भारत में पर्व-त्योहारों का हमेशा से एक अलग ही स्थान रहा है और हर त्यौहार के पीछे कोई-न-कोई धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक महत्व अवश्य छुपा होता है। इन्हीं प्रमुख त्योहारों में से एक है काली पूजा (Kali Puja)। यह त्योहार माँ काली (Goddess Kali) को समर्पित होता है, जिनको शक्ति (Shakti), सुरक्षा (Protection) और बुराई के विनाश (Destruction of Evil) की प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से उत्तर भारत (North India), पश्चिम बंगाल (West Bengal), ओडिशा (Odisha), असम (Assam) और कोलकाता (Kolkata) में इस त्योहार को बहुत ही भव्यता से मनाया जाता है। हर वर्ष कार्तिक (Kartik) मास की अमावस्या तिथि (Amavasya Date) के दिन काली पूजा (Kali Puja) का आयोजन धूमधाम से किया जाता है।
काली पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में काली पूजा 20 अक्टूबर, सोमवार (Monday) को मनाई जाएगी। ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर (October) या नवंबर (November) महीने में आता है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को 03:44 PM बजे से प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को 05:54 PM बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, काली पूजा निशित काल (Nishith Kaal) में करना शुभ होता है। वर्ष 2025 में काली पूजा का निशित काल रात्रि 11:55 बजे से लेकर रात्रि 12:44 बजे तक रहेगा। इस दौरान माँ काली की पूजा करना विशेष फलदायक (Auspicious) माना जाता है।
काली पूजा का महत्व
माँ काली हिन्दू धर्म में शक्ति के उग्र और रौद्र स्वरूप के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्हें बुरी शक्तियों (Negative Energies) का नाश करने वाली, अपने भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन माँ काली की आराधना करने से जीवन से सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा, शत्रुवत बाधाएं, भय और संकट दूर होते हैं तथा सुख-शांति, समृद्धि और निरोग्यता की प्राप्ति होती है।
काली पूजा (Kali Puja) को श्याम पूजा (Shyam Puja) भी कहा जाता है। इस अवसर पर लोग माँ काली के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं और रातभर जागरण (Jagaran) कर के भजन, कीर्तन एवं मंत्रोच्चारण करते हैं। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में यह पर्व विशेष रूप से लोकप्रिय है और वहाँ भव्य पंडालों, मनमोहक रंगोली (Rangoli), दीप-मालाओं (Lighting), और उत्सवों द्वारा इसे मनाया जाता है। कई स्थानों पर दीवाली (Diwali) की रात को ही काली पूजा संपन्न होती है।
काली पूजा मनाने की विधि
कई लोगों में यह भ्रम होता है कि काली माँ की पूजा केवल तांत्रिक (Tantrik) या मंत्र-तंत्र में विश्वास करने वाले लोग ही कर सकते हैं, लेकिन यह पूर्णतः सही नहीं है। कोई भी श्रद्धालु पूरी आस्था और नियम के साथ अपने घर या मंदिर में माँ काली की पूजा कर सकते हैं। आइए, काली पूजा की सरल विधि जानते हैं:
पूजा की सामग्री (Samagri)
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भगवान गणेश की मूर्ति (Murti of Lord Ganesha)
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भगवान विष्णु की मूर्ति (Murti of Lord Vishnu)
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माँ काली की प्रतिमा (Idol of Kali Mata)
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धूप (Incense), दीप (Lamp), और बाती
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तांत्रिक प्रतीक (Tantrik Symbols) जैसे यंत्र (Yantra)
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अक्षत (Rice grains)
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दरबा घास (Durva Grass)
