इस खेती से कमा सकते हैं करोड़ों!
चंदन की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है जो 12-15 वर्षों में 3 करोड़ रुपये का मुनाफा दे सकती है। इसके लिए सही स्थान, मिट्टी, जलवायु और होस्ट पौधों की आवश्यकता होती है। सरकार भी इसे प्रमोट कर रही है और सब्सिडी दे रही है।
चंदन की खेती को भारत में सबसे लाभदायक खेती के रूप में जाना जाता है। एक एकड़ चंदन की खेती से 3 करोड़ तक की कमाई संभव है, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई और इसकी पूरी प्रक्रिया को जानना आवश्यक है। इस लेख में हम एक एकड़ चंदन की खेती का संपूर्ण विश्लेषण करेंगे।
चंदन की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले लागत का अनुमान लगाना होगा। एक एकड़ में चंदन के पौधों का पौधारोपण करने के लिए लाइन से लाइन के बीच की दूरी 12 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 10 फीट रखनी चाहिए। इस प्रकार एक एकड़ में कुल 360 चंदन के पौधे लगते हैं। दो साल पुराना चंदन का पौधा औसतन 1215 रुपये का होता है, इसलिए पौधारोपण का कुल खर्च 4,37,400 रुपये होता है।
चंदन का पेड़ सेमी-रूट पैरासिटिक होता है, अर्थात यह अपना भोजन 50-60% दूसरे पौधों की जड़ों से प्राप्त करता है। चंदन के पौधे के साथ होस्ट प्लांट जैसे अमरूद और मालाबार नीम के पौधे भी लगाए जाते हैं, जिनसे चंदन का पौधा भोजन प्राप्त करता है। होस्ट प्लांट का खर्चा भी शामिल करके, पहले साल की कुल लागत लगभग 5,86,800 रुपये होती है।
चंदन की खेती की समय साइकिल लगभग 12-15 वर्ष की होती है। पहले दो सालों में चंदन के पौधे प्राइमरी होस्ट प्लांट से भोजन ग्रहण करते हैं, और बाद में सेकेंडरी होस्ट प्लांट से। चंदन का पौधा 12-15 वर्ष में पूरी तरह से तैयार हो जाता है और बिक्री के लिए उपयुक्त होता है।
एक एकड़ चंदन की खेती से 40 क्विंटल हार्डवुड का उत्पादन होता है। सफेद चंदन का सरकारी भाव 10,000 रुपये प्रति किलो है, जिससे एक एकड़ से लगभग 4 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है। हालांकि, यह भाव कई परिस्थितियों पर निर्भर करता है जैसे कि पौधे की उम्र, मिट्टी की गुणवत्ता, और स्टेट का प्रभाव।
लागत और आमदनी का विश्लेषण करने पर, 15 वर्षों में चंदन की खेती से 3 करोड़ 96 लाख रुपये का प्रॉफिट प्राप्त होता है। इसके अलावा, होस्ट प्लांट से भी अतिरिक्त आमदनी होती है, जैसे अमरूद और मालाबार नीम के पौधों से।
चंदन की खेती शुरू करने से पहले कुछ नियम और शर्तें जाननी आवश्यक हैं। पौधारोपण के बाद, बचे हुए पौधों की जानकारी पटवारी को देनी होती है और रिसिप्ट संभाल कर रखनी होती है। कटाई के समय वन विभाग के अधिकारी को यह रिसिप्ट दिखानी होती है।
सरकार चंदन की खेती को प्रमोट कर रही है और प्रति एकड़ 50,000 रुपये की सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। इस प्रकार, चंदन की खेती एक लाभदायक और सुरक्षित निवेश है।
चंदन की खेती शुरू करने के लिए सही स्थान का चयन महत्वपूर्ण है। भारत में चंदन की खेती के लिए सर्वोत्तम परिस्थितियों और स्थानों के बारे में निम्नलिखित जानकारी महत्वपूर्ण है:
- भौगोलिक क्षेत्र:
- कर्नाटक: यह राज्य चंदन की खेती के लिए सबसे प्रसिद्ध है। यहां का चंदन ‘मायसोर सैंडलवुड’ के नाम से जाना जाता है और इसकी गुणवत्ता उच्चतम मानी जाती है।
- तमिलनाडु: यहां भी चंदन की खेती बहुतायत में होती है और गुणवत्ता अच्छी होती है।
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: इन राज्यों में भी चंदन की खेती की जा सकती है।
- केरल: यहां की जलवायु और मिट्टी चंदन की खेती के लिए उपयुक्त है।
- मिट्टी और जलवायु:
- चंदन की खेती के लिए लाल बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी, और काली कपासीय मिट्टी सर्वोत्तम होती है।
- मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
- जलवायु में तापमान 12°C से 30°C के बीच होना चाहिए।
- औसत वार्षिक वर्षा 600 मिमी से 1600 मिमी के बीच होनी चाहिए।
- भूमि की तैयारी:
- चंदन के पौधों को अच्छी तरह से जल निकासी वाली भूमि में लगाया जाना चाहिए।
- भूमि को अच्छी तरह से जोत कर और समतल कर लिया जाए।
- पौधारोपण से पहले जैविक खाद का प्रयोग करें।
- पौधारोपण का समय:
- मानसून की शुरुआत के दौरान (जून-जुलाई) चंदन के पौधों का रोपण करना सबसे अच्छा होता है।
- पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है।
- सुरक्षा:
- चंदन के पौधे को चोरी से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय करना महत्वपूर्ण है। खेत की बाउंड्री को मजबूत करें और सुरक्षा कर्मचारियों की व्यवस्था करें।
- अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- चंदन की खेती में समय और धैर्य की आवश्यकता होती है, क्योंकि पेड़ को परिपक्व होने में 12-15 वर्ष का समय लगता है।
- खेती की शुरूआत करने से पहले सरकारी नियम और शर्तें जान लें और आवश्यक अनुमति प्राप्त करें।
उपरोक्त जानकारियों के आधार पर, आप अपनी भूमि की स्थितियों के अनुसार चंदन की खेती शुरू कर सकते हैं। उचित देखभाल और सही तकनीकों का उपयोग करके, चंदन की खेती से लाभप्रद परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
किसानस्य यशो वर्धेत् चन्दनस्य महागुणैः।
वनं वर्धयते धीरः फलं स्याद्व्यापकं चिरम्॥
किसान की यश और प्रतिष्ठा चंदन के महान गुणों से बढ़ती है। धैर्यवान किसान वन को बढ़ाता है और इसका फल व्यापक और दीर्घकालिक होता है। यह श्लोक इस लेख से संबंधित है क्योंकि चंदन की खेती धैर्य और समय की मांग करती है। धैर्यवान किसान अपनी मेहनत और समर्पण से वन (खेती) को बढ़ाता है और इसके फल स्वरूप उसे व्यापक और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होता है।
### Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। चंदन की खेती में निवेश करने से पहले, कृपया संबंधित सरकारी विभागों और विशेषज्ञों से संपर्क करें। लेख की जानकारी के आधार पर किसी भी निर्णय या कार्रवाई के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। सरकारी नीतियों और सब्सिडी में बदलाव हो सकते हैं, नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से परामर्श करें।