Budhaditya yoga : ज्योतिष शास्त्र में ‘बुधादित्य योग’ को सबसे प्रसिद्ध और सामान्य रूप से पाए जाने वाले राजयोगों में से एक माना जाता है। इसका नाम दो ग्रहों के मिलन से बना है—’बुध’ और ‘आदित्य’ (सूर्य)। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है, जो आत्मा, पिता, सरकारी नौकरी, मान-सम्मान और तेज का प्रतीक है। वहीं, बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है, जो बुद्धि, वाणी, गणित, तर्क और व्यापार (Business) का कारक है। जब किसी कुंडली में ये दोनों ग्रह एक साथ बैठते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के पास सूर्य जैसा तेज और बुध जैसी तीक्ष्ण बुद्धि दोनों आ गई हैं। यह योग व्यक्ति को एक निखरता हुआ व्यक्तित्व देता है। ऐसे लोग भीड़ में भी अपनी अलग पहचान बना लेते हैं। जिस तरह सूर्य की रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई देता है, वैसे ही बुधादित्य योग वाले व्यक्ति की सोच (Vision) एकदम स्पष्ट होती है। वे भ्रम में नहीं रहते और तुरंत फैसला लेने की क्षमता रखते हैं।
बिजनेस और कम्युनिकेशन का मास्टर
इस योग का सबसे गहरा प्रभाव व्यक्ति की करियर और बातचीत करने की शैली पर पड़ता है। बुध ‘व्यापार’ का कारक है, इसलिए जब सूर्य का बल इसे मिलता है, तो व्यक्ति बिजनेस की दुनिया में बहुत सफल होता है। ऐसे लोगों का दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज चलता है। वे गणित, अकाउंट्स, बैंकिंग, सीए (CA) या डेटा से जुड़े कामों में माहिर होते हैं। उनकी वाणी में गजब का आकर्षण होता है; वे अपनी बातों से किसी को भी अपना बना सकते हैं, इसलिए वे एक बेहतरीन सेल्समैन, वकील, पत्रकार या लेखक भी बन सकते हैं। बुधादित्य योग वाला व्यक्ति स्थितियों को बहुत जल्दी भांप लेता है। जहाँ दूसरे लोग समस्या को देखकर घबरा जाते हैं, वहीं ये लोग अपने तर्क और बुद्धि का इस्तेमाल करके चुटकियों में समाधान निकाल लेते हैं। अगर यह योग कुंडली के दशम भाव (कर्म स्थान) या लग्न में बन रहा हो, तो व्यक्ति सरकारी नौकरी में उच्च पद प्राप्त करता है या अपना खुद का बड़ा साम्राज्य खड़ा करता है।
क्या हर बुधादित्य योग अमीर बनाता है? (सच्चाई जानें)
अक्सर लोग अपनी कुंडली में सूर्य और बुध को साथ देखकर खुश हो जाते हैं कि उनके पास राजयोग है, लेकिन उन्हें वैसा फल नहीं मिल रहा होता। इसका कारण समझना बहुत जरुरी है। यह योग तभी अपना पूर्ण फल देता है जब बुध सूर्य के बहुत ज्यादा करीब न हो। अगर बुध सूर्य के एकदम पास आ जाए (अस्त हो जाए), तो सूर्य की गर्मी से बुध की बुद्धि ‘जल’ जाती है, जिसे ‘अस्त दोष’ कहते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति मेहनत तो बहुत करता है, लेकिन उसे अपनी बुद्धि का सही परिणाम नहीं मिलता। इसके अलावा, यह भी देखना होता है कि यह युति किस राशि में हो रही है। अगर यह मेष, सिंह, मिथुन या कन्या राशि में हो, तो यह ‘सुपर राजयोग’ बन जाता है, लेकिन अगर यह मीन (नीच राशि) में हो, तो इसका प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए, सिर्फ युति होना काफी नहीं है, ग्रहों का बलवान होना भी जरूरी है।
इस राजयोग को और शक्तिशाली बनाने के उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपका बुधादित्य योग आपको जीवन भर राजा की तरह मान-सम्मान और धन दे, तो आपको सूर्य और बुध दोनों को प्रसन्न रखना होगा। सबसे सरल और प्रभावी उपाय है—रोज सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाना। जल चढ़ाते समय उसमें थोड़ा सा कुमकुम और गुड़ मिला लें, इससे आपका आत्मविश्वास और सरकारी पक्ष मजबूत होगा। बुध को मजबूत करने के लिए भगवान गणेश की आराधना करें और बुधवार को गाय को हरी घास खिलाएं। अपनी बुआ, बहन और बेटी का सम्मान करना बुध को बहुत बल देता है। अगर आप अपने पिता (सूर्य) के साथ अच्छे संबंध रखते हैं और रोज उनके चरण स्पर्श करते हैं, तो यह योग 100 गुना ज्यादा फलदायी हो जाता है। माथे पर चंदन का तिलक लगाना भी आपके दिमाग को शांत और एकाग्र रखने में मदद करता है।
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