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Plane Crashes in Ahmedabad: आसमान से मौत बरसी!

NCIvimarsh2 weeks ago

गुजरात के अहमदाबाद से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। एयर इंडिया का एक यात्री विमान (passenger plane) अहमदाबाद के मेघानी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त (crashed) हो गया है। यह विमान किस दिशा में जा रहा था और उसमें कितने यात्री सवार थे, इसकी अभी तक पूरी पुष्टि नहीं हो पाई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, विमान तेज़ आवाज़ के साथ नीचे गिरा और जोरदार धमाका हुआ। आसमान में काले धुएं (smoke) का गुबार फैल गया और पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। हादसा इतना भयानक था कि आसपास की इमारतें भी हिल गईं। लोगों में डर का माहौल बन गया और सैकड़ों की संख्या में लोग मौके की ओर दौड़ पड़े। विमान के गिरते ही आग लग गई और चीख-पुकार की आवाजें सुनाई देने लगीं। आसपास के घरों और दुकानों को भी नुकसान हुआ है। यह हादसा क्यों हुआ, इसकी जानकारी जांच के बाद ही मिल पाएगी।


घटनास्थल पर तुरंत पहुंचे राहत दल, शुरू हुआ बचाव कार्य

हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। फायर ब्रिगेड (fire brigade), पुलिस और एंबुलेंस की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। चारों ओर धुआं और आग की लपटें देखकर लोगों में घबराहट फैल गई। राहत और बचाव दल ने घायलों को बाहर निकालना शुरू किया और अस्पतालों की ओर रवाना किया। राहत कार्यों में कोई रुकावट न आए इसके लिए पूरा इलाका सील (seal) कर दिया गया। मीडिया और आम जनता को घटनास्थल से दूर रखा गया ताकि बचाव कार्य तेजी से हो सके। घायलों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है और कुछ की हालत नाजुक है। स्थानीय अस्पतालों को अलर्ट (alert) कर दिया गया है और अतिरिक्त मेडिकल स्टाफ को बुलाया गया है। प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है ताकि परिजन अपनों की जानकारी ले सकें। बचाव कर्मियों ने कड़ी मेहनत से मलबे में फंसे लोगों को निकाला। प्रशासन ने मौके पर क्रेन और जेसीबी जैसी भारी मशीनें भी तैनात की हैं। फिलहाल राहत कार्य जारी है और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।


ब्लैक बॉक्स: हादसे के बाद सबसे जरूरी खोज

किसी भी विमान दुर्घटना के बाद सबसे पहले जिस चीज की तलाश की जाती है, वह है ब्लैक बॉक्स (black box)। हालांकि इसका रंग नारंगी होता है, लेकिन इसे ब्लैक बॉक्स ही कहा जाता है। ब्लैक बॉक्स विमान की सबसे मजबूत और सुरक्षित डिवाइस होती है, जो दुर्घटना के कारणों की जानकारी देती है। यह दो भागों में बंटा होता है — एक फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और दूसरा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। FDR में विमान की तकनीकी गतिविधियों जैसे गति, ऊंचाई, तापमान, और दिशा की जानकारी दर्ज होती है। वहीं, CVR में पायलट और को-पायलट की बातचीत और कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड होती हैं। इन दोनों उपकरणों से यह समझने में मदद मिलती है कि हादसे की वजह तकनीकी थी या मानवीय भूल। यह डिवाइस अत्यधिक गर्मी, दबाव और विस्फोट तक सह सकती है। इसे विमान के पीछे के सुरक्षित हिस्से में लगाया जाता है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद उसे जांच प्रयोगशाला में भेजा जाता है। वहीं से असली कारणों की पुष्टि की जाती है।


ब्लैक बॉक्स को कौन ढूंढता है और कैसे होती है जांच?

