कटेला (Amethyst) रत्न: धारण करें या नहीं, जानें पहचान, फायदे एवं कटेला से जुड़ी सारी जानकारी
आज हम बात करेंगे एक अद्भुत रत्न के बारे में, जिसका नाम है अमेथिस्ट (Amethyst) या कटेला। यह रत्न न केवल आपकी सफलता में मदद करता है, बल्कि आपके रुके हुए कार्यों को भी आगे बढ़ाने में सहायक होता है। इस आर्टिकल में, हम इस रत्न के विभिन्न पहलुओं जैसे इसकी केमिकल प्रॉपर्टीज (Chemical Properties), लाभ, धारण करने की विधि, किसे धारण करना और किसे नहीं आदि के बारे में जानेंगे।
अमेथिस्ट रत्न की जानकारी
अमेथिस्ट (Amethyst), जिसे हिंदी में कटेला (Katela) या जामुनिया (Jamuniya) भी कहा जाता है, शनि ग्रह से संबंधित रत्न है। यह रत्न नीलम का उपरत्न (Substitute) है और उसकी तुलना में किफायती होता है। कटेला का रंग गहरा बैंगनी (Deep Purple) होता है। इसके विभिन्न शेड्स हो सकते हैं, लेकिन गहरा बैंगनी रंग इसकी पहचान है।
केमिकल प्रॉपर्टीज (Chemical Properties)
- रिफ्रैक्टिव इंडेक्स (Refractive Index): 1.55 से 1.552 तक।
- स्पेसिफिक ग्रेविटी (Specific Gravity): 2.60 से 2.70 तक।
- मोह स्केल पर हार्डनेस (Hardness on Moh’s Scale): 6 से 7 तक।
किन्हें जामुनिया (अमेथिस्ट/कटेला) रत्न नहीं पहनना चाहिए?
शुभ शनि (Beneficial Saturn):
- अगर आपकी कुंडली में शनि 1st, 2nd, 5th, 9th, या 10th भाव में स्थित है और शुभ फल प्रदान कर रहा है, तो जमुनिया रत्न नहीं पहनना चाहिए।
- शुभ शनि की स्थिति में, इस रत्न को पहनने से शनि की ऊर्जा अधिक बलवान हो सकती है, जो अनुकूल नहीं हो सकता।
शनि का उच्च या स्वग्रही होना (Exalted or Own House Saturn):
- अगर शनि आपकी कुंडली में तुला (Libra) राशि में उच्च (Exalted) या मकर (Capricorn) और कुंभ (Aquarius) राशि में स्वग्रही (Own House) है, तो यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
- इन स्थितियों में, शनि पहले से ही शक्ति में होता है और इस रत्न की आवश्यकता नहीं होती।
शनि की महादशा या अंतर्दशा नहीं हो (No Saturn Mahadasha or Antardasha):
- अगर वर्तमान में आपकी कुंडली में शनि की महादशा या अंतर्दशा नहीं चल रही है, तो इस रत्न को पहनना आवश्यक नहीं है।
- शनि की दशा न होने पर, इस रत्न की प्रभावशीलता कम हो सकती है।
अन्य ग्रहों का बलवान होना (Strength of Other Beneficial Planets):
- यदि आपकी कुंडली में गुरु (Jupiter), शुक्र (Venus) जैसे शुभ ग्रह बलवान हैं और शनि के प्रभाव को कम कर रहे हैं, तो जमुनिया रत्न पहनना आवश्यक नहीं है।
- इन स्थितियों में, शनि का प्रभाव कम हो जाता है और जमुनिया की आवश्यकता नहीं होती।
शनि के बुरे भाव में होना (Saturn in Malefic Houses):
- अगर शनि आपकी कुंडली के 6th, 8th, या 12th भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान कर रहा है, तो इस रत्न को पहनने से बचें।
- इन भावों में शनि का प्रभाव अधिक नकारात्मक हो सकता है और जमुनिया रत्न पहनने से स्थिति और खराब हो सकती है।
किसे जामुनिया (अमेथिस्ट/कटेला) रत्न धारण करना चाहिए:
- शनि की महादशा या अंतर्दशा हो (Saturn Mahadasha or Antardasha):
- अगर आपकी कुंडली में शनि की महादशा या अंतर्दशा चल रही है, तो जमुनिया रत्न धारण करना लाभकारी हो सकता है।
- यह रत्न शनि के प्रभाव को संतुलित कर सकता है और शुभ फल प्रदान कर सकता है।
