New Criminal laws : नए कानूनों से बढ़ेगा पुलिस का राज!

मनीष तिवारी ने लोकसभा में फौजदारी कानूनों की नई प्रक्रिया की खामियों को उजागर किया। उन्होंने इसे पुलिस राज की स्थापना की ओर बढ़ता कदम बताया और न्यायपालिका में भ्रम उत्पन्न करने वाला बताया। तिवारी ने इन कानूनों पर पुनर्विचार और समीक्षा की मांग की।

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कल रात 12 बजे से देश में फौजदारी कानूनों की नई प्रक्रिया लागू की गई। यह बात माननीय सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कही। उन्होंने इस नई प्रक्रिया की खामियों पर जोर दिया और इसे देश में पुलिस राज स्थापित करने का आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह नई प्रक्रिया संसद और राज्यसभा की सामूहिक बुद्धिमानी को नहीं दर्शाती और इसमें कई बड़ी खामियां हैं।

मनीष तिवारी ने बताया कि इस नई प्रक्रिया के तहत भारत के 177,380 पुलिस थानों में इसे लागू किया जाएगा, जिसमें 9,378 थाने ग्रामीण इलाकों में, 4,929 थाने शहरी इलाकों में और 3,072 विशेष पुलिस स्टेशन शामिल हैं। यह प्रक्रिया सिर्फ नॉर्थ ब्लॉक तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश में लागू होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस नई प्रक्रिया से देश में दो समानांतर फौजदारी प्रक्रियाएं बन गई हैं। 30 जून 2024 तक दर्ज मामलों पर पुराने कानूनों के तहत फैसला होगा और 1 जुलाई 2024 से दर्ज मामलों पर नई प्रक्रिया लागू होगी।

मनीष तिवारी ने यह भी बताया कि भारत की न्यायपालिका में 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं और इनमें से अधिकतर मामले फौजदारी से जुड़े हुए हैं। इस नई प्रक्रिया से न्यायपालिका में और अधिक भ्रम और संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह तीनों कानून उस समय पारित किए गए जब संसद और राज्यसभा से 146 सांसद अनुपस्थित थे, जिससे यह कानून सामूहिक बुद्धिमानी को प्रतिबिंबित नहीं करते।

उन्होंने यह भी कहा कि नए कानून के तहत पुलिस को विवेकाधिकार दिया गया है कि वे तीन से सात साल की सजा वाले मामलों में एफआईआर दर्ज करें या नहीं, जिससे वंचित और कमजोर वर्गों के लोगों की एफआईआर दर्ज नहीं हो पाएगी। इसके अलावा, नए कानून में बेल एंड नो जेल के सिद्धांत का उल्लंघन किया गया है। गिरफ्तार व्यक्ति को 60 से 90 दिनों तक जमानत नहीं मिल सकेगी, चाहे वह जमानत के ट्रिपल टेस्ट को पास करता हो या नहीं।

मनीष तिवारी ने यह भी बताया कि 1973 में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि अभियुक्त को हथकड़ियों में अदालत में नहीं लाया जाएगा, लेकिन नए कानून के तहत हथकड़ियों को फिर से लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि राजद्रोह के कानून को उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी थी, लेकिन नए कानून के माध्यम से इसे फिर से लागू कर दिया गया है।

अंत में, मनीष तिवारी ने सदन से अनुरोध किया कि इन तीनों कानूनों पर तुरंत रोक लगाई जाए और इन्हें दोबारा संसद के समक्ष रखा जाए। इन्हें संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए ताकि उनकी दोबारा से समीक्षा हो सके। अन्यथा, इस देश में पुलिस राज स्थापित होने की संभावना है।

अधिकारिणां दुर्बलानां यथा न जायते भयम्।
नयेन राजकार्यं स्यात् सर्वजनहिताय च॥

निर्बल लोगों में भय न उत्पन्न हो, इस प्रकार नीति से राजकार्य हो और सबके हित में हो। इस श्लोक का संबंध इस लेख से है क्योंकि यह नई फौजदारी कानून की प्रक्रियाओं की खामियों और इसके प्रभावों को उजागर करता है, जो कमजोर वर्गों के लिए भय उत्पन्न कर सकता है और नीति के उल्लंघन का प्रतीक हो सकता है। मनीष तिवारी का संदेश भी यही है कि कानून सबके हित में और न्यायपूर्ण होना चाहिए।