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India’s Deadly Drone |
भारत ने हाल ही में डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता (self-reliance) की ओर एक बड़ा कदम उठाया है। डीआरडीओ (DRDO) के तहत कावेरी इंजन परियोजना को इन-फ्लाइट टेस्टिंग (in-flight testing) के लिए मंजूरी मिल गई है। यह इंजन विशेष रूप से भारत के अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) के लिए तैयार किया गया है, जिसे “घातक” नाम दिया गया है। यह एक स्टेल्थ कॉम्बैट एयरक्राफ्ट होगा, जिसका उपयोग युद्ध परिस्थितियों में किया जाएगा। इस इंजन को विकसित करने का उद्देश्य भारत को डिफेंस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी इंजन पर निर्भरता कम करना है।
कावेरी इंजन का विकास डीआरडीओ के अंतर्गत गैस टरबाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा किया गया है। इंजन की इन-फ्लाइट टेस्टिंग के लिए विशेष रूप से तैयार इल्यूशन-76 एयरक्राफ्ट का उपयोग किया जाएगा। इसमें चार इंजन हैं, जिनमें से एक को हटाकर कावेरी इंजन लगाया जाएगा और इसे रियल-वर्ल्ड कंडीशन्स में परखा जाएगा। यह परीक्षण रूस में किया जाएगा, जहां इसकी परफॉर्मेंस, रिलायबिलिटी (reliability), और एंड्यूरेंस (endurance) का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अलावा, यह देखा जाएगा कि यह इंजन एयरक्राफ्ट सिस्टम के साथ कितनी अच्छी तरह इंटीग्रेट (integrate) हो सकता है।
पहले के लैब परीक्षणों में कावेरी इंजन ने 48.5 किलो-न्यूटन (kN) का थ्रस्ट जनरेट किया था, जो कि अपेक्षित 46 किलो-न्यूटन से अधिक है। यह थ्रस्ट यूएवी के लिए पर्याप्त है, लेकिन भविष्य में इसे फाइटर जेट्स के लिए अधिक शक्तिशाली बनाया जाएगा। यह ऑफ्टरबर्नर के साथ 73-75 किलो-न्यूटन थ्रस्ट तक बढ़ाया जाएगा। इस इंजन का विकास तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि उन्नत फाइटर जेट इंजन बनाना बहुत जटिल प्रक्रिया है और दुनिया में केवल पांच देश – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके – ही इसे बनाने में सक्षम हैं।
1980 के दशक में भारत ने इस परियोजना की शुरुआत की थी, लेकिन तकनीकी चुनौतियों, विदेशी टेक्नोलॉजी के अभाव और 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद लगे प्रतिबंधों के कारण इसे कई झटके लगे। 2016 में फ्रांस की कंपनी सफ्रान (Safran) के साथ साझेदारी के बाद इसे पुनर्जीवित किया गया। इस साझेदारी के तहत प्राथमिकता अनमैन्ड एरियल व्हीकल के लिए इंजन विकसित करना था। अब इस इंजन की टेस्टिंग का चरण शुरू हो गया है, और इसे 2025-26 तक सीमित उत्पादन के लिए तैयार किया जाएगा।
यह परियोजना भारत के लिए केवल एक इंजन निर्माण से अधिक है। यह तकनीकी आत्मनिर्भरता और एडवांस्ड डिफेंस टेक्नोलॉजी में देश की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यदि यह सफल होता है, तो भारत डिफेंस सेक्टर में एक नई पहचान बना सकता है और अपने सपनों को साकार करने के लिए और भी आत्मनिर्भर हो सकेगा।
इस परियोजना की सफलता भारत को ग्लोबल डिफेंस मार्केट में एक मजबूत स्थान प्रदान कर सकती है। यह न केवल सैन्य क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि अन्य तकनीकी क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस दिशा में कावेरी इंजन परियोजना एक ऐतिहासिक कदम है, जो भारत को रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।