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Farmers |
गर्मी के मौसम में किसान अक्सर अपनी खेतों को खाली छोड़ देते हैं, लेकिन सही फसल का चुनाव करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। ऐसे में मूंग और उड़द की खेती किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। ये दोनों दलहनी फसलें न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती हैं। खासतौर पर उन किसानों के लिए यह फसलें फायदेमंद हैं जो गेहूं और सरसों की कटाई के बाद अपनी जमीन को खाली छोड़ देते हैं। मूंग और उड़द की खेती करने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और अतिरिक्त लाभ भी मिलता है।
मूंग और उड़द की फसलें वातावरण से नाइट्रोजन अवशोषित करके मिट्टी में इसकी मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे भूमि की उर्वरता स्वाभाविक रूप से बनी रहती है। यह किसानों के लिए दोहरा लाभ है—एक तो कम लागत में अधिक उत्पादन और दूसरा मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार। इन फसलों की बुआई का सही समय फरवरी के मध्य से अप्रैल के मध्य तक होता है, लेकिन सबसे उपयुक्त समय मार्च के मध्य से मार्च के अंत तक माना जाता है। क्योंकि इस समय तक ज्यादातर किसान गेहूं और सरसों की फसल की कटाई कर चुके होते हैं, जिससे खेत खाली हो जाते हैं और नमी भी बनी रहती है, जो इन फसलों की शुरुआती वृद्धि के लिए फायदेमंद होती है।
बीज के चुनाव की बात करें तो ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो 60-70 दिनों में पककर तैयार हो जाएं ताकि मानसून के आने से पहले फसल की कटाई की जा सके। उदाहरण के लिए, मूंग की ‘विराट पीसीएम 207’ एक बेहतरीन किस्म है, जिसे भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर ने विकसित किया है। यह किस्म 50-55 दिनों में तैयार हो जाती है और पीले भोजक (Yellow Mosaic Virus) रोग के प्रति सहनशील होती है। इस तरह की जल्दी पकने वाली किस्में किसानों के लिए फायदेमंद होती हैं क्योंकि वे कम समय में अच्छी पैदावार दे सकती हैं।
बीज की मात्रा पर ध्यान दें तो मूंग और उड़द के लिए प्रति एकड़ लगभग 8 किलो बीज की जरूरत होती है। यदि कोई किसान आधे एकड़ में मूंग और आधे एकड़ में उड़द लगाता है, तो उसे कुल मिलाकर 4 किलो मूंग और 4 किलो उड़द के बीज की आवश्यकता होगी। मूंग के बीज की लागत अधिक होती है, जो लगभग 1100 रुपये प्रति 4 किलो तक हो सकती है, जबकि उड़द के बीज की लागत लगभग 800 रुपये प्रति 4 किलो के आसपास होती है। हालांकि, मूंग का बाजार मूल्य भी उड़द की तुलना में अधिक होता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलने की संभावना रहती है।
बुआई से पहले बीज का उपचार (Seed Treatment) आवश्यक होता है ताकि बीमारियों से बचाव हो सके। इसके अलावा, बुआई के तुरंत बाद खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव करना भी जरूरी होता है ताकि शुरुआती अवस्था में ही खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सके। इस उद्देश्य के लिए ‘पेंडा मेथन 30% ईसी’ (Pendimethalin 30% EC) नामक खरपतवार नाशक का उपयोग किया जा सकता है।
अब बात करें मूंग और उड़द की खेती से होने वाले संभावित मुनाफे की। यदि एक किसान आधे एकड़ में मूंग और आधे एकड़ में उड़द उगाता है, तो अनुमानतः मूंग से लगभग 4 क्विंटल और उड़द से लगभग 2.5 क्विंटल उत्पादन हो सकता है। बाजार मूल्य (MSP) के अनुसार, 2024-25 में मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP) 8682 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द का 7400 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इस हिसाब से आधे एकड़ मूंग की खेती से 34,478 रुपये और आधे एकड़ उड़द की खेती से 18,500 रुपये की आमदनी हो सकती है। यानी कुल मिलाकर 52,978 रुपये की आय संभव है।
अब यदि कोई किसान पूरे एक एकड़ में मूंग या उड़द उगाना चाहता है, तो उसकी कमाई में और भी वृद्धि हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि एक एकड़ में केवल मूंग की खेती की जाए, तो अनुमानतः 8 क्विंटल उत्पादन होगा और उसकी कुल कमाई 69,456 रुपये तक हो सकती है। वहीं, यदि पूरे एक एकड़ में उड़द लगाया जाए, तो 5 क्विंटल उत्पादन की संभावना होगी और इसकी कमाई 37,000 रुपये तक हो सकती है। इस तरह, यदि कोई किसान आधे-आधे एकड़ में मूंग और उड़द उगाए, तो उसे कुल 52,978 रुपये की आमदनी होगी, जबकि कुल लागत 12,000 रुपये से अधिक नहीं होगी। इसका मतलब है कि एक सीजन में किसान 40,000 रुपये तक का मुनाफा कमा सकता है।
इस खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी की आवश्यकता भी कम होती है, जिससे यह उन क्षेत्रों के लिए भी लाभदायक साबित हो सकती है जहां सिंचाई के साधन सीमित हैं। इसके अलावा, सरकार द्वारा भी मूंग और उड़द की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और अन्य लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ किसान उठा सकते हैं।
कुल मिलाकर, मूंग और उड़द की खेती किसानों के लिए एक स्मार्ट विकल्प है जो कम लागत, कम पानी और कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकती है। यदि किसान सही समय पर बीज की बुआई करें, उपयुक्त किस्मों का चयन करें और खेती की वैज्ञानिक तकनीकों का पालन करें, तो वे इस खेती से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। खेती में सही योजना और सही फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाने से भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है और उत्पादन लागत भी कम होती है। ऐसे में मार्च और अप्रैल के महीने में गेहूं और सरसों की कटाई के बाद मूंग और उड़द की खेती करके किसान अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। यह सामग्री विशेषज्ञ सलाह या सटीक व्यावसायिक मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृपया विशेषज्ञों से परामर्श करें और अपनी स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी जानकारी से उत्पन्न होने वाले किसी भी लाभ या नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। खेती के दौरान सभी सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।