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Earthworms Are the Real Heroes! केंचुए बचाएंगे जंगलों का भविष्य!

NCIkrishiRN1 month ago

Earthworms Are the Real Heroes!

 जंगलों की सेहत और उनकी मिट्टी की उर्वरता (fertility) को बनाए रखना आज के समय में एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। खासकर जलवायु परिवर्तन के दौर में, जब पारंपरिक जंगलों के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बदल रही हैं, तब वैज्ञानिक और जंगल मालिक इस समस्या के नए समाधान ढूंढने में लगे हैं। इसी दिशा में, दक्षिणी जर्मनी में मार्टिन बनावर नामक व्यक्ति अपने 38 हेक्टेयर के जंगल को संरक्षित करने के लिए एक नई दिशा में काम कर रहे हैं। उनके जंगल में पहले स्प्रूस (Spruce) के पेड़ अधिक संख्या में थे, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा। इसे देखते हुए उन्होंने अपने जंगल को एक मिश्रित वुडलैंड में बदलने का निर्णय लिया। उन्होंने विशेषज्ञों की सलाह से विभिन्न प्रकार के पेड़ जैसे मेपल (Maple), देवदार (Cedar) और डगलस देवदार (Douglas Fir) लगाए ताकि जंगल की संरचना अधिक मजबूत और टिकाऊ बन सके।

जंगलों की सेहत केवल पेड़ों पर ही निर्भर नहीं होती, बल्कि मिट्टी के भीतर रहने वाले छोटे-छोटे जीवों पर भी इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। डोमिनिक लैंडर, जो कि लाइव फ्यूचर फॉरेस्ट प्रोजेक्ट (Live Future Forest Project) के शोधकर्ता हैं, इस विषय पर शोध कर रहे हैं। वे मानते हैं कि जंगल की मिट्टी को जीवंत बनाए रखना बेहद जरूरी है। जब हम “जीवित मिट्टी” (Living Soil) की बात करते हैं, तो इसका सीधा संबंध उसमें पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों और कीड़ों से होता है, जो जैविक पदार्थों (Biomass) को विघटित कर ह्यूमस (Humus) में बदलने का कार्य करते हैं। ह्यूमस मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह पेड़ों के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करता है।

इस पूरी प्रक्रिया में केंचुओं (Earthworms) की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। केंचुए मिट्टी में लगातार अपनी गतिविधियों के चलते उसमें पानी और ऑक्सीजन संचारित करते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है। लेकिन स्प्रूस के जंगलों में पाई जाने वाली अम्लीय (Acidic) मिट्टी केंचुओं के लिए अनुकूल नहीं होती। शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने के लिए कि इस जंगल में कितने केंचुए मौजूद हैं, एक विशेष तकनीक का उपयोग किया, जिसमें सरसों के तेल, अल्कोहल और पानी के मिश्रण से मिट्टी में मौजूद कीड़ों को सतह पर लाने की कोशिश की गई। लेकिन यह देखकर हैरानी हुई कि वहां एक भी केंचुआ मौजूद नहीं था। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से इस इलाके में केवल स्प्रूस के पेड़ उगने के कारण मिट्टी में जैव विविधता (Biodiversity) खत्म हो गई है।

मार्टिन बनावर के पास एक और जंगल है, जहां 30 साल पहले आए एक तूफान के कारण स्प्रूस के पेड़ गिर गए थे। उनकी जगह बीच (Beech) के पेड़ लगाए गए थे। यह माना जाता है कि बीच के पेड़ जंगल के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन जब मिट्टी की जांच की गई तो यह पता चला कि यह मिट्टी भी जीवित नहीं थी। बीच के पत्तों में टेनिक एसिड (Tannic Acid) अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसे केंचुए पसंद नहीं करते। इसका मतलब यह हुआ कि केवल नए पेड़ लगाने से समस्या हल नहीं होती, बल्कि सही प्रकार के पेड़ों का चयन करना भी जरूरी है।

डोमिनिक लैंडर का कहना है कि अगर किसी जंगल में केंचुओं को वापस बुलाना है, तो इसके लिए ऐसे पेड़ों को लगाना होगा जो उनके अनुकूल हों। उदाहरण के लिए, मेपल (Maple), लिंडन (Linden), हॉर्नबीम (Hornbeam) और वाइल्ड सर्विस ट्री (Wild Service Tree) ऐसे पेड़ हैं, जो केंचुओं को आकर्षित कर सकते हैं। अगर जंगल में इन पेड़ों की पर्याप्त संख्या होगी, तो मिट्टी फिर से जीवंत हो सकती है।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि स्वस्थ जंगल बनाने के लिए केवल पेड़ लगाना ही पर्याप्त नहीं है। मिट्टी की गुणवत्ता, उसमें मौजूद सूक्ष्म जीवों की संख्या और उनकी गतिविधियों का भी उतना ही महत्व है। यदि जंगल की मिट्टी स्वस्थ होगी, तो यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सहने में अधिक सक्षम होगी। जीवंत मिट्टी से पेड़ अधिक मजबूती से जड़ पकड़ सकते हैं और सूखे जैसी स्थितियों में भी लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

रायमुंडो नामक एक अन्य व्यक्ति भी इस सिद्धांत को अपनाकर अपने जंगल को मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने अपने जंगल में 40 से अधिक प्रकार के पेड़ लगाए हैं और पेड़ों की देखभाल में विशेष सावधानी बरती है। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके जंगल में जलवायु परिवर्तन का असर कम हुआ और पेड़ बेहतर तरीके से बढ़ने लगे। उन्होंने कॉमन वाइट बीम (Common Whitebeam) जैसे पेड़ भी लगाए, जो केंचुओं को आकर्षित करते हैं। जब डोमिनिक लैंडर ने इस जंगल में केंचुओं की गिनती की, तो पाया कि यहाँ बड़ी संख्या में केंचुए मौजूद थे। यह इस बात का प्रमाण था कि सही प्रकार के पेड़ लगाने से मिट्टी की गुणवत्ता सुधर सकती है और जंगल अधिक मजबूत बन सकता है।

कुल मिलाकर, यह शोध यह दर्शाता है कि जंगलों की देखभाल केवल पेड़ लगाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। मिट्टी की संरचना, उसमें रहने वाले जीवों और सही पेड़ों का चयन करना भी उतना ही आवश्यक है। केंचुए और अन्य मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीव जंगलों की सेहत के लिए अनमोल संपत्ति की तरह हैं, जो ह्यूमस बनाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और पानी के भंडारण में मदद करते हैं। यदि हम अपने जंगलों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें मिट्टी के भीतर छिपे इन नन्हें नायकों की अहमियत को समझना होगा।

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