लेखक- धीरज जी पराशर (पंडित, उज्जैन) via NCI
Guru Chandal Yog : ज्योतिष शास्त्र की रहस्यमयी दुनिया में जन्म कुंडली का सातवां भाव (7th House) हमारे जीवन का आईना होता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर हमारे विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी और बाहरी दुनिया के साथ हमारे रिश्तों को दर्शाता है। जब इस संवेदनशील भाव में देवताओं के गुरु ‘बृहस्पति’ (ज्ञान और नैतिकता) और मायावी ग्रह ‘राहु’ (भ्रम और विस्तार) एक साथ बैठ जाते हैं, तो इस विचित्र खगोलीय स्थिति को “गुरु चांडाल योग” कहा जाता है। यह योग अक्सर लोगों के मन में डर पैदा करता है, लेकिन इसे केवल बुरा मानना सही नहीं है। दरअसल, यह दो विरोधी ऊर्जाओं का मिलन है—गुरु जहाँ परंपरा, धर्म और अनुशासन का प्रतीक हैं, वहीं राहु सीमाओं को तोड़ने वाला, विदेशी संस्कृति का प्रेमी और शॉर्टकट अपनाने वाला ग्रह है। जब ये दोनों सातवें घर में मिलते हैं, तो जातक के जीवन में, विशेषकर रिश्तों को लेकर, हमेशा एक अजीब सी कशमकश और उथल-पुथल बनी रहती है। इस स्थिति में व्यक्ति का जीवन कभी भी एक सीधी रेखा में नहीं चलता; उसमें अचानक बड़े बदलाव और अप्रत्याशित घटनाएं घटती रहती हैं।
विवाह, रिश्ते और जीवनसाथी का स्वभाव
इस योग का सबसे गहरा और प्रत्यक्ष असर व्यक्ति की शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है। राहु का स्वभाव है ‘अलग’ करना और गुरु का स्वभाव है ‘जोड़ना’, इसलिए इन दोनों की लड़ाई में अक्सर विवाह में बेवजह की देरी होती है या फिर रिश्ता तय होकर भी अंतिम समय में टूट जाता है। अगर विवाह हो भी जाए, तो जीवनसाथी के साथ वैचारिक मतभेद होना एक आम बात हो जाती है। राहु के प्रभाव के कारण जातक का जीवनसाथी परंपराओं से हटकर सोचने वाला, आधुनिक, नास्तिक या फिर पूरी तरह से अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का हो सकता है। कई मामलों में, यह योग व्यक्ति को विदेशी भूमि पर विवाह या किसी विदेशी मूल के व्यक्ति से जुड़ने का अवसर भी देता है। अगर कुंडली में अन्य शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो, तो यह योग गलतफहमियों की वजह से रिश्तों में कड़वाहट, शक और कभी-कभी अलगाव या तलाक तक की स्थिति पैदा कर सकता है। हालांकि, अगर दोनों पक्ष समझदारी से काम लें, तो यह एक बहुत ही आधुनिक और मुक्त विचारों वाला रिश्ता भी साबित हो सकता है, जहाँ दोनों एक-दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।
राशियों के अनुसार बदलता प्रभाव: अग्नि से लेकर जल तत्व तक
यह समझना बहुत आवश्यक है कि हर किसी की कुंडली में इस योग का फल एक जैसा नहीं होता; यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह युति किस राशि में बन रही है। अगर यह युति मेष, सिंह या वृश्चिक (अग्नि और मंगल प्रधान) राशियों में हो, तो रिश्तों में ‘अहंकार’ और ‘वर्चस्व’ की लड़ाई देखने को मिलती है। यहाँ पति-पत्नी के बीच “बॉस” बनने की होड़ लगी रहती है और माहौल काफी गर्म रहता है। वहीं, अगर यह शुक्र (वृषभ, तुला) या बुध (मिथुन, कन्या) की राशियों में हो, तो राहु बहुत ताकतवर हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति के जीवन में रोमांस और विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बहुत ज्यादा होता है, जिससे कभी-कभी चरित्र पर भी सवाल उठ सकते हैं, लेकिन व्यापारिक दृष्टि से यह समय बहुत धनदायक होता है। इसके विपरीत, अगर यह युति मकर या कुंभ (शनि की राशियों) में हो, तो वैवाहिक जीवन में नीरसता और संघर्ष रहता है; यहाँ सुख आसानी से नहीं मिलता और जिम्मेदारी का बोझ ज्यादा महसूस होता है। लेकिन अगर यह कर्क, धनु या मीन (जल और गुरु की राशियों) में हो, तो मामला बहुत गहरा होता है। यहाँ बाहर से देखने पर जोड़ा बहुत आदर्श और सुखी दिखता है, लेकिन घर के भीतर एक अजीब सा खालीपन या आध्यात्मिक द्वंद्व चलता रहता है।
व्यापार, करियर और सामाजिक छवि
सातवां भाव सिर्फ विवाह का नहीं, बल्कि व्यापार और साझेदारी का भी होता है। जब कोई व्यक्ति इस योग के साथ किसी के साथ मिलकर बिजनेस करता है, तो उसे फूक-फूक कर कदम रखना पड़ता है। राहु के कारण साझेदार द्वारा धोखा देने या गुप्त रूप से नुकसान पहुँचाने की संभावना बनी रहती है। अक्सर ऐसा होता है कि सब कुछ ठीक चलते-चलते अचानक से कोई बड़ी कानूनी अड़चन या आपसी विश्वासघात सामने आ जाता है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि राहु ‘विस्तार’ और ‘विदेशी संपर्कों’ का भी कारक है। अगर कोई व्यक्ति इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, ऑनलाइन ट्रेडिंग या विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर काम करता है, तो गुरु-राहु की यह जोड़ी उसे फर्श से अर्श तक भी ले जा सकती है। समाज में ऐसे लोगों की छवि को लेकर भी दो राय होती है—या तो वे धर्म के नाम पर पाखंड करने वाले माने जाते हैं, या फिर वे पुरानी, सड़ चुकी परंपराओं को तोड़कर समाज को नई दिशा देने वाले सुधारक बन जाते हैं। यह पूरी तरह जातक के विवेक पर निर्भर करता है कि वह राहु की चालाकी का इस्तेमाल अच्छे कामों में करता है या बुरे में।
शांति और संतुलन के लिए घरेलू उपाय
इस योग के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में स्थिरता लाने के लिए हमारे ज्योतिष शास्त्र में कुछ बहुत ही प्रभावी और सात्विक उपाय बताए गए हैं। सबसे पहले, हमें गुरु (Jupiter) को मजबूत करना चाहिए ताकि विवेक बना रहे। इसके लिए भगवान विष्णु की आराधना करना, गुरुवार को केले के पेड़ की जड़ में हल्दी मिला जल चढ़ाना और माथे पर केसर का तिलक लगाना रामबाण उपाय है। राहु की नकारात्मकता और भ्रम को काटने के लिए साफ-सफाई अत्यंत आवश्यक है; अपने घर, विशेषकर बाथरूम और मुख्य द्वार को हमेशा साफ रखें। राहु गंदगी और नशे में वास करता है, इसलिए शराब, मांस और धूम्रपान से सख्त परहेज करें। मानसिक शांति के लिए अपनी जेब में हमेशा चांदी का एक ठोस टुकड़ा रखें और चंदन के इत्र का प्रयोग करें, क्योंकि चंदन की खुशबू राहु को नियंत्रित करती है। सबसे महत्वपूर्ण उपाय है भगवान शिव की शरण में जाना—नियमित रूप से शिवलिंग पर जल में थोड़ा कच्चा दूध और काले तिल मिलाकर अभिषेक करने से इस योग का विष शांत होता है और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। याद रखें, उपाय केवल रस्म नहीं हैं, यह खुद को अनुशासित करने का तरीका है, जिससे ग्रहों की ऊर्जा को सही दिशा दी जा सकती है।
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