Mpox : भारत पर मंडरा रहा है संकट?
Mpox वायरस का प्रकोप अब अफ्रीका से बाहर भी फैल गया है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो गया है। भारत को भी इस वायरस से सावधान रहने की जरूरत है। इससे संबंधित वैक्सीन उपलब्ध है, परन्तु प्रसार को रोकने के लिए सतर्कता आवश्यक है।
हाल ही में एम पॉक्स (Mpox) नामक एक वायरस ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में चिंता का विषय बन गया है। इस वायरस को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे एम पॉक्स के नाम से पुकारा जाता है। यह एक खतरनाक वायरस है जो वर्तमान में स्वीडन और पाकिस्तान में अपने पहले मामलों के रूप में पुष्टि हो चुका है। यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो विशेष रूप से अफ्रीकी देशों में पाया जाता है, लेकिन अब यह अफ्रीका से बाहर भी फैल रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
2022 में भी भारत में एम पॉक्स के मामले देखे गए थे, लेकिन वे क्लैड टू (Clade II) प्रकार के थे, जो क्लैड वन (Clade I) की तुलना में कम खतरनाक होता है। क्लैड वन विशेष रूप से खतरनाक माना जाता है क्योंकि यह न केवल जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है बल्कि मनुष्यों से भी फैलने की क्षमता रखता है। यह वायरस विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, जैसे बच्चों और वृद्धों, के लिए घातक हो सकता है। इस वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और त्वचा पर घाव (rashes) शामिल हैं, जो आमतौर पर दो से तीन सप्ताह तक रहते हैं।
एम पॉक्स वायरस का संक्रमण अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से शुरू हुआ और धीरे-धीरे अफ्रीका के अन्य हिस्सों में फैल गया। इस समय अफ्रीका के बाहर, स्वीडन में पहली बार इस खतरनाक क्लैड वन के संक्रमण का मामला सामने आया है। इस संक्रमण का प्रसार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण बन गया है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।
भारत भी इस खतरे से अछूता नहीं है। जैसा कि स्वीडन में एक मामला सामने आया है, इस बात की संभावना है कि यह वायरस अन्य देशों में भी फैल सकता है, जिसमें भारत भी शामिल है। इसके चलते भारत सरकार को भी इस वायरस के संभावित खतरों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए। 2022 में, भारत में भी कई एम पॉक्स के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से अधिकांश केरल में पाए गए थे, जहां अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास था।
एम पॉक्स से संबंधित वैक्सीन भी उपलब्ध हैं, जिन्हें WHO की सिफारिशों के अनुसार इस्तेमाल किया जा रहा है। दो प्रमुख वैक्सीन, जिन्हें हाल ही में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है, उन्हें कम आय वाले देशों में वितरित करने के लिए गावी और यूनिसेफ द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है। भारत में भी इस वायरस के फैलाव के समय वैक्सीन निर्माण की दिशा में कदम उठाए गए थे, लेकिन यह देखना अभी बाकी है कि वैक्सीन उत्पादन और वितरण कितना सफल रहा है।
यहां तक कि वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन इसका प्रसार रोकने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है। सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को इस वायरस पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
एम पॉक्स वायरस का अध्ययन और इसके प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास हमारे स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भविष्य में इस तरह के खतरों से निपटने के लिए हमारी तैयारियों को और मजबूत करना होगा।
अचिरादेव रोगाणां, विषाण्विनाशनं भवेत्।
संविधानं च राष्ट्राणां, सर्वदा सत्क्षमे भवेत्॥
रोगों और विषाणुओं का शीघ्र ही विनाश हो, और राष्ट्रों के संगठन सदैव सतर्क और सक्षम रहें। यह श्लोक इस लेख के विषय से संबंधित है क्योंकि इसमें रोगों और विषाणुओं के फैलाव से उत्पन्न संकट का उल्लेख किया गया है। लेख में बताया गया है कि एम पॉक्स वायरस का प्रसार तेजी से हो रहा है, और इसके प्रकोप से बचने के लिए राष्ट्रों को सतर्क और सक्षम होने की आवश्यकता है।