- शनि के अशुभ प्रभाव (Malefic Saturn Effects):
- यदि शनि आपकी कुंडली के 6th, 8th, या 12th भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान कर रहा है, तो यह रत्न धारण करना लाभकारी हो सकता है।
- यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकता है।
- मानसिक तनाव और चिंता (Mental Stress and Anxiety):
- जो लोग मानसिक तनाव, ओवरथिंकिंग, और चिंता से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रत्न धारण करना लाभकारी है।
- यह मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है।
- निर्णय लेने की क्षमता (Decision Making Ability):
- जो लोग निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं, उन्हें यह रत्न धारण करना चाहिए।
- यह रत्न निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार (Improvement in Financial Condition):
- जो लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह रत्न धन के नए स्रोत खोलने में सहायक है।
- रोगों से पीड़ित व्यक्ति (People Suffering from Illnesses):
- जिन लोगों को कैंसर, हड्डी और त्वचा संबंधी रोग हैं, उनके लिए यह रत्न आयुर्वेदिक दृष्टि से लाभकारी होता है।
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जामुनिया (अमेथिस्ट/कटेला) रत्न धारण करने का सही समय और विधि
धारण करने का दिन और समय:
- दिन: शनिवार (Saturday): कटेला रत्न को शनिवार के दिन धारण करना सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह रत्न शनि ग्रह से संबंधित है।
- समय: सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच (ब्राह्ममुहूर्त में): ब्रह्ममुहूर्त (Brahma Muhurta): सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच का समय सबसे उत्तम होता है। इस समय धारण करने से रत्न का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है।
धारण करने की विधि:
- शुद्धिकरण (Purification):
- शुक्रवार की रात को रत्न को कच्ची घानी के सरसों के तेल में डुबोकर रखें।
- शनिवार को स्नान कर इसे निकालें और साफ कपड़े से पोंछें।
- दूध, दही, गंगाजल, घी आदि से पुनः स्नान कराएं।
- धूप-दीप (Incense and Lamp):
- रत्न को धूप और दीप दिखाकर पवित्र करें।
- इसे रोली, अक्षत, चावल और चंदन से सजाएं।
- शनि मंत्र (Shani Mantra):
- ओम शं शनिश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
- मंत्रोच्चारण के साथ रत्न को सिद्ध करें।
- धातु और उंगली (Metal and Finger):
- इस रत्न को चांदी या पंचधातु में बनवाएं।
- इसे सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें।
- महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ में भी धारण कर सकती हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- पूजन: रत्न को धारण करने से पहले शनि देव की विधिवत पूजा करें।
- मंत्रोच्चार: रत्न को धारण करते समय शनि मंत्र का जाप करते रहें।
- आहार: धारण करने से पहले हल्का और शुद्ध आहार लें।
- स्नान: शुद्ध वस्त्र पहनकर स्नान करें।
नोट: जमुनिया रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें। आपकी कुंडली का विश्लेषण कर, ज्योतिषी यह बता सकते हैं कि यह रत्न आपके लिए अनुकूल है या नहीं। गलत रत्न धारण करने से हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है ।
अमेथिस्ट रत्न कहां मिलता है?