ब्लैक बॉक्स को ढूंढने का जिम्मा खास प्रशिक्षित जांच एजेंसियों पर होता है। भारत में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) और डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) इस काम को संभालती हैं। इन एजेंसियों की टीमें हाई-टेक उपकरणों के साथ ब्लैक बॉक्स की तलाश करती हैं। कई बार हादसे स्थल पर मलबा बहुत गहरा या फैला होता है, ऐसे में ढूंढना और भी मुश्किल हो जाता है। अगर हादसा किसी जल क्षेत्र में हो तो नौसेना या विशेष समुद्री टीमों को बुलाया जाता है। ब्लैक बॉक्स एक बीकन (beacon) सिग्नल छोड़ता है जिससे उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। एक बार ब्लैक बॉक्स मिल जाने के बाद उसे दिल्ली या अन्य किसी स्वीकृत लैब (lab) में भेजा जाता है। वहां उसकी डाटा एनालिसिस (data analysis) की जाती है और रिपोर्ट तैयार होती है। इस रिपोर्ट में यह साफ होता है कि क्रैश के दौरान विमान में क्या हुआ था। जांच रिपोर्ट सरकार और विमानन कंपनी को सौंप दी जाती है। इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होती है।


ब्लैक बॉक्स क्यों है इतना जरूरी?

ब्लैक बॉक्स किसी विमान दुर्घटना के पीछे छुपे हुए सच को उजागर करने का सबसे अहम माध्यम होता है। इसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि विमान की तकनीकी स्थिति क्या थी और पायलटों ने किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं दीं। यह भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में बेहद मददगार साबित होता है। ब्लैक बॉक्स के डाटा से अगर किसी खास तकनीकी खराबी का पता चलता है तो अन्य विमानों में वही सुधार तुरंत किया जाता है। अगर मानवीय भूल सामने आती है तो पायलट ट्रेनिंग (training) में बदलाव किए जाते हैं। ब्लैक बॉक्स पूरी दुनिया की एविएशन इंडस्ट्री (aviation industry) के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यही कारण है कि इसे ढूंढने के लिए बहुत सारी मेहनत और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार ब्लैक बॉक्स को निकालने में दिन नहीं बल्कि हफ्ते लग जाते हैं। लेकिन जब तक यह नहीं मिलता, जांच अधूरी मानी जाती है। इसलिए इसे विमान का “सच्चाई बताने वाला डिब्बा” कहा जाता है।


यात्रियों की स्थिति पर सस्पेंस, परिवारों की बेचैनी बढ़ी

हादसे के बाद अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि विमान में कितने यात्री थे और उनमें से कितने सुरक्षित हैं। प्रशासन और एयर इंडिया ने यात्रियों की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। परिजन अस्पतालों और एयरपोर्ट के बाहर जमा हो गए हैं और अपने रिश्तेदारों की जानकारी लेने में जुटे हैं। कुछ लोग मोबाइल और सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर रहे हैं। हेल्पलाइन नंबर चालू कर दिया गया है लेकिन जानकारी धीरे-धीरे सामने आ रही है। कई घायल अस्पतालों में भर्ती हैं जिनमें कुछ की हालत नाजुक है। अस्पताल प्रशासन ने ब्लड डोनेशन (blood donation) की अपील की है ताकि घायलों का समय पर इलाज हो सके। वहीं, मृतकों की पहचान का काम भी तेजी से चल रहा है। पुलिस विभाग हर पीड़ित परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। परिजनों की आंखों में चिंता साफ झलक रही है। पूरा देश इस समय उनके साथ खड़ा है।


सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचने की अपील

इस तरह की बड़ी दुर्घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलने लगती हैं। प्रशासन ने साफ तौर पर लोगों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक सूत्रों से ही जानकारी लें। किसी भी तरह की झूठी खबरों से बचना जरूरी है क्योंकि इससे न सिर्फ भ्रम फैलता है बल्कि जांच भी प्रभावित हो सकती है। कई लोग फोटो और वीडियो के जरिए हादसे की गलत जानकारी फैला रहे हैं। पुलिस ने उन पर नज़र रखने के लिए एक साइबर सेल (cyber cell) भी एक्टिव कर दी है। अगर कोई गलत खबर फैलाता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मीडिया संस्थानों को भी सलाह दी गई है कि वे केवल पुष्टि की गई जानकारी ही साझा करें। आम लोगों को चाहिए कि वे शांति बनाए रखें और राहत कार्य में सहयोग करें। इस तरह की घटना में अफवाहें माहौल को और ज्यादा खराब कर सकती हैं। सच्चाई सामने आने में थोड़ा समय लगता है, धैर्य रखना सबसे जरूरी होता है। सोशल मीडिया एक ताकत है लेकिन ज़िम्मेदारी से इसका उपयोग ज़रूरी है।

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