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चंदन पाउडर (Sandalwood Powder)
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पुष्प (Flowers), झार (Garland)
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फल (Fruits), मिठाई (Sweets)
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विशेष रूप से मछली (Fish), मांस (Meat), और दाल (Lentils) का भी भोग लगाया जाता है
पूजा की प्रक्रिया (Process)
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सबसे पहले घर को अच्छे से साफ करें और पूजा का स्थान वस्त्र से सजाएं।
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माँ काली की प्रतिमा को पूजन स्थल पर स्थापित करें। उनके सहित भगवान गणेश व विष्णु की प्रतिमा भी रखें।
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दीपक जलाएं, धूप और अगरबत्ती प्रज्वलित करें।
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माँ काली को गंगाजल (Holy Water) अर्पित करें और चंदन, सिंदूर (Vermilion) तथा पुष्प अर्पित करें।
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फिर अक्षत, फल एवं मिठाई, साथ ही मछली, मांस और दाल का भोग समर्पित करें।
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तांत्रिक प्रतीकों और यंत्रों को भी स्थापित कर सकते हैं।
पूजन के समय श्रद्धापूर्वक माँ काली के मंत्रोच्चारण और स्तुति करें। साथ ही माँ काली की आरती करें, उनके लिए दीप और नैवेद्य (Offering) प्रज्वित कर भावनापूर्वक प्रार्थना करें। पूजा के अंत में भोग वितरण करें और आरती के बाद प्रसाद सब में बांटें।
काली पूजा के मंत्र (Mantras)
काली पूजा में मंत्रों का बहुत ज़्यादा महत्व होता है। इन मंत्रों का उच्चारण करते समय मन को शांत रखना चाहिए और माँ काली पर पूर्ण श्रद्धा (Devotion) रखनी चाहिए। यहाँ कुछ प्रमुख काली मंत्र दे रहे हैं:
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माँ काली बीज मंत्र (Beej Mantra): ॐ क्रीं काली (Om Krim Kali)
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काली माता मंत्र: ॐ श्री महा कालिकायै नमः (Om Shri Maha Kalikayai Namah)
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कालिका-येई मंत्र: ॐ क्लीं कालिका (Om Kleem Kalika)
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काली गायत्री मंत्र (Kali Gayatri Mantra): ॐ महा कल्यै च विद्महे शमशन वासिन्यै च धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात (Om Maha Kalyai cha Vidmahe Shamasan Vasinya cha Dheemahi Tanno Kali Prachodayat)
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दक्षिणा काली ध्यान मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं दक्षिणा कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा। (Om Hreem Hreem Hrum Hrum Kreem Kreem Dakshina Kalike Kreem Kreem Kreem Hrum Hrum Hreem Hreem Hum Hum Swaha)
- काली माँ की प्रार्थना (Prayer Mantra): क्रिंग क्रिंग क्रिंग हिंग क्रिंग दक्षिणे कालिके क्रिंग क्रिंग क्रिंग ह्रिंग ह्रिंग हंग हंग स्वाहा (Kring Kring Kring Hing Kring Dakshine Kalike Kring Kring Kring Hring Hring Hang Hang Swaha)
इन मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप (Chanting) करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता (Auspiciousness) आती है, मनोबल (Confidence) बढ़ता है और बुरी शक्तियाँ दूर रहती हैं।
काली माँ की आरती (Aarti)
काली पूजा के अंत में माँ काली की आरती ज़रूर करनी चाहिए। इस आरती का पाठ भक्त माँ काली के सामने खड़े होकर दीपक जलाकर करते हैं। यहाँ काली माँ की विशेष आरती दी गई है:
आरती श्री काली माता की
जय काली काली, जय काली काली।