अमेथिस्ट रत्न की उच्च गुणवत्ता वाले रत्न निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त किए जा सकते हैं:
- ब्राजील (Brazil):
- ब्राजील में पाए जाने वाले अमेथिस्ट रत्न (कटेला) की गुणवत्ता उच्च होती है और ये गहरे रंग के होते हैं।
- इन रत्नों को ब्राजील के विभिन्न खानों से निकाला जाता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचा जाता है।
- श्रीलंका (Sri Lanka):
- श्रीलंका में भी उच्च गुणवत्ता वाले अमेथिस्ट रत्न (कटेला) मिलते हैं।
- श्रीलंका के रत्न अपने चमक और स्थायित्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
- उरुग्वे (Uruguay):
- उरुग्वे में पाए जाने वाले अमेथिस्ट रत्न (कटेला) हल्के रंग के होते हैं।
- ये रत्न भी उच्च गुणवत्ता के होते हैं और विभिन्न खानों से निकाले जाते हैं।
- भारत (India):
- भारत के कुछ हिस्सों में भी अमेथिस्ट रत्न (कटेला) पाए जाते हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता ब्राजील और श्रीलंका के रत्नों की तुलना में थोड़ी कम हो सकती है।
- भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में ये रत्न मिलते हैं।
- दक्षिण अफ्रीका (South Africa):
- दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले अमेथिस्ट (कटेला) रत्न हल्के रंग के होते हैं।
- ये रत्न भी विभिन्न खानों से निकाले जाते हैं और बाजार में बेचे जाते हैं।
अमेथिस्ट रत्न (कटेला) खरीदने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:
- लैब सर्टिफिकेट (Lab Certificate): हमेशा रत्न के साथ एक प्रामाणिक लैब सर्टिफिकेट होना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि रत्न असली है।
- विश्वसनीय विक्रेता (Trusted Seller): केवल विश्वसनीय विक्रेता से ही रत्न खरीदें। ऑनलाइन रिव्यू और रेफरेंस की जांच करें।
- कीमत (Price): अमेथिस्ट रत्न (कटेला) की कीमत ₹50 प्रति रत्ती तक हो सकती है। बहुत सस्ता रत्न असली नहीं हो सकता है।
- गुणवत्ता (Quality): ब्राजील और श्रीलंका के रत्न उच्च गुणवत्ता वाले माने जाते हैं, इसलिए इन स्थानों से आयातित रत्न को प्राथमिकता दें।
कटेला की पहचान करने के लिए परीक्षण
- नाखून या धातु से खरोंचना:
- यदि कटेला आसानी से खरोंचता नहीं है, तो यह असली हो सकता है। मोह्स स्केल पर कटेला की कठोरता 7 होती है। इसे नाखून या धातु के साथ खरोंचने से पहचान सकते हैं। अगर यह आसानी से खरोंचता नहीं है, तो यह असली कटेला हो सकता है। कटेला की उच्च स्पष्टता होती है। यह साफ और पारदर्शी दिखता है। इसमें अंदर की दरारें (Inclusions) कम होनी चाहिए।
- यूवी लाइट टेस्ट:
- पराबैंगनी प्रकाश (UV light) में कटेला पर नीला या बैंगनी चमक देखें। कटेला का रंग गहरा बैंगनी (Deep Purple) होता है। इसके विभिन्न शेड्स हो सकते हैं, लेकिन गहरा बैंगनी रंग इसकी पहचान है। हमेशा एक प्रमाणित लैब से सर्टिफिकेट प्राप्त करें जो रत्न की असलियत की पुष्टि करता हो।
- पानी में तैरना:
- कटेला को पानी में डालकर उसकी सघनता मापें। अगर यह डूबता है तो इसकी सघनता सही है। कटेला की सघनता 2.65 से 2.75 के बीच होती है। इसे मापने के लिए, आप इसे पानी में डालकर इसके वजन की तुलना कर सकते हैं। असली कटेला में प्राकृतिक रूप से बनने वाली विशेषताएँ होती हैं जैसे रंग की विविधता और छोटे-छोटे दोष (Inclusions)। पूरी तरह से साफ कटेला अक्सर सिंथेटिक होता है।
यह परीक्षण और विशेषताएँ कटेला रत्न की पहचान में मदद कर सकती हैं। हमेशा सुनिश्चित करें कि आप एक विश्वसनीय विक्रेता से खरीदारी करें और प्रमाणित लैब सर्टिफिकेट प्राप्त करें।