भारत में अंडा ( Egg ) हमेशा से एक अहम और सस्ता प्रोटीन स्रोत माना जाता रहा है। चाहे संडे हो या मंडे, लोगों का नाश्ता अंडे के बिना अधूरा लगता है। यह “चीपेस्ट फॉर्म ऑफ प्रोटीन” है, जिसे हेल्दी डाइट का अनिवार्य हिस्सा माना जाता है। लेकिन हाल ही में एक स्टडी ने अंडे के सेवन और कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच संबंध को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या रोज़ अंडा खाना वाकई सुरक्षित है या इसके पीछे छिपा है कोई गंभीर खतरा? इस स्टडी में एक फैटी एसिड – लेनोलिक एसिड (Linoleic Acid) – पर फोकस किया गया है, जो अंडे ( Egg ) सहित कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यही तत्व कैंसर की ग्रोथ को ट्रिगर कर सकता है, खासकर ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple Negative Breast Cancer) जैसे आक्रामक कैंसर में। यह खबर सुनकर लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि अंडे ( Egg ) को अब तक एक हेल्दी फूड माना जाता था।
लेनोलिक एसिड एक प्रकार का ओमेगा-6 फैटी एसिड है, जो अधिकतर सीड ऑयल जैसे सोयाबीन, सनफ्लावर और सैफ्लावर में पाया जाता है। यह अनसैचुरेटेड फैट की श्रेणी में आता है, जिसे पहले हेल्दी माना जाता था। लेकिन नई रिसर्च ने यह दिखाया है कि यह एसिड हमारे शरीर में मौजूद mTORC1 नामक एक प्रोटीन को सक्रिय कर देता है। यह प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं की ग्रोथ और प्रजनन में अहम भूमिका निभाता है। अगर यह प्रोटीन जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाए, तो यह कैंसर सेल्स की ग्रोथ को भी बढ़ा सकता है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि यह एसिड खासकर ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर की ग्रोथ में सहायक हो सकता है। ट्रिपल नेगेटिव ट्यूमर ऐसे कैंसर होते हैं जिनमें तीन प्रमुख रिसेप्टर्स – एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और HR2 – नहीं होते, इसलिए इनका इलाज बहुत कठिन होता है।
mTORC1 एक तरह का सेंसर प्रोटीन है जो यह तय करता है कि किस सेल को ग्रो करना है और किसे नहीं। यह न्यूट्रिएंट्स की उपस्थिति पर प्रतिक्रिया करता है और सेल डिवीजन को नियंत्रित करता है। जब हम ज्यादा मात्रा में फैटी एसिड या प्रोटीनयुक्त डाइट लेते हैं, तब यह सेंसर एक्टिव हो जाता है और कोशिकाओं की ग्रोथ को तेज करता है। यह प्रक्रिया सामान्य विकास में सहायक होती है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कैंसर सेल्स पहले से मौजूद हों, तो यह प्रक्रिया कैंसर की ग्रोथ को भी बढ़ावा दे सकती है। यही कारण है कि अंडे जैसे पोषक आहार, जो पहले हेल्दी माने जाते थे, अब रिसर्च की नज़र में सवालों के घेरे में आ गए हैं। रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि FABP5 नामक एक और प्रोटीन लेनोलिक एसिड को सेल्स में ट्रांसपोर्ट करता है और mTORC1 को सक्रिय करता है, जिससे कैंसर ग्रोथ और तेज हो जाती है।
हमारी डाइट में दो प्रमुख प्रकार के फैटी एसिड होते हैं – ओमेगा-3 और ओमेगा-6। ओमेगा-3 को आमतौर पर एंटी-इंफ्लेमेटरी माना जाता है, जबकि ओमेगा-6 फैट्स शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ाते हैं। पहले यह माना जाता था कि ओमेगा-6 केवल सीमित मात्रा में नुकसानदेह होता है, लेकिन अब शोध से पता चला है कि इसका अधिक सेवन कैंसर जैसे रोगों की जड़ हो सकता है। इसलिए विशेषज्ञ यह सलाह दे रहे हैं कि हमारी डाइट में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के बीच संतुलन बहुत जरूरी है। मौजूदा समय में फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड के कारण ओमेगा-6 की मात्रा लोगों की डाइट में बहुत ज्यादा हो गई है। इससे शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इस संतुलन को सुधारने के लिए मछली, अखरोट, चिया सीड्स जैसे ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर के कई प्रकार होते हैं, लेकिन ट्रिपल नेगेटिव टाइप सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसमें तीन जरूरी रिसेप्टर्स नहीं होते, जिससे ट्रीटमेंट के लिए लिमिटेड विकल्प बचते हैं। यह ट्यूमर तेजी से फैलता है और अक्सर रिकर (पुनरावृत्ति) करता है। रिसर्च के अनुसार, ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में आमतौर पर कम उम्र में पाया जाता है और इसका इलाज अन्य टाइप के कैंसर की तुलना में कठिन होता है। लेनोलिक एसिड के कारण यह ट्यूमर और भी ज्यादा आक्रामक हो सकता है। mTORC1 पाथवे की सक्रियता से इस टाइप के कैंसर में तेजी से सेल डिवीजन और ग्रोथ होती है। इसलिए रिसर्चर्स ने सलाह दी है कि इस टाइप के कैंसर के जोखिम वाले लोगों को खासतौर पर अपनी डाइट पर ध्यान देना चाहिए।
इस सवाल का उत्तर एकदम सीधा नहीं है। रिसर्च यह नहीं कहती कि अंडा ( Egg ) खाने से सभी को कैंसर हो जाएगा। बल्कि यह कहती है कि अंडे ( Egg ) में मौजूद कुछ तत्व, खासकर लेनोलिक एसिड, ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर सेल्स को ग्रो करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए जरूरत है संतुलित डाइट की और समझदारी भरे फैसले की। अगर आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं, आपकी फैमिली हिस्ट्री में कैंसर नहीं है और आप संतुलित मात्रा में अंडा ( Egg ) खाते हैं, तो फिलहाल चिंता की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप रिस्क ग्रुप में आते हैं या आपके शरीर में पहले से कोई कैंसर सेल्स एक्टिव हो सकती हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अंडे ( Egg ) को डाइट से हटाने की नहीं बल्कि उसकी मात्रा नियंत्रित करने की जरूरत है।
हमारी डाइट केवल शरीर को ऊर्जा देने का काम नहीं करती, बल्कि यह तय करती है कि हम बीमार होंगे या स्वस्थ रहेंगे। रिसर्च से यह बात बार-बार साबित होती आई है कि गलत खानपान डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकता है। प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा तेल, चीनी और अनहेल्दी फैट्स शरीर में धीमे ज़हर की तरह काम करते हैं। लेनोलिक एसिड जैसे तत्व अगर ज्यादा मात्रा में लिए जाएं, तो ये कैंसर को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए सेहतमंद जीवन जीने के लिए ज़रूरी है कि हम अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा नेचुरल और होल फूड्स को शामिल करें। डॉक्टरों और डायटीशियंस की सलाह से डाइट चार्ट बनाना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना भी अब वक्त की मांग बन चुका है।
इस रिसर्च ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि “जो दिखता है वो हमेशा सही नहीं होता।” अंडे ( Egg ) को हेल्दी मानने वाले अब दो बार सोचने लगे हैं कि क्या इसे डेली डाइट में शामिल करना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अंडा ( Egg ) पूरी तरह से नुकसानदेह है। यह एक बेहतरीन प्रोटीन स्रोत है, लेकिन इसकी मात्रा, क्वालिटी और सेवन का तरीका हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है। हमें इस बात को समझना होगा कि हर इंसान की बॉडी अलग होती है और सभी पर एक ही डाइट का एक जैसा असर नहीं होता। अगर आप स्वस्थ जीवन चाहते हैं, तो अपनी डाइट को लेकर सजग रहिए, रिसर्च को गंभीरता से लीजिए और समय-समय पर विशेषज्ञों से सलाह लेते रहिए। क्योंकि अंत में, “सावधानी ही सुरक्षा है।”