जय काली काली, माँ काली काली।
अर्धनारी स्वरूपा, भूत पिशाच नाशिनी।
त्रिशूल, खड्ग, धनु धरिणी, दुष्ट दलन द्रुतिनी।
जय काली काली, जय काली काली।
जय काली काली, माँ काली काली।
कालरात्रि रूपा, सर्वशक्तिमयी माता।
भक्तजन रक्षक, करुणा अमृतधारा।
जय काली काली, जय काली काली।
जय काली काली, माँ काली काली।
शिवशक्ति योगिनी, जगत पालनकर्ता।
संकट हरिणी, सुखदायिनी, सर्वश्रेष्ठ कृपालक।
जय काली काली, जय काली काली।
जय काली काली, माँ काली काली।
सर्व मंगलकारी, करुणामयी माता।
भूत प्रेत पिशाच निकंदन, भक्तों की रक्षक माता।
जय काली काली, जय काली काली।
जय काली काली, माँ काली काली।
इस आरती के साथ अगर माँ का स्मरण सच्चे भाव से किया जाए तो जीवन में चल रही हर प्रकार की रुकावटें, भय और दुख समाप्त हो जाते हैं, यह विश्वास है।
काली पूजा में भोग (Offerings)
काली पूजन में माँ को विशेष रूप से भोग अर्पित किया जाता है। प्रायः मिठाई, फल, नारियल (Coconut), मछली, मांस और दाल का भोग लगाया जाता है। बंगाल में मांस-मछली का भोग विशेष महत्व रखता है, परन्तु प्रत्येक स्थान पर श्रद्धा और परंपरा के अनुसार माँ काली को भोग अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद यह भोग सब भक्तगणों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है।
काली पूजा की मान्यताएँ और सामाजिक महत्व
काली पूजा से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। मान्यता है कि अमावस्या की रात माँ काली की पूजा करने से सभी दु:ख, पाप, अशुभता और रोग नष्ट हो जाते हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है कि काली माँ अपने भक्तों का सदैव कल्याण (Well-being) करती हैं, विशेष रूप से जो सच्चे मन से श्रद्धा रखते हैं। समाज में नारी शक्ति (Woman Power) का सम्मान, अंधविश्वास का नाश और सत्य व न्याय की स्थापना माँ काली की पूजा से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें हैं। काली माँ लोकप्रियता के कारण सिर्फ एक देवी नहीं, बल्कि समाज में शक्ति और साहस की प्रेरणा भी मानी जाती हैं। काली माँ तंत्र साधना (Tantric Rituals) में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। शास्त्रों और पुराणों में काली की पूजा खासकर तांत्रिक रीति से करने के लिए आदेश मिलता है, लेकिन जन-साधारण भी सामान्य विधि से पूजा कर सकते हैं। तांत्रिक साधक इस रात को विशेष यंत्र, मंत्र और विशेष भोग से देवी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। किंतु आम लोगों के लिए मंत्र, आरती, और पूजा की वैदिक विधि पूरी तरह से पर्याप्त है।
काली पूजा और दीपावली (Diwali)
कई प्रदेशों में काली पूजा, दीपावली की रात को भी मनाई जाती है। दीपावली पर जहाँ लक्ष्मी जी की पूजा होती है, वहीं बंगाल व पूर्वी भारत के कई हिस्सों में काली माँ की पूजा का महत्व अधिक है। घरो में श्रद्धापूर्वक दीपक जलाए जाते हैं, घर की सफाई की जाती है और फिर सोने-चांदी, धन-धान्य नहीं, केवल माँ के मन में जगह माँगी जाती है। यह भावना बताती है कि इस पूजा में आत्मिक बल, श्रद्धा और माँ के प्रति निर्भरता ज़्यादा मानी जाती है।
पूजा के दौरान सावधानियाँ
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पूजा की सामग्री और प्रक्रिया पारंपरिक रूप से शुद्ध और सात्विक रखें।
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पूजा करते समय मन, वचन और क्रिया से पवित्रता रखें।
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अगर कोई विशेष भोग या प्रशाद न बना सकें तो आम फल और मिठाइयाँ भी माँ को अर्पित कर सकते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार, किसी विशेष शंका या तांत्रिक विधान को अभ्यास में लाने से पूर्व विशेषज्ञ या अनुभवी पुरोहित से सलाह अवश्य लें।
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