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Grow These 10 Vegetables in May 2025 : किसान भाइयों के लिए सुनहरा मौका!

NCIkrishi3 weeks ago

गर्मी का मौसम अब अपने अंतिम चरण में है, और May -June की भीषण गर्मी के बीच खेती करने वाले किसानों के लिए यह वक्त बेहद अहम हो जाता है। अगर किसान इस समय को समझदारी से इस्तेमाल करें, तो वे न सिर्फ इस गर्मी के मौसम में अच्छी कमाई कर सकते हैं, बल्कि आने वाले मानसून सीजन में भी ज़बरदस्त मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इस समय की गई बुवाई मानसून के दौरान बेहतर उत्पादन और बाज़ार में ऊँचे दामों का कारण बनती है। मई के महीने में कुछ विशेष सब्जियाँ होती हैं जिन्हें लगाने से किसान पूरे सीजन भर अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। ज़रूरत है बस सही बीज, तकनीक और समय पर की गई बुवाई की। आइए जानते हैं कि इस मई 2025 में कौन-कौन सी सब्जियाँ खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं और कैसे किसान इनका अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।

🔸 करेला: मचान विधि से खेती और अधिक उत्पादन
मई के अंतिम सप्ताह में करेले के बीजों की बुवाई करना सबसे उपयुक्त समय होता है। जब करेले की बेलें जून के आखिरी हफ्ते में बढ़ना शुरू करती हैं, तब तापमान भी थोड़ा संतुलित हो जाता है और लू (गर्म हवाएं) भी कम हो जाती हैं। इस समय हल्की बारिश भी शुरू हो जाती है जिससे बेलों को चढ़ने में मदद मिलती है। करेले की खेती के लिए मचान विधि सबसे बेहतर मानी जाती है क्योंकि इससे उत्पादन डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है। इसके अलावा, मचान विधि से फसल पर फंगस (fungus) और रोगों का खतरा भी काफी कम हो जाता है। बीज चयन करते समय VNR की आकाश वैरायटी, सीजनता की DGS-106 या सेमिनस की अभिषेक वैरायटी का उपयोग करना लाभदायक रहेगा। करेले का बाज़ार में अच्छा भाव मिलता है, खासकर बारिश के मौसम में, जिससे यह फसल किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाती है।

🔸 गिलकी: करेले जैसी ही विधि से बंपर उत्पादन
गिलकी की खेती भी करेले की तरह ही मचान विधि से करनी चाहिए। मई के अंतिम सप्ताह में गिलकी के बीज बोने से यह फसल मानसून के समय पर अच्छी तरह विकसित हो जाती है। बीज के चुनाव में VNR की आलोक वैरायटी या निर्मल सीड्स की NSGS-341 उपयुक्त रहती हैं। मचान विधि से गिलकी की बेलें ज़मीन से ऊपर चढ़ती हैं जिससे इन्हें ज़्यादा धूप और हवा मिलती है, और फसल स्वस्थ रहती है। बारिश के समय गिलकी का भाव भी बाज़ार में अच्छा होता है क्योंकि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और उत्पादन सीमित होता है। इस फसल को उचित मात्रा में पानी और जैविक खाद मिलती रहे तो किसान को इससे भरपूर मुनाफ़ा हो सकता है।

🔸 भिंडी: बारिश से पहले बुवाई और सीजनल लाभ
मई के महीने में भिंडी की बुवाई का सबसे अच्छा समय 10 से 15 मई के बीच होता है। जब यह फसल जुलाई की शुरुआत में तैयार हो जाती है तो उस समय इसका बाजार भाव बहुत अच्छा रहता है। भिंडी की खेती में दूरी का विशेष ध्यान रखना होता है – पौधों के बीच एक फीट और लाइनों के बीच दो से तीन फीट का फासला रखना चाहिए। इससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है बढ़ने के लिए और हवा भी अच्छे से चलती है। बीज चयन में अद्वंत गोल्डन सीड्स की राधिका या सिजेंटा की OY-517 वैरायटी का उपयोग किया जा सकता है। भिंडी जल्दी पकने वाली फसल है जिससे किसानों को 40-45 दिन में उत्पादन मिलना शुरू हो जाता है।

🔸 अदरक और मल्टी लेयर फार्मिंग का मॉडल
मई का महीना अदरक की खेती के लिए एकदम सही समय होता है। अदरक की खेती के साथ मल्टी लेयर फार्मिंग (multi-layer farming) की जा सकती है, जिसमें अदरक के साथ मेथी और पपीता को एक साथ उगाया जाता है। यह मॉडल ज़मीन के अंदर, ज़मीन की सतह और ऊँचाई तीनों पर उत्पादन देने वाला होता है। पहले अदरक के प्रकंद लगाए जाते हैं, फिर मेथी बोई जाती है और अंत में पपीता के पौधे रोपे जाते हैं। पपीते को जिगजैग तरीके से 6×8 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए। इस तकनीक से किसान एक ही खेत से तीन तरह की फसलें एक साथ उगा सकते हैं और उनकी आमदनी में तीन गुना तक इज़ाफ़ा हो सकता है।

