Ahoi Ashtami : इस साल कब मनाई जाएगी?

By NCI
On: October 8, 2025 6:34 AM
Ahoi Ashtami

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 13 अक्टूबर 2025 को रविवार के बजाय सोमवार को पड़ रहा है। इस व्रत को विशेष रूप से माता अपने बच्चों की लंबी आयु, सफलता, उज्ज्वल भविष्य और उत्तम स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है, अर्थात् इस दिन किसी भी प्रकार का भोजन नहीं किया जाता और शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

इस व्रत का धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे माता पार्वती के एक स्वरूप अहोई माता की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें संतान की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। कहा जाता है कि अहोई माता अपनी कृपा से बच्चों की रक्षा करती हैं और संतान की लंबी आयु प्रदान करती हैं। दिवाली से ठीक आठ दिन पहले इस व्रत को पूजा जाता है जो इसे विशेष शुभ और प्रभावशाली बनाता है। अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम के शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा और सजावट की जाती है। अंत में, रात के समय तारों को देखकर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है, इसके बाद ही व्रत का पारण होता है। इस बार 13 अक्टूबर का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से भी बहुत शुभ माना गया है क्योंकि इस दिन शिव योग, सिद्ध योग, परिघ योग, और रवि योग का संगम हो रहा है, जो व्रत के प्रभाव को और भी बढ़ाता है।

अहोई अष्टमी व्रत की पौराणिक कथा भी इस व्रत के महत्व को दर्शाती है। कथा के अनुसार, एक बार प्राचीन काल में एक स्त्री जंगल में मिट्टी खोदते समय अनजाने में एक सेही (स्याहू) के बच्चे को मार देती है। उस सेही की माता संतान के नुकसान से अत्यंत शोकाकुल हो जाती है और क्रोध में आकर उस स्त्री और उसके बच्चे पर श्राप लगाती है। तब उस स्त्री ने अहोई माता की आराधना की और क्षमा मांगी, जिससे उसके बेटे का पुनर्जन्म हुआ। उस समय से अहोई अष्टमी का व्रत संतान की प्राप्ति और उसके कल्याण के लिए प्रसिद्ध हो गया। इस व्रत के माध्यम से माताएं अपने बच्चों के प्रति अपने प्रेम, समर्पण, त्याग और मंगलकामना की अभिव्यक्ति करती हैं। यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि माँ और संतान के बीच के गहन संबंध का दिव्य प्रतीक है।

इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 से 7:08 बजे तक है और तारों को देखने और अर्घ्य देने का समय शाम 6:17 बजे तक निर्धारित है। कार्तिक मास की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर दोपहर 12:14 बजे आरंभ होकर 14 अक्टूबर सुबह 11:09 बजे समाप्त होगी। अहोई अष्टमी का व्रत आज भी माता-पिता के बीच काफी लोकप्रिय है और इसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत सामाजिक और पारिवारिक रूप से भी बच्चों के प्रति एक सकारात्मक संदेश देता है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए कितनी गहरी चिंता और प्रेम रखते हैं, जिसे यह व्रत व्यक्त करता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां यह व्रत और पूजा धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, वहीं किसी भी जानकारी का पालन करने से पहले संबंधित विशेषज्ञों से परामर्श करना आवश्यक है। यह व्रत और पूजा केवल आस्था, प्रेम और शुभकामनाओं का माध्यम है, जो पारिवारिक जीवन में शांति, स्वास्थ्य और सौभाग्य लाने का एक माध्यम माना जाता है। इस प्रकार, अहोई अष्टमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह मां और बच्चे के बीच के अटूट प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक भी है। इस दिन मांएं अपने बच्चों की लंबी आयु और खुशहाली की कामना करते हुए पूर्ण निष्ठा के साथ व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं, जिससे परिवार में सदैव सुख-शांति बनी रहती है। इस व्रत का पालन और उसकी पूजा विधि परंपरागत रूप से संजोए रखी गई है और समय-समय पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी मांएं इसे अपने बच्चों के लिए करती आ रही हैं।

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