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Tatkal Ticket Scam EXPOSED! : 10 सेकंड में सारे टिकट कैसे हो जाते हैं बुक?

NCIRNvimarsh2 months ago

Tatkal Ticket Scam EXPOSED!

 भारतीय रेलवे में तत्काल टिकट बुक करना किसी चुनौती से कम नहीं है। कई बार लोग महीनों पहले टिकट बुक करते हैं, फिर भी वेटिंग में ही फंस जाते हैं, लेकिन तत्काल टिकट मिलना तो और भी मुश्किल हो गया है। कुछ सेकंड के भीतर ही सारे तत्काल टिकट बुक हो जाते हैं, और आम यात्री हाथ मलते रह जाते हैं। यह समस्या केवल तकनीकी दिक्कतों की वजह से नहीं बल्कि एक संगठित अपराध नेटवर्क (organized criminal network) की वजह से भी होती है, जो अवैध सॉफ्टवेयर (illegal software) और अन्य तरीकों का उपयोग करके टिकट बुक कर लेता है। इस पूरे सिस्टम को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर रेलवे में टिकट बुकिंग कैसे काम करती है और फ्रॉडस्टर (fraudsters) इसे कैसे चकमा देते हैं।

भारतीय रेलवे में कई तरह के कोटे (quota) होते हैं – महिला कोटा, सीनियर सिटीजन कोटा, विकलांग कोटा और सबसे बड़ा तत्काल कोटा। तत्काल टिकट की बुकिंग 24 घंटे पहले खुलती है, लेकिन कुछ ही सेकंड में सारी सीटें भर जाती हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अवैध एजेंट और साइबर अपराधी (cyber criminals) पहले से ही टिकटिंग सिस्टम में सेंध लगा चुके होते हैं। पहले के समय में लोग रेलवे स्टेशन जाकर लाइन में लगते थे, लेकिन अब ऑनलाइन बुकिंग का जमाना है, और यहीं पर साइबर अपराधी फायदा उठाते हैं।

ये अपराधी फर्जी आईआरसीटीसी (IRCTC) अकाउंट बनाते हैं। इसके लिए वे गोरिला मेल (Gorilla Mail) और 10 मिनट मेल (10-minute mail) जैसी टेंपररी ईमेल सर्विस (temporary email service) का इस्तेमाल करते हैं। ये अस्थायी ईमेल केवल कुछ समय के लिए सक्रिय रहते हैं, जिससे आईआरसीटीसी पर कई फर्जी अकाउंट बनाना आसान हो जाता है। आईआरसीटीसी अकाउंट बनाने के लिए मोबाइल नंबर की भी जरूरत होती है, लेकिन अपराधी इसके लिए भी अस्थायी नंबर या किसी और व्यक्ति का नंबर इस्तेमाल कर लेते हैं।

इसके बाद, ये अपराधी यात्रियों की जानकारी इकट्ठा करते हैं, जैसे – नाम, उम्र, ट्रेन की डिटेल्स और यात्रा की तारीख। इस डेटा को अवैध एजेंटों को बेचा जाता है, जो इसे अवैध सॉफ्टवेयर में डालकर टिकट बुक कर देते हैं। ये एजेंट इन टिकटों को जरूरतमंद यात्रियों को महंगे दामों पर बेचते हैं। इस प्रक्रिया में कई बार टिकट की असली कीमत से दोगुना या तिगुना तक चार्ज किया जाता है।

ये सॉफ्टवेयर इतने एडवांस होते हैं कि वे आईआरसीटीसी के सुरक्षा चेक को भी बायपास कर सकते हैं। कैप्चा (CAPTCHA) को तोड़ने के लिए ये सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करते हैं, और ओटीपी (OTP) को भी अपने आप दर्ज कर लेते हैं। इतना ही नहीं, ये सॉफ्टवेयर बैंकिंग ट्रांजैक्शन को भी ऑटोमेट कर देते हैं, जिससे किसी भी तरह की मानवीय देरी न हो और टिकट पलक झपकते ही बुक हो जाए।

ऐसे अवैध सॉफ्टवेयर डार्क वेब (Dark Web) पर बेचे जाते हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इन अपराधियों की असली लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाती। कई मामलों में देखा गया है कि ये सॉफ्टवेयर थाईलैंड, कंबोडिया जैसी साउथ ईस्ट एशियन (South-East Asian) देशों में बनाए जाते हैं और फिर भारत में बेचे जाते हैं। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने 2023 में ऐसे कई मामलों की जांच की, जिसमें आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) के एक ग्रेजुएट को भी गिरफ्तार किया गया था। यह दिखाता है कि इस गोरखधंधे में पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं।

रेलवे ने इस अवैध गतिविधि पर नकेल कसने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब एआई (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स (Big Data Analytics) का उपयोग किया जा रहा है ताकि बुकिंग पैटर्न को ट्रैक किया जा सके। यदि किसी अकाउंट से बार-बार बड़े पैमाने पर बुकिंग होती है, तो उसे फ्लैग किया जाता है और फिर बारीकी से जांच की जाती है। आरपीएफ ने 2024 में 400 से अधिक केस पकड़े, जिनमें 7500 से ज्यादा टिकट जब्त किए गए, जिनकी कीमत करीब 1.2 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा, रेलवे ने कुछ रूटों पर संदिग्ध बुकिंग की जांच भी तेज कर दी है।

हालांकि रेलवे ने अपनी तरफ से सुरक्षा कड़ी कर दी है, लेकिन अपराधी भी नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। यही कारण है कि आम यात्री आज भी तत्काल टिकट पाने में सफल नहीं हो पाते। इस पूरे सिस्टम का सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों को होता है, जो सच में तत्काल टिकट की जरूरत रखते हैं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिलता। आम जनता की इस परेशानी को दूर करने के लिए रेलवे को अपनी सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाना होगा और अवैध एजेंटों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।

आम लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। यदि किसी एजेंट के पास से महंगे दामों में टिकट खरीदा जाता है, तो यह अवैध गतिविधि को बढ़ावा देने जैसा है। रेलवे यात्रियों को केवल आधिकारिक पोर्टल से ही टिकट बुक करने की सलाह देता है। यदि किसी को टिकट नहीं मिल रहा है, तो वह वेटिंग लिस्ट में रह सकता है या कोई वैकल्पिक यात्रा योजना बना सकता है।

आखिर में, तत्काल टिकट बुकिंग में सबसे बड़ी भूमिका स्पीड (speed) की होती है। लेकिन जब अपराधी बिना किसी सुरक्षा जांच के टिकट बुक कर लेते हैं, तो आम आदमी के लिए यह स्पीड कोई मायने नहीं रखती। रेलवे द्वारा उठाए जा रहे कदमों से उम्मीद है कि आने वाले समय में इस समस्या पर काबू पाया जा सकेगा, ताकि हर जरूरतमंद यात्री को समय पर टिकट मिल सके।

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