Mahabharat secret facts : कैसे हुई गांधारी की मृत्यु?

By NCI
On: October 2, 2025 11:54 AM
Mahabharat secrets

Mahabharat का युद्ध अपने चरम पर था। कौरवों के पराक्रमी योद्धा एक-एक करके युद्धभूमि में गिर चुके थे। गांधारी के 98 पुत्र पहले ही मारे जा चुके थे, और अब उसकी चिंता दुर्योधन को लेकर थी। पुत्र मोह से घिरी गांधारी ने दुर्योधन को एक आदेश दिया—”पुत्र, स्नान करके बिना किसी वस्त्र के मेरे सामने आओ। मैं अपनी आंखों से तुम्हें देखूंगी, जिससे तुम्हारा शरीर वज्र के समान हो जाएगा और कोई भी तुम्हें पराजित नहीं कर सकेगा।” लेकिन श्रीकृष्ण को इस बात का आभास हो चुका था कि यदि ऐसा हुआ तो अधर्म की विजय हो जाएगी। उन्होंने दुर्योधन को यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या उसे अपनी मां के सामने निर्वस्त्र जाना चाहिए। संकोचवश दुर्योधन अपनी कमर से नीचे का हिस्सा वस्त्र से ढककर गया, जिससे गांधारी की दृष्टि का प्रभाव उस हिस्से पर नहीं पड़ा। यही कारण बना कि भीम ने गदा से उसकी जंघाओं पर वार करके उसका अंत कर दिया।

गांधारी का जीवन रहस्यों से भरा हुआ था। वह गांधार देश के राजा सुबाल की पुत्री थी और भीष्म पितामह की रणनीति के तहत उसकी शादी हस्तिनापुर के अंधे राजकुमार धृतराष्ट्र से कराई गई। गांधारी का विवाह उसके पिता और भाई शकुनि की इच्छा के विरुद्ध हुआ था, क्योंकि वे अपनी बेटी की शादी किसी दृष्टिहीन व्यक्ति से नहीं कराना चाहते थे। किंतु भीष्म पितामह ने इस विवाह को राजनीतिक दृष्टि से आवश्यक समझा ताकि हस्तिनापुर और गांधार का संबंध प्रगाढ़ हो सके। गांधारी ने अपने पति के प्रति अटूट समर्पण दिखाते हुए अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि वह भी अपने पति के कष्ट को महसूस कर सके। यह त्याग केवल प्रेम का प्रतीक नहीं था, बल्कि गांधारी के चरित्र की दृढ़ता और धैर्य को भी दर्शाता था।

गांधारी से जुड़ी एक और कथा यह है कि उसका पहले विवाह एक बकरे से कराया गया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि उसका पहला विवाह विफल होगा। इसलिए विधि-विधान से पहले उसकी शादी एक बकरे से कर दी गई, और फिर उस बकरे की बलि दे दी गई। इस कारण से गांधारी को विधवा माना गया। जब धृतराष्ट्र को इस बात का पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने गांधार के राजा सुबाल को बंदी बना लिया। सुबाल और उनके परिवार को जेल में डाल दिया गया और इतना कम भोजन दिया गया कि धीरे-धीरे पूरा परिवार भूख से मर गया। लेकिन उन्होंने बचा हुआ भोजन अपने सबसे छोटे पुत्र शकुनि को दिया ताकि वह जीवित रह सके। यही कारण बना कि शकुनि ने हस्तिनापुर से प्रतिशोध लेने का संकल्प लिया। उसने दुर्योधन को अपने वश में कर लिया और उसे लगातार गलत सलाह देकर पांडवों के विरुद्ध भड़काया। इस प्रकार, महाभारत का बीज गांधारी के विवाह के समय ही पड़ चुका था।

गांधारी को वेदव्यास से 100 पुत्रों की माता होने का वरदान प्राप्त था, लेकिन प्राकृतिक रूप से 100 बार गर्भधारण संभव नहीं था। इसलिए जब उसने गर्भ धारण किया तो उसके गर्भ से मांस का एक टुकड़ा निकला। इस टुकड़े को वेदव्यास ने अपनी तपस्या के बल से 100 भागों में बांटकर घड़ों में रखवाया, और यहीं से कौरवों का जन्म हुआ। एक अतिरिक्त घड़े से उसकी एक पुत्री दुशाला का जन्म भी हुआ।

महाभारत युद्ध के अंत में, जब उसके सभी पुत्र मारे गए तो गांधारी का हृदय शोक से भर गया। वह श्रीकृष्ण से अत्यंत क्रोधित थी। उसने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार उसके कुल का नाश हुआ, वैसे ही यादव वंश भी आपस में लड़कर नष्ट हो जाएगा। श्रीकृष्ण ने गांधारी के इस श्राप को स्वीकार कर लिया, और आगे चलकर उनका संपूर्ण यादव वंश आपसी कलह में समाप्त हो गया। द्वारका समुद्र में समा गई और स्वयं श्रीकृष्ण ने एक वन में जाकर अपने शरीर का त्याग किया।

महाभारत के बाद गांधारी, धृतराष्ट्र, कुंती और संजय के साथ सन्यास लेकर जंगल में चली गई। तीन वर्षों तक वे एक कुटिया में रहकर साधना करते रहे। एक दिन जब धृतराष्ट्र गंगा स्नान के लिए गए तो जंगल में भीषण आग लग गई। संजय ने उन्हें वहां से भागने के लिए कहा, लेकिन गांधारी, धृतराष्ट्र और कुंती ने वहां से जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने नियति को स्वीकार कर लिया और उसी अग्नि में भस्म हो गए। बाद में नारद ने युधिष्ठिर को इस घटना के बारे में सूचित किया, और उन्होंने उनके अंतिम संस्कार की विधि संपन्न की।

गांधारी का जीवन त्याग, धैर्य और तपस्या का प्रतीक था। उसने अपने पति के प्रति जो निष्ठा दिखाई, वह अपने आप में अद्वितीय थी। लेकिन इसी निष्ठा और पुत्र मोह के कारण उसका जीवन दुखमय रहा। उसका विवाह राजनीतिक कारणों से हुआ था, उसका परिवार नष्ट हो गया था, और अंत में उसने अपने पुत्रों को खो दिया था। उसका जीवन महाभारत के सबसे त्रासद पात्रों में से एक माना जाता है।

NCI

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now
error: Content is protected !!