🔸 हल्दी: अदरक जैसा ही अवसर और रणनीति
हल्दी की फसल भी अदरक की तरह मई महीने में ही लगाई जाती है। इसे भी मल्टी लेयर फार्मिंग के साथ उगाया जा सकता है। हल्दी की प्रकृति अदरक से मिलती-जुलती है और दोनों फसलों में प्रबंधन लगभग एक जैसा होता है। जिन किसानों के पास सीमित भूमि है, वे अदरक और हल्दी में से किसी एक को चुन सकते हैं और उसके साथ मेथी या धनिया की खेती कर सकते हैं। हल्दी की खेती में समय जरूर थोड़ा अधिक लगता है लेकिन इसका मूल्य बाज़ार में अधिक होता है, जिससे किसानों को अंततः अच्छा लाभ होता है।

🔸 टिंडा: कम सप्लाई और अधिक मांग का खेल
टिंडा ऐसी सब्जी है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है लेकिन इसकी आपूर्ति कम होती है। बारिश के मौसम में जब दूसरी सब्जियों की सप्लाई में गिरावट आती है, उस समय टिंडा अच्छा उत्पादन और बेहतर कीमत देता है। टिंडा को मई के अंतिम सप्ताह में लगाया जाना चाहिए जिससे यह मानसून के समय पर पूरी तरह पक जाए और बाज़ार में उपलब्ध हो सके। यह फसल आकार में छोटी लेकिन कमाई में बड़ी होती है। इसकी खेती के लिए ज़्यादा देखरेख की ज़रूरत नहीं होती और समय पर सिंचाई तथा उचित खाद देने से टिंडा की फसल अच्छी मात्रा में मिलती है।

🔸 मूली: दो बार बुवाई का लाभ
मूली की फसल मई के पहले और अंतिम सप्ताह दोनों में लगाई जा सकती है। अगर पहले सप्ताह में बीज बोए जाएं तो जून तक फसल तैयार हो जाती है, और अगर अंतिम सप्ताह में बोए जाएं तो यह मानसून में पककर तैयार होती है। मूली की खेती कम समय में तैयार हो जाती है और इसका बाज़ार भाव भी अच्छा रहता है। मूली के लिए ज़मीन की तैयारी और सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि इसकी गुणवत्ता बनी रहे। जिन किसानों को जल्दी कमाई की आवश्यकता है वे मूली की खेती जरूर करें।

🔸 लौकी: उच्च उत्पादन और स्थिर मांग
लौकी की खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसमों के लिए लाभकारी मानी जाती है। मई में बीज बोने से यह जुलाई तक तैयार हो जाती है और पूरे मानसून में इसकी मांग बनी रहती है। लौकी के लिए मचान विधि अपनाने से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है। पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी, धूप और जैविक खाद की ज़रूरत होती है। बाजार में लौकी का मूल्य स्थिर रहता है जिससे किसान निश्चित आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

🔸 मेथी और धनिया: रिस्क वाली लेकिन मुनाफे की फसलें
मेथी और धनिया को मई के अंतिम सप्ताह में लगाया जाना चाहिए। यह दोनों फसलें जर्मिनेशन (अंकुरण) पर निर्भर करती हैं, यानी अगर बीज अच्छे से उगते हैं तो फसल सफल हो जाती है। इन फसलों में शुरुआती समय में खाद देने की जरूरत नहीं होती। जर्मिनेशन के बाद धीरे-धीरे इन पर देखरेख शुरू की जा सकती है। इन फसलों में लागत कम और लाभ ज़्यादा होता है लेकिन इसमें थोड़ा रिस्क ज़रूर होता है। इसलिए जिन किसानों के पास अतिरिक्त ज़मीन है वे इन्हें जरूर आजमाएं।

🔸 ढाई एकड़ का मॉडल: कैसे करें ज़मीन का इस्तेमाल
मई महीने के लिए 2.5 एकड़ ज़मीन को पांच हिस्सों में बांट कर फसलों की बुवाई की जा सकती है। पहला हिस्सा करेले और गिलकी के लिए, दूसरा हिस्सा भिंडी और धनिया की इंटरक्रॉपिंग के लिए, तीसरा हिस्सा अदरक या हल्दी के लिए और चौथा हिस्सा लौकी या टिंडा के लिए रखा जा सकता है। पांचवां हिस्सा मूली, मेथी और धनिया की संयुक्त खेती के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस तरह किसान 30 से 35 दिन में उत्पादन लेना शुरू कर सकते हैं और मानसून भर हर दिन आमदनी करते रह सकते हैं।

अगर किसान भाई मई 2025 में सही योजना और तकनीक के साथ खेती करें, तो गर्मी और मानसून दोनों मौसमों में बेहतरीन आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। करेला, गिलकी, भिंडी, मूली, लौकी, टिंडा, अदरक, हल्दी, मेथी और धनिया जैसी फसलें किसानों को अधिकतम लाभ देने वाली साबित हो सकती हैं। यह समय समझदारी से काम लेने का है, जहां मेहनत के साथ-साथ सही जानकारी और तकनीक का इस्तेमाल ज़रूरी है। सही समय पर की गई बुवाई और योजना के साथ किसान हर मौसम में आत्मनिर्भर और सफल बन सकते हैं।

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