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CEO Dies Suddenly: 42 साल की उम्र में CEO की अचानक मौत!

NCIRNvimarsh4 months ago

Suddenly Attack

देशभर में हृदय रोगों और उनकी वजह से हो रही अचानक मौतों पर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। हाल ही में एपिगामिया के सह-संस्थापक रोहन मिरचंदानी की 42 वर्ष की उम्र में कार्डियक अरेस्ट (हृदयगति रुकना) के कारण मृत्यु हो गई। यह घटना हमारे समाज के एक बड़े और चिंताजनक मुद्दे की ओर संकेत करती है, जिसमें युवा भारतीयों के स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आजकल हम देख रहे हैं कि 30 से 40 वर्ष के लोगों में हृदय रोगों की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए कई कारण गिनाते हैं, जिनमें से कोविड के बाद की स्थिति और हमारे जीवनशैली में आए नकारात्मक बदलाव प्रमुख हैं।

कार्डियक अरेस्ट एक ऐसा स्वास्थ्य स्थिति है, जहां दिल की गतिविधि अचानक बंद हो जाती है। यह हृदय की इलेक्ट्रिकल प्रणाली के गड़बड़ाने के कारण होता है, जिससे दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं और रक्त प्रवाह रुक जाता है। अगर समय पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेसुसिटेशन) या मेडिकल सहायता नहीं मिलती, तो कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति रुक जाती है और मृत्यु निश्चित हो जाती है। इस स्थिति में समय सबसे बड़ा कारक होता है, क्योंकि सिर्फ 2 मिनट के भीतर सीपीआर प्रदान करने पर ही व्यक्ति के जीवित बचने की संभावना बढ़ सकती है।

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक (दिल का दौरा) को अक्सर समान समझ लिया जाता है, लेकिन दोनों स्थितियों में बड़ा अंतर है। हार्ट अटैक मुख्य रूप से रक्त वाहिकाओं में प्लाक (चर्बीयुक्त अवरोध) के जमने और रक्त प्रवाह में बाधा के कारण होता है। वहीं, कार्डियक अरेस्ट में दिल की मांसपेशियां अचानक काम करना बंद कर देती हैं। हार्ट अटैक के मामले में, व्यक्ति को थोड़ा समय मिलता है और इलाज संभव हो सकता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में समय की कमी के कारण स्थिति अधिक गंभीर होती है।

आधुनिक जीवनशैली और खराब खानपान के कारण हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। उच्च वसा, तला हुआ खाना और धूम्रपान, इन समस्याओं को और बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, अत्यधिक तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। कई बार, हल्के लक्षणों को नजरअंदाज करना, जैसे कि छाती में दर्द, गर्दन में अकड़न, या अचानक चक्कर आना, भी घातक सिद्ध हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, इन लक्षणों को गंभीरता से लेना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना आवश्यक है।

भारत में हृदय रोगों के बढ़ते मामलों की एक वजह जेनेटिक प्रवृत्ति भी है। भारतीयों की जेनेटिक संरचना हृदय रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील है। इसके अलावा, हमारे समाज में स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की आदतें कम हैं। कोविड के बाद की स्थितियों ने भी इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है। वैक्सीन, तनाव, और कोविड के प्रभावों पर अलग-अलग राय हैं, लेकिन यह साफ है कि कोविड के बाद हृदय रोगों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, एक संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव को प्रबंधित करना ही इन समस्याओं से बचने का एकमात्र रास्ता है। इसके साथ ही, नियमित जांच और डॉक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है। अचानक बेहोश हो जाना, सांस फूलना, और सीने में दर्द जैसे लक्षणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। जीवनशैली में छोटे बदलाव, जैसे कि स्मोकिंग छोड़ना, वसा युक्त खाना कम करना, और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, हमें इन बीमारियों से बचा सकता है।

यह घटना हमें एक महत्वपूर्ण सबक देती है कि हमें अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियों को समझते हुए, हमें स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। युवा भारतीयों में बढ़ते हृदय रोगों के मामले सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं हैं, बल्कि यह हमारे समाज और भविष्य के लिए एक बड़ी चेतावनी हैं। इसे नजरअंदाज करना हमारी अगली पीढ़ी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

इसलिए, यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं।

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