ये है दुनिया की सबसे लंबी सुरंग!

डेनमार्क और जर्मनी के बीच दुनिया की सबसे लंबी सुरंग का निर्माण चल रहा है, जो उत्तरी और दक्षिणी यूरोप को करीब लाएगी। यह परियोजना 2029 तक पूरी होगी, जिसमें 160 किलोमीटर की ड्राइविंग दूरी घट जाएगी।

सुरंग
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डेनमार्क और जर्मनी के बीच दुनिया की सबसे लंबी प्रीफैब्रिकेटेड (prefabricated) सुरंग के निर्माण का काम जोरों से चल रहा है। यह परियोजना न केवल इंजीनियरिंग का एक अद्वितीय उदाहरण है, बल्कि यह यूरोप के परिवहन नेटवर्क को भी क्रांतिकारी बदलाव देने का वादा करती है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तरी और दक्षिणी यूरोप के बीच के फासले को कम करना और यात्रा को अधिक सुगम बनाना है।

यह सुरंग, जिसे Fehmarnbelt सुरंग के नाम से जाना जाता है, का निर्माण कार्य डेनमार्क और जर्मनी को सीधे जोड़ने के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में, इन दोनों देशों के बीच की यात्रा के लिए 160 किलोमीटर की अतिरिक्त ड्राइविंग करनी पड़ती है, जिसे यह सुरंग समाप्त कर देगी। यह परियोजना यूरोप के सबसे बड़े और सबसे महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसका उद्देश्य रेल और सड़क परिवहन को अधिक प्रभावी और तेज बनाना है।

इस सुरंग के पहले हिस्से का उद्घाटन डेनमार्क के राजा ने किया, जो इस परियोजना की अहमियत और इसकी जटिलता को दर्शाता है। यह सुरंग 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी, जिससे यूरोप के विभिन्न भागों के बीच यात्रा में तेजी और सुविधा आएगी। इस परियोजना के लिए यूरोप का सबसे बड़ा निर्माण स्थल बनाया गया है, और इसका हर पहलू विशाल और चुनौतीपूर्ण है।

सुरंग के निर्माण में कंक्रीट डालने की प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। एक सेगमेंट के लिए 30 घंटे तक लगातार कंक्रीट डालना पड़ता है, जिसमें दसियों हजार टन कंक्रीट का उपयोग होता है। इस प्रक्रिया में हर सामग्री को एक ही बार में डालना होता है ताकि तापमान में बदलाव के कारण कोई दरार ना आए और संरचना जलरोधी (waterproof) बनी रहे।

प्रीफैब्रिकेटेड स्लैब (slab) का निर्माण और सेटअप इस परियोजना की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हर स्लैब 217 मीटर लंबा और 42 मीटर चौड़ा है। सुरंग में कुल 89 प्रीफैब्रिकेटेड हिस्से होंगे, जिनमें दो ट्यूब (tube) ट्रेन और दो कारों के लिए होंगे। इन विशाल हिस्सों को समुद्र के भीतर डुबोकर जोड़ा जाएगा, जो इंजीनियरिंग का एक अद्वितीय कारनामा है। इस प्रक्रिया के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि समुद्री जीवन को न्यूनतम नुकसान पहुंचे। केवल 0.05 प्रतिशत समुद्री रीफ (reef) इस निर्माण से प्रभावित होंगे, और जितने प्रभावित होंगे, उससे अधिक को नई जगह पर बसाया जाएगा।

यह परियोजना यूरोपीय संघ (European Union) की उस व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उत्तरी और दक्षिणी यूरोप के बीच रेल यात्रा को तेज और सुगम बनाना है। यह योजना इसलिए बनाई गई है ताकि हवाई यात्रा की तुलना में रेल यात्रा को प्राथमिकता दी जा सके, जो पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है। इस परियोजना में ब्रेनर बेस टनल (Brenner Base Tunnel) भी शामिल है, जो ऑस्ट्रिया और इटली को जोड़ने वाली एक और विशाल सुरंग है।

इस सुरंग की कुल अनुमानित लागत 7 अरब यूरो है। इसके निर्माण की लागत वसूलने के लिए वित्तीय मॉडल बनाए गए हैं, जो ट्रैफिक की भविष्यवाणियों पर आधारित हैं। उम्मीद की जा रही है कि प्रतिदिन करीब 111 ट्रेनें और 12,000 कारें इस सुरंग से गुजरेंगी। सुरंग का टोल (toll) 73 यूरो प्रति कार रखा गया है, हालांकि ट्रेनों के लिए कीमतें अभी तय नहीं की गई हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि निर्माण की लागत अगले 20 वर्षों में नहीं निकाली जा सकेगी।

इस परियोजना में सबसे महत्वपूर्ण है सुरक्षा। सुरंग के भीतर पानी का रिसाव या किसी प्रकार की दुर्घटना से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों का विशेष ध्यान रखा गया है। दीवारों को अधिकतम रफ्तार में ट्रेन या कार से जुड़े हादसों को झेलने के लिहाज से बनाया गया है, और इसके लिए एक सेफ्टी बफर (safety buffer) तैयार किया गया है।

यह सुरंग 2028 में बनकर तैयार हो जाएगी, और डेनमार्क के लोगों ने इसके निर्माण में बड़ा योगदान दिया है। उनके लिए इसका महत्व जर्मनों की तुलना में अधिक है, क्योंकि यह परियोजना डेनमार्क की अर्थव्यवस्था और यात्रा में सुधार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस परियोजना के पूरा होने पर, डेनमार्क और उत्तरी जर्मनी के लोग यात्रा के समय और दूरी में बड़ी बचत करेंगे।

यह सुरंग न केवल यूरोप के परिवहन नेटवर्क को अधिक कुशल बनाएगी, बल्कि यह यूरोप के विभिन्न हिस्सों के बीच आर्थिक और सामाजिक संपर्क को भी बढ़ावा देगी। इससे न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि यूरोप की व्यापारिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। यह परियोजना, एक इंजीनियरिंग चमत्कार के रूप में, आने वाले वर्षों में यूरोप की प्रगति और विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

समुद्रगर्भे सेतुर्निर्माणं जातं महोन्नतम्।
यंत्रमंत्रविधानं च महाभिनवकल्पितम्॥

समुद्र के गर्भ में सेतु का निर्माण हुआ है, जो अत्यंत ऊँचाई और नवीनता से परिपूर्ण है। यह यंत्र और मंत्र के विधान से महाभिनव कल्पना का प्रतीक है।  यह श्लोक दुनिया की सबसे लंबी प्रीफैब्रिकेटेड सुरंग के निर्माण को दर्शाता है, जो डेनमार्क और जर्मनी के बीच समुद्र के नीचे बन रही है। इस महा परियोजना में आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग के नवीनतम आयामों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह सुरंग एक अद्वितीय चमत्कार का प्रतीक बन गई है।