटनाएं न हों। हवाई अड्डों को सौर, पवन और हाइड्रो पावर जैसे वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर करना होगा ताकि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की जरूरत कम हो और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके।

हीथ्रो एयरपोर्ट की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी भी हवाई अड्डे के पास पर्याप्त बैकअप पावर सिस्टम नहीं है तो यह किसी भी दिन बड़ी समस्या बन सकता है। भारत जैसे विकासशील देश को इस तरह की घटनाओं से सीख लेनी चाहिए और अपने हवाई अड्डों को पहले से ही सुरक्षित और सशक्त बनाना चाहिए। खासतौर पर ऐसे समय में जब भारत अंतरराष्ट्रीय यात्रा का एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है, एयरपोर्ट्स को अत्याधुनिक तकनीकों और सुरक्षित ऊर्जा स्रोतों के साथ तैयार रखना बेहद जरूरी है।

भारत के एयरपोर्ट्स का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि यहां पहले से ही ग्रीन एनर्जी को अपनाने की दिशा में काम हो रहा है। आने वाले समय में अगर इसी रफ्तार से काम किया गया तो भारत के हवाई अड्डे दुनिया के सबसे आधुनिक और सुरक्षित एयरपोर्ट्स में गिने जाएंगे। लेकिन इसके लिए सतर्कता, बेहतर प्लानिंग और अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) की जरूरत होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए एयरपोर्ट्स पूरी तरह तैयार हों। हीथ्रो की यह घटना चेतावनी है और भारत को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ताकि यहां ऐसी कोई घटना न घटे।

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