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The Dark Side of Cheap Internet : जागरूक हो जाइए!

NCIRNvimarsh4 months ago

Cheap Internet

 भारत में सस्ते इंटरनेट के चलते एडल्ट कंटेंट देखने की आदत एक गंभीर समस्या बन गई है। यह मुद्दा उस समय सुर्खियों में आया जब राज कुंदरा और एकता कपूर जैसे प्रमुख हस्तियों पर अश्लील सामग्री को प्रोत्साहित करने के आरोप लगे। एकता कपूर के ओटीटी प्लेटफॉर्म, ऑल्ट बालाजी, पर नाबालिगों से विवादास्पद सीन शूट कराने के आरोप भी लगे हैं। भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और अश्लील सामग्री की लोकप्रियता का प्रमुख कारण है सस्ता डेटा और आसानी से उपलब्धता। जहां ऑल्ट बालाजी जैसे प्लेटफॉर्म्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए हैं, वहीं जनता के बीच इस तरह के कंटेंट का समर्थन और विरोध दोनों दिखाई देता है।

इतिहास बताता है कि कामुकता (eroticism) की अभिव्यक्ति कोई नई बात नहीं है। भारत, जो कामसूत्र का जन्मस्थल है, सदियों से इस विषय पर चर्चा का केंद्र रहा है। गुफाओं की चित्रकारी से लेकर कामुक साहित्य और आज की डिजिटल पॉनोग्राफी तक, यह विषय मानव समाज का हिस्सा रहा है। इंटरनेट के आने से पॉन कंटेंट का विस्तार तेजी से हुआ है। प्लेबॉय मैगजीन की शुरुआत से लेकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स तक, इस इंडस्ट्री का विकास हमेशा विवादों के घेरे में रहा है। यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जिसका आर्थिक पहलू भी बड़ा है।

भारतीय समाज में सेक्स जैसे विषय पर खुलकर बात करना अभी भी वर्जित है। इसे शर्म और हिचकिचाहट के साथ देखा जाता है। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले कीवर्ड्स में अश्लील सामग्री शामिल है। शोधों से यह भी पता चला है कि लोग पॉनोग्राफी को तनाव कम करने और अपनी भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए देखते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि इस आदत के साथ कई नकारात्मक पहलू जुड़े हुए हैं, जैसे कि वास्तविकता और कल्पना के बीच की सीमा का धुंधलापन।

आजकल सोशल मीडिया और पॉन के जरिए जो इमेजेस और वीडियोज देखे जाते हैं, वे अक्सर एडिटेड और काल्पनिक होते हैं। यह दर्शकों में गलत अपेक्षाएं पैदा कर सकता है। खासतौर पर युवा पीढ़ी, जो कम उम्र में ही इस कंटेंट की ओर आकर्षित हो जाती है, वे वास्तविकता और फैंटेसी के बीच अंतर नहीं कर पाते। इस विषय पर हुए एक सर्वे में पाया गया कि 13 से 17 साल के बच्चों में से आधे से अधिक ने 13 साल की उम्र में ही पॉन देखना शुरू कर दिया था।

पॉनोग्राफी के बढ़ते प्रभाव से महिलाओं और बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। चाइल्ड पॉनोग्राफी को लेकर कई सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत में इस समस्या की मौजूदगी बनी हुई है। ऑनलाइन चाइल्ड पॉनोग्राफी के मामले तेजी से बढ़े हैं। हालांकि, भारत में प्राइवेट स्पेस में एडल्ट कंटेंट देखना बैन नहीं है, लेकिन इसका निर्माण और वितरण गैरकानूनी है।

एकता कपूर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर भी सवाल उठे हैं। सस्ते सब्सक्रिप्शन मॉडल और कानूनी विकल्पों के चलते ये प्लेटफॉर्म्स लोकप्रिय हो गए हैं। यह न केवल मनोरंजन का साधन बन गया है, बल्कि एक सामाजिक समस्या का रूप भी ले रहा है। पॉन इंडस्ट्री की चर्चित हस्तियों जैसे लाना रोड्स और मिया खलीफा ने इंडस्ट्री छोड़ने के बाद अपने शोषण की कहानियां साझा की हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह इंडस्ट्री कितनी विवादास्पद और समस्याग्रस्त हो सकती है।

भारत जैसे देश में, जहां संस्कृति और परंपरा के नाम पर कई विषयों पर खुलकर बात नहीं होती, पॉनोग्राफी जैसे मुद्दे पर चर्चा करना जरूरी हो जाता है। यह न केवल नैतिक और सांस्कृतिक सवाल खड़े करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी उजागर करता है।

इस समस्या का समाधान बैन लगाने में नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने में है। हमें यह समझने की जरूरत है कि यथार्थ और फैंटेसी के बीच के अंतर को पहचानना और स्वस्थ बातचीत को बढ़ावा देना इस समस्या से निपटने के सबसे कारगर तरीके हो सकते हैं।

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