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Unveiling North India’s Extreme Cold: ठंड ने मचाया हाहाकार, जानें कारण!

NCIRNvimarsh5 months ago

Winter

उत्तर भारत में इस वर्ष ठंड का असर तेजी से बढ़ता जा रहा है। दिसंबर के महीने में ठंड अचानक बढ़ी है, और इसका सीधा प्रभाव लोगों के जीवन पर देखा जा रहा है। ठंड का यह मौसम कुछ लोगों के लिए आनंददायक होता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो बर्फबारी और हिल स्टेशन (hill station) का लुत्फ उठाना चाहते हैं। दूसरी ओर, ठंड का यह मौसम उन लोगों के लिए परेशानी खड़ा करता है जो सड़क किनारे रहते हैं या स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। ठंड बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिन्हें विस्तार से समझा जा सकता है।

तापमान में गिरावट

चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब जैसे क्षेत्रों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ में औसत न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो अब 4.7 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। हरियाणा के हिसार में 1.6 डिग्री सेल्सियस और राजस्थान के फतेहपुर में 0.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। राजस्थान जैसे रेगिस्तानी क्षेत्रों में तापमान का इतना गिरना अत्यधिक असामान्य है। इस गिरावट का प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय असंतुलन है।

कोल्ड वेव और गंभीर कोल्ड वेव

कोल्ड वेव की परिभाषा के अनुसार, जब न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाता है, तो इसे कोल्ड वेव माना जाता है। यदि यही स्थिति प्लेन्स (plains) में होती है, तो इसे गंभीर कोल्ड वेव (severe cold wave) कहा जाता है। ठंड से जुड़े जोखिमों में खांसी, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, जोड़ों का दर्द, और रक्तचाप (blood pressure) की समस्याएं शामिल हैं। गरीब और बेघर लोग इस ठंड से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

ठंड बढ़ने के पीछे कारण

  • पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances):
    ठंड बढ़ने का एक प्रमुख कारण पश्चिमी विक्षोभ है। यह विक्षोभ भूमध्यसागर (Mediterranean Sea) से शुरू होकर हिमालय तक पहुंचता है। जब ये ठंडी हवाएं हिमालय को टकराती हैं, तो बर्फबारी होती है, जिससे प्लेन्स में ठंडक बढ़ जाती है। इस बार दो पश्चिमी विक्षोभ एक साथ उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे ठंड असामान्य रूप से बढ़ी है।

  • ट्रेड विंड्स (Trade Winds):
    ट्रेड विंड्स भूमध्य रेखा के पास से शुरू होकर हिमालय की ओर आती हैं। ये हवाएं हिमालय में जमी बर्फ से ठंडक लेकर आती हैं और प्लेन्स में ठंड बढ़ाती हैं।

  • जेट स्ट्रीम्स (Jet Streams):
    तेज गति वाली जेट स्ट्रीम्स, जो 278 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं, भी ठंडक को बढ़ावा देती हैं। ये हवाएं ठंडी हवा को दक्षिण की ओर धकेलती हैं, जिससे तापमान और गिरता है।

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय असंतुलन ने इस ठंड को और भी गंभीर बना दिया है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में असामान्य बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ठंड का यह असमान वितरण ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ही है।

ठंड का प्रभाव

  • जीवन पर प्रभाव:
    ठंड का सबसे अधिक असर गरीब और बेघर लोगों पर पड़ता है। उनके पास गर्म कपड़े और अन्य सुविधाओं का अभाव होता है, जिससे उनकी जान का जोखिम बढ़ जाता है।

  • फसल उत्पादन:
    हालांकि, ठंड का एक सकारात्मक प्रभाव रबी की फसलों पर भी पड़ता है। विशेषकर गेहूं की फसल के लिए ठंड लाभकारी होती है। ठंड के कारण फसल अच्छी तरह से पक जाती है, जिससे किसानों को फायदा होता है।

  • स्वास्थ्य समस्याएं:
    ठंड से जोड़ों का दर्द, श्वसन संबंधी समस्याएं और ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) में रुकावट जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, ठंड के कारण शरीर को विटामिन डी कम मिलता है, जो हड्डियों की समस्याओं का कारण बनता है।

समाधान और बचाव

ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनना, ठंडी हवाओं से बचना और शरीर को गर्म रखना आवश्यक है। गरीबों और बेघरों के लिए गर्म कपड़ों और आश्रय की व्यवस्था जरूरी है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को ठंड के दौरान राहत कार्यों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

उत्तर भारत में बढ़ती ठंड का प्रभाव व्यापक है। इसके पीछे प्राकृतिक और मानव-निर्मित कारण दोनों जिम्मेदार हैं। ठंड से बचने के उपायों को अपनाकर और पर्यावरण को संरक्षित करके ही हम इस समस्या को कम कर सकते हैं। ठंड के इस मौसम में हमें न केवल अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि उन लोगों की भी मदद करनी चाहिए, जो इस ठंड